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Explainer: ‘ट्रंप टैक्स’ से कैसे निपटेगा भारत? क्या WTO के नियमों के खिलाफ है अमेरिका का टैरिफ थोपना? 

Trump Tax: रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के शीर्ष 100 निर्यातों पर पांच फीसदी से कम टैरिफ है। अन्य अमरीकी आयातों में अधिकांश पर 10 प्रतिशत से कम टैक्स लगता है।

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India Plan to deal with USA Tariff Donald Trump Reciprocal Tariff is is against WTO

India Plan to deal with USA Tariff Donald Trump Reciprocal Tariff is is against WTO

Tariff War: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा टैरिफ के मामले को कितना सुलझा सकती है इस पर पूरे देश की नजरें हैं। क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के पारस्परिक टैरिफ लगाने से भारत पर भी अमेरिकी जितना ही टैरिफ लग गया है। ऐसे में प्रधानमंत्री की डोनाल्ड ट्रंप के साथ बैठक के बावजूद ये मुद्दा अभी भी अनसुलझा ही है। हालांकि इसे सुलझाने के लिए भारत सरकार ने नए सिरे से तैयारी शुरू कर दी है। आधिकारिक सूत्रों का मानना है कि अमेरिकी उत्पादों (Tariff on US Goods) पर भारत में वास्तव में उतना टैक्स नहीं है जितना बताया जा रहा है। अमेरिका के टॉप 100 निर्यातों पर 5 फीसदी से कम टैरिफ है। कई अमेरिकी आयातों में ज्यादातर पर 10 प्रतिशत से कम टैक्स लगता है।

क्या है भारत का प्लान?

वाणिज्य मंत्रालय उत्पादों और उनके आयात शुल्कों का विस्तृत डेटा तैयार कर रहा है, जिसे अप्रैल में होने वाली दिपक्षीय बैठक में अमेरिकी अधिकारियों के साथ साझा किया जाएगा। बैठकों का सिलसिला नवंबर तक चल सकता है। भारत और अमेरिका ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 बिलियन डॉलर करने के लक्ष्य की दिशा में बढ़ने का संकल्प जताया है। दोनों देशों के संयुक्त बयान में भी टैरिफ बाधाओं को दूर करने की बात पर जोर दिया गया है।

क्या ट्रंप टैक्स WTO का उल्लंघन है?

अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप की पारस्परिक टैरिफ की नीति घोषित करने के बाद यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के प्रावधानों का उल्लंघन है? क्योंकि जिन देशों पर 'ट्रंप टैक्स' लगेगा वे सभी डब्ल्यूटीओ के सदस्य हैं।

विश्व व्यापार संगठन क्या है?

जिनेवा स्थित डब्ल्यूटीओ 166 सदस्यों वाला एक बहुपक्षीय संगठन है जो वैश्विक व्यापार के लिए नियम बनाता है और देशों के बीच विवादों का निपटारा करता है। भारत और अमरीका दोनों 1995 से इसके सदस्य हैं।

क्या टैरिफ बढ़ा सकते हैं?

WTO के प्रमुख सिद्धांतों के अनुसार एक बाध्यकारी टैरिफ होता है। इसका अर्थ यह है कि सदस्य देश बिना पूर्व वार्ता के ऊपर से कोई टैक्स नहीं लगा सकते। लेकिन, इसमें कटौती की जा सकती है।

अब तक अलग-अलग टैक्स क्यों?

डब्ल्यूटीओ की स्थापना 1995 में हुई थी। तब विकसित राष्ट्र बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार-संबंधित पहलुओं, सेवा व्यापार उदारीकरण और कृषि नियमों पर प्रतिबद्धताओं के बदले में विकासशील देशों को ज्यादा टैरिफ बनाए रखने देने पर सहमत हुए थे, जो मुख्य रूप से धनी देशों के पक्ष में थे।

अधिक टैरिफ लगाए तो क्या होगा?

यदि कोई सदस्य देश अपनी बाध्यकारी टैक्स से अधिक टैरिफ लगाता है तो वह जीएटीटी (शुल्क और व्यापार पर सामान्य समझौता) 1994 के अनुच्छेद-2 का उल्लंघन करता है। डब्ल्यूटीओ के विवाद निपटान निकाय (डीएसबी) में इसकी शिकायत की जा सकती है। इसके बाद दोनों पक्षों में समझौते का प्रयास किया जाता है। समाधान नहीं निकलने पर शिकायती को जवाबी टैरिफ लगाने की मंजूरी मिल सकती है।

भारत के साथ पहले ऐसा हुआ?

ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर स्टील पर 25 फीसदी और एल्युमीनियम उत्पादों पर 10 फीसदी का अतिरिक्त शुल्क लगाया था। हालांकि, डब्ल्यूटीओ ने उसके खिलाफ फैसला सुनाया। इसके बाद भारत ने भी 28 अमरीकी उत्पादों पर जवाबी टैक्स लगा दिया।

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