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खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने के लिए अमेरिका में गिरफ्तार हुआ भारतीय मूल का शख्स

Indian Origin Man Arrested: अमेरिका में बुधवार को भारतीय मूल के एक शख्स को गिरफ्तार किया गया है। इस शख्स पर अमेरिका में ही खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है।

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Khalistani terrorist Gurpatwant Singh Pannun

अमेरिका (United States Of America) से कुछ दिन पहले ही इस बात की खबर सामने आई थी कि कनाडा (Canada) निवासी खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की अमेरिकी धरती पर हत्या की कोशिश की गई थी। अमेरिकी अधिकारियों ने इस बात का दावा किया था और कहा था कि पन्नू की हत्या की कोशिश न्यूयॉर्क में की गई थी जिसे उन्होंने नाकाम कर दिया था। अमेरिकी अधिकारियों ने इस घटना में भारतीय मूल के व्यक्ति के हाथ होने का आरोप लगाया था। बुधवार को इस मामले में भारतीय मूल के एक नागरिक को गिरफ्तार किया गया है।


निखिल गुप्ता को किया गया गिरफ्तार

पन्नू की हत्या की साजिश रचने के आरोप में भारतीय मूल के निखिल गुप्ता को गिरफ्तार किया गया है। निखिल की उम्र करीब 52 साल बताई जा रही है और उस पर आरोप लगाया गया है कि निखिल को पैसे के बदले पन्नू की हत्या की साजिश को अंजाम देना था। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा है कि निखिल को यह काम करने के लिए भारत के एक सरकारी कर्मचारी ने हायर किया था जिसका नाम अभी तक सामने नहीं आया है। इस मामले में अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने जानकारी दी है।

कैसे हुई पन्नू को मारने की साजिश नाकाम?

आगे बताते हुए डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने बताया कि निखिल ने इस काम के लिए अमेरिका में एक शख्स से संपर्क किया था और उसे पन्नू को मारने का काम दिया था, वह वास्तव में अमेरिकी एजेंसियों के लिए काम करता था। निखिल ने उसे क्रिमिनल समझकर उसे इस काम को करने के लिए कहा, पर अमेरिकी शख्स ने इस बात की सूचना अमेरिकी एजेंसियों को दे दी। इस वजह से पन्नू की हत्या की साजिश नाकाम हो गई। निखिल को भी चेक रिपब्लिक में पकड़ा हुआ था और अमेरिका ने उसकी कस्टडी मांगकर उसे गिरफ्तार किया है।

आरोप में कितनी है सच्चाई?

पन्नू को मारने की साजिश रचने के पीछे किसी भारतीय सरकारी कर्मचारी का हाथ है या नहीं, इस बारे में सच क्या है अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर भारत सच में पन्नू की हत्या करना चाहता तो बहुत ही सूझबूझ से यह काम करता और ऐसे ही किसी को भी इस काम का कॉन्ट्रैक्ट नहीं देता। वहीं अमेरिका में एजेंसियाँ पहले भी अपने फायदे के लिए लोगों पर झूठे आरोप लगा चुकी हैं। ऐसे में बिना किसी ठोस सबूत के सिर्फ बयान के आधार पर अमेरिका पर भरोसा नहीं किया जा सकता।

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