
Kids using smartphones (Representational Photo)
सोशल मीडिया (Social Media) पर हर उम्र के लोग एक्टिव है। आजकल के बच्चे सोशल मीडिया का काफी ज़्यादा इस्तेमाल करते हैं। हालांकि इसका उन पर बुरा प्रभाव भी पड़ता है, क्योंकि कई बार उन तक हानिकारक कंटेंट भी पहुंच जाता है। हाल ही में सामने आई एक रिसर्च में खुलासा किया गया है कि बच्चों को हानिकारक कंटेंट से बचाने के लिए इंस्टाग्राम (Instagram) पर बनाए गए सुरक्षा टूल्स अपेक्षित रूप से काम नहीं कर रहे हैं। अमेरिका के साइबर सिक्योरिटी फॉर डेमोक्रेसी रिसर्च सेंटर और बाल सुरक्षा समूहों की ओर से की गई रिसर्च में पाया गया कि 47 में से 30 सुरक्षा टूल्स या तो अप्रभावी हैं या अब अस्तित्व में ही नहीं हैं।
शोधकर्ताओं ने बच्चों के फर्जी इंस्टाग्राम अकाउंट्स बनाकर जांच की और पाया कि बच्चों को आत्महत्या, आत्म-क्षति और भोजन संबंधी विकारों से जुड़ा कंटेंट दिखाया जा रहा है। इसके अलावा भी बच्चों तक काफी आपत्तिजनक कंटेंट पहुंच रहा है।
रिसर्च में यह भी पता चला कि इंस्टाग्राम एल्गोरिद्म, 13 साल से कम उम्र के बच्चों को भी ऐसे वीडियो पोस्ट करने के लिए प्रेरित करता है, जिन पर वयस्कों की ओर से आपत्तिजनक कमेंट्स आते हैं। इसका बच्चों पर काफी बुरा असर पड़ता है।
ब्रिटेन की मॉली रोज़ फाउंडेशन ने इसे मेटा के कॉर्पोरेट कल्चर की नाकामी बताया और कहा कि कंपनी सुरक्षा से ज़्यादा फायदे और जुड़ाव को प्राथमिकता देती है। इस फाउंडेशन की स्थापना 14 वर्षीय मौली रसेल की आत्महत्या के बाद हुई थी, जिसकी वजह ऑनलाइन हानिकारक कंटेंट माना गया था।
इंस्टाग्राम की पेरेंट कंपनी मेटा (Meta) ने इन दावों को खारिज किया है। कंपनी का कहना है कि बच्चों को इंस्टाग्राम अकाउंट्स के ज़रिए पहले की तुलना में कम हानिकारक कंटेंट दिख रहा है और अभिभावकों को बेहतर निगरानी से भी फायदा हो रहा है।
रिसर्च में स्पष्ट बताया गया है कि ऑनलाइन सेफ्टी एक्ट के तहत अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को कानूनी रूप से यह सुनिश्चित करना होगा कि बच्चों और युवाओं को आत्महत्या या आत्म-क्षति जैसी खतरनाक सामग्री से सुरक्षित रखा जाए। हालांकि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स काफी हद तक इसमें नाकाम हो रहे हैं।
Published on:
26 Sept 2025 09:59 am
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