
Human in danger of pager attack Israel used on hezbollah in Lebanon
Pager Attack: लेबनान में हिजबुल्लाह के लड़ाकों को पेजर विस्फोट के जरिए निशाना बनाकर इजरायल ने युद्ध काल में नागरिक उपकरणों का सैन्य इस्तेमाल कर एक पूरी तरह से नया रणनीतिक अध्याय खोल दिया है। नए अध्याय ने शांति काल में चैन की नींद सो रहे देशों की नींद हराम कर दी है। लेबनान (Lebanon) में हुए इन पेजर विस्फोटों के तीन नए पक्ष हैं, जिसके कारण हर देश, अमन पसंद आम नागरिक भी इसे बहुत ध्यान से पढ़ रहे हैं। अभी तक इलेक्ट्रानिक्स उपकरणों से व्यापक स्तर पर जासूसी और निजता के हनन का खतरा महसूस किया जा रहा था, लेकिन यह पहला मौका है जब इतने बड़े पैमाने पर एक साथ पेजर जैसी आम उपभोक्ता सामग्री का सैन्य इस्तेमाल कर हजारों लोगों को एक साथ बेहद सटीकता से निशाना बनाया गया है।
आम आदमी की नजर से देखें तो यह बदलाव भयावह है। पेजर विस्फोट के बाद अब युद्ध हमारे घर तक आ गया है। भूमंडलीकरण में विकसित सप्लाई चैन अब बम विस्फोटकों को हमारे घर तक ले आई है। यह अहसास डरावना है। इसका असर दिखना शुरू हो गया है। दुबई स्थित एयरलाइन एमिरेट्स ने लेबनान में पेजर विस्फोट के जरिए हुए जानलेवा हमलों के बाद अपने सभी विमानों में पेजर और वॉकी-टॉकी ले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। वेबसाइट पर जारी एक बयान में एमिरेट्स ने कहा कि 'यात्रियों के हैंड बैगेज या चेक किए गए बैगेज में पाई गई ऐसी वस्तुओं को दुबई पुलिस द्वारा जब्त कर लिया जाएगा।'
सुरक्षा विशेषज्ञों को सबसे ज्यादा यही चीज परेशान कर रही है। इस हमले को अंजाम देने में जटिल अंतरराष्ट्रीय सप्लाई-चैन का इस्तेमाल किया गया, जिस पर आज भारत और अमरीका समेत दुनिया का हर देश निर्भर है। रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले हजारों इलेक्ट्रानिक्स उपकरण जैसे मोबाइल, कंप्यूटर, बैटरी, कार, सोलर उपकरण, रेफ्रिजेटर का निर्माण भूमंडलीकरण में विकसित हुई जटिल अंतरराष्ट्रीय सप्लाई चैन पर निर्भर है, जिस पर किसी एक देश का नियंत्रण नहीं है। इस सप्लाई चैन की किसी भी कड़ी या हिस्से में समझौता कर मामूली गड़बड़ी भी बड़े खतरे को निमंत्रण दे सकती है। इस सप्लाई चैन का असुरक्षित होना - मतलब हम सब असुरक्षित हैं।
जरूरी नहीं कि इसका इस्तेमाल सरकारों द्वारा किया जाए। कोई जरूरी नहीं कि इसका निशाना आतंकी हों, बल्कि आतंकी भी किसी हद का इस तरीके का इस्तेमाल कर सकते हैं। जाने-अनजाने कोई भी, कहीं भी (ऐरोप्लेन से लेकर बेहद सुरक्षित मीटिंग हाल) इसका निशाना हो सकता है। अगर सटीकता से टारगेट करने में सफलता मिली तो, छोटा सा विस्फोट भी बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है।
भारत सरकार में साइबर सुरक्षा सेल में निदेशक रह चुके आलोक विजयंत के अनुसार, इजरायल (Israel) की रणनीति दोहरी रही। प्रथम - हिजबुल्लाह को यह डर दिखाया गया कि दुश्मन उसकी मोबाइल पर हो रहीं सारी बातें सुन रहा है। इस तरह जब हिजबुल्लाह (Hezbollah) ने पेजर अपनाया तो, एक शैल कंपनी के माध्यम से सप्लाई चैन की एक कड़ी पर कब्जा कर लिया। सप्लाई किए गए पेजर्स में एक माइक्रो चिप और प्लास्टिक एक्प्लोसिव्स (पीईटीएन/टीएटीपी) की छोटी सी मात्रा रख दी गई। इसके बाद इस हमले को रिमोट कंट्रोल के माध्यम से तब अंजाम दिया गया, जबकि इसका इस्तेमाल होने की सबसे अधिक संभावना हो, जिससे दुश्मन का सबसे अधिक नुकसान किया जा सके।
अंतरराष्ट्रीय सप्लाई चैन के संदिग्ध हो जाने का असर भारत से लेकर अमरीका और यूरोप तक देखा जा रहा है। फिलहाल दो प्रकार के डर हैं। जासूसी या फिर सैटेलाइट आधारित रिमोट कंट्रोल से डिवाइस को इनएक्टिव करना। आशंकाओं के चलते, सीसीटीवी उपकरणों की सप्लाई चैन से चीन (China) कंपनियों को हटाने का फैसला भारत सरकार ले चुकी है और इसी महीने इसकी घोषणा हो सकती है। अमरीका से लेकर यूरोप तक की सरकारें जासूसी की आशंका से चीनी कंपनियों को कई प्रकार के संवेदनशील सप्लाई-चैन से बाहर कर रही हैं।
1. अमेरिकी ऊर्जा विभाग की इडाहो स्थित नेशनल लैब्ररोटरी में यह प्रमाणित किया जा चुका है कि साइबर अटैक के जरिए इंटरनेट से कनेक्टिड हाई वोल्टेज जनरेटर में विस्फोट को अंजाम दिया जा सकता है।
2. विकीलीक्स के अनुसार, 2010 में अमरीका और इजरायल ने कंप्यूटर वायरस के जरिए ईरान के एक परमाणु केंद्र का सेंट्रीफ्यूज उड़ा दिया था।
3. मीडिया रिपोर्ट में स्नोडन दस्तावेजों के हवाले से कहा गया है कि अमरीका ने सिस्को कंपनी के टेलीकम्यूनिकेशन डिवाइस को मोडिफाइड कर सीरिया में सप्लाई किए थे, जिससे संबंधित पक्षों की जासूसी की जा सके।
कारों में ऑटोमेशन और इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों की बढ़ती संख्या के बाद यह आशंका जताई जा चुकी है कि इस तरह की कारों में किसी भी सप्लाई चैन के जरिए विस्फोटक प्लांट किया जा सकता है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, विकीलीक्स के दस्तावेजों में इस तरह के सफल प्रयोग का उल्लेख किया गया है। या फिर चलती हुई कार के किसी खास संवेदनशील फीचर जैसे ब्रेक को सैटेलाइट रिमोट के जरिए इनएक्टिव किया जा सकता है। ड्राइवरलेस कारों का कंट्रोल कभी भी रिमोट के जरिए कोई दूर बैठा व्यक्ति हासिल कर सकता है।
साइबर सुरक्षा एक्सपर्ट पवन दुग्गल के मुताबिक पेजर विस्फोट के जरिए हमलों के बाद इजरायल ने सैन्य और नागरिक उपकरण, शांति काल और युद्ध काल की वह लक्ष्मण रेखा खत्म कर दी है, जो हम सब लोगों को सुरक्षा का अहसास देती है। सारी दुनिया इस खतरे को महसूस कर रही है।
Published on:
06 Oct 2024 10:09 am
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