चीन (China) से भारत किस तरह नाराज है ये इस एक उदाहण से साफ पता चल गया। दरअसल चीन में पंचशील सिद्धांत की 70 वीं सालगिरह मनाई जिसमें चीन ने भारत को भी आमंत्रित किया था। लेकिन भारत ने इस कार्यक्रम में ना पहुंच कर दिखा दिया है जब तक चीन क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना नहीं सीख जाता तब दोनों देशों के बीच कोई रिश्ता नहीं सुधर सकता। इस कार्यक्रम में शी जिनपिंग (Xi Jinping) ने शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के पांच सिद्धांतों की तारीफ करते हुए इसे दुनिया में जारी संघर्षों को खत्म करने के लिए आज भी अहम बताया। इस सम्मेलन में श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे (Mahinda Rajapaksa) समेत चीन के करीबी देशों के नेता शामिल हुए थे।
पंचशील के सिद्धांतो को पहली बार 1954 में तिब्बत क्षेत्र के बीच व्यापार व संबंध को लेकर भारत और चीन के बीच हुए समझौते में शामिल किया गया था। लेकिन पंचशील समझौते के आठ साल बाद 1962 में ही चीन ने भारत पर आक्रमण करके सभी पंचशील सिद्धांतों का खुलेआम उल्लंघन किया। पंचशील सिद्धांत की मूल भावना है, एक-दूसरे की संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान', 'गैर-आक्रामकता', 'एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना', 'समानता और पारस्परिक लाभ' तथा 'शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व'।
पंचशील सिद्धांत की शुरुआत 1954 में हुई थी। ये सिद्धांत शांति और आपसी सह-अस्तित्व के पांच प्रमुख सिद्धांतों पर आधारित हैं, जो भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए स्थापित किए गए थे। ये सिद्धांत उस समय के भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और चीनी प्रधानमंत्री झोउ एनलाई के बीच बातचीत का नतीजा थे। इन सिद्धांतों का उद्देश्य दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण और सामंजस्यपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देना था।
Published on:
30 Jun 2024 10:03 am