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इमरान खान का यह जिगरी भारतीय दोस्त भी काट चुका है जेल, क्रिकेट से सियासत तक का सरहद पार कनेक्शन

Imran Khan Sidhu Friendship: इमरान खान और नवजोत सिंह सिद्धू की दोस्ती क्रिकेट के मैदान से शुरू होकर राजनीति तक पहुंची।

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भारत

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MI Zahir

Nov 30, 2025

Imran Khan Sidhu Friendship

इमरान खान और नवजोत सिंह सिद्धू। (फोटो: पत्रिका नेटवर्क.)

Imran Khan Sidhu Friendship: क्रिकेट के मैदान से राजनीति के शिखर और फिर जेल की सलाखों तक-यह कहानी है दो देशों के दो जिगरी दोस्तों की, जिन्होंने कभी हंसी-मजाक में एक-दूसरे को चिढ़ाया, तो दोनों मुल्कों के बीच तनाव के बावजूद एक दूसरे को सरहद पार शांति का पैगाम दिया। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan Sidhu) और भारत के बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी नवजोत सिंह सिद्धू (Imran Khan Sidhu Friendship)-दोनों क्रिकेटर, राजनेता, और बाद में जेल के मेहमान बने। आज, जब इमरान खान की जेल यात्रा को दो साल हो चुके हैं और सिद्धू सजा काट कर जेल से बाहर आ चुके हैं, दोनों की दोस्ती (India Pakistan friendship) फिर से चर्चा में है।

मेरा दोस्त इमरान खान सरहद के उस पार है (Imran Khan Sidhu Friendship)

"मेरा दोस्त इमरान खान सरहद के उस पार है"—यह सिद्धू का वह कथन है, जो सन 2021 में करतारपुर में गूंजा था, आज भी दिलों को छू जाता है। लेकिन क्या यह दोस्ती सिर्फ मैदान की यादें हैं, या राजनीति के तूफान के दौरान भी कायम है ?

क्रिकेट के जुनून से शुरू हुईं मुलाकातें

दरअसल इमरान खान और नवजोत सिंह सिद्धू की मुलाकातें क्रिकेट के जुनून से शुरू हुईं। 1980 के दशक में, सीमा पार तनाव के बीच जब भारत-पाकिस्तान मैच खेला जाता था, तब ये दोनों मैदान पर आमने-सामने होते थे। इमरान खान, पाकिस्तान की तेज गेंदबाजी के सुल्तान, और सिद्धू, भारत की मजबूत बल्लेबाजी की दीवार।

टेस्ट और वनडे सीरीज के दौरान हुआ हुआ मुकाबला

उनका बड़ा मुकाबला 1983-84 में टेस्ट और वनडे सीरीज के दौरान हुआ था, जहां इमरान खान की गेंदों ने सिद्धू को खासा परेशान किया था। लेकिन असली जंग 1987 विश्व कप का भारत बनाम पाकिस्तान मैच था, जहां सिद्धू ने 31 रन बनाए और इमरान खानकी कप्तानी वाली पाक टीम ने जीत हासिल की। फिर 1996 विश्व कप का प्रसिद्ध बेंगलुरु क्वार्टर फाइनल-सिद्धू के 93 रनों के बावजूद पाकिस्तान को वेंकटेश प्रसाद के हाथों हार मिली। इन मैचों के दौरान दोनों में दुश्मनी नहीं, सम्मान दिखा था। सिद्धू ने बाद में कहा, "इमरान मेरे क्रिकेट गुरु थे, उनकी गेंदबाजी सीख कर मैं मजबूत बल्लेबाज बना।"

दोनों बीच मैदान के बाहर पनपी असली दोस्ती

इन दोनों के बीच असली दोस्ती मैदान के बाहर पनपी। साल 2004 में भारत का ऐतिहासिक पाकिस्तान दौरा हुआ तो यह दौरा 14 साल बाद दोनों को करीब लाया। कराची में सिद्धू, जो तब कमेंटेटर बन चुके थे, इमरान खान से मिले। पुरानी यादें ताजा हुईं। इमरान खान ने सिद्धू को अपनी किताब भेंट की, और सिद्धू ने कश्मीरी शॉल। यह दौरा भारत-पाक क्रिकेट रिश्तों का सुनहरा अध्याय था। सिद्धू ने कहा, "क्रिकेट ने हमें दुश्मन नहीं, भाई बनाया।" इसके बाद राजनीति ने इन्हें फिर जोड़ा।

इमरान के शपथ ग्रहण में सिद्धू विशेष अतिथि बने

साल 2018 में इमरान खान के प्रधानमंत्री पद के शपथ ग्रहण समारोह में सिद्धू विशेष अतिथि बने। उन्होंने अटारी-वाघा बॉर्डर पार करते हुए कहा, "मैं दोस्त बन कर आया हूं, शांति का संदेश लेकर।" इस दौरान सिद्धू ने तत्कालीन पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल बाजवा को गले लगाया, जो भारत में विवाद का कारण बना। लेकिन इमरान खान ने सिद्धू की तारीफ की: "सिद्धू सच्चे शुभचिंतक हैं, उनकी दोस्ती शांति की मिसाल है।"

जब सिद्धू ने इमरान खान को बड़ा भाई बताया

पाकिस्तान में सिद्धू की यात्राएं अनगिनत हैं। नवंबर 2018 में करतारपुर कॉरिडोर के शिलान्यास में फिर मुलाकात हुई। सिद्धू ने इमरान खान से सिख तीर्थयात्रियों के लिए वीजा-मुक्त पहुंच की मांग की, और इमरान खान ने तुरंत हामी भरी। उसके बाद 9 नवंबर 2019 को कॉरिडोर का उद्घाटन हुआ-सिद्धू और इमरान साथ-साथ रहे। सिद्धू ने इमरान खान को "शांति का राजकुमार" कहा। फिर 2021 में सिद्धू का करतारपुर दौरा हुआ, जहां उन्होंने इमरान खान को "बड़ा भाई" बताया।

शांति कोई अपराध नहीं : सिद्धू

यह वही कथन है-"मेरा दोस्त इमरान खान सरहद के उस पार है"—जिसे भाजपा ने उनका "पाकिस्तान प्रेम" बता कर आलोचना का शिकार बनाया। सिद्धू ने जवाब दिया, "शांति कोई अपराध नहीं।" इमरान खान ने भी सिद्धू की प्रशंसा की: "वे साहसी हैं, जो दोस्ती निभाते हैं।"