
Iranian oil (Representational Photo)
इज़रायल (Israel) और ईरान (Iran) के बीच युद्ध खत्म हो चुका है और सीज़फायर लागू हो चुका है। दोनों देश इसका पालन भी कर रहे हैं। इस युद्ध में जितना नुकसान इज़रायल को हुआ, उससे काफी ज़्यादा नुकसान ईरान को हुआ है। ईरान को जान-माल का भारी नुकसान उठाना पड़ा है। आर्थिक नुकसान की भरपाई में ईरान को काफी समय लग सकता है। इसके लिए ईरान काफी हद तक तेल की बिक्री पर निर्भर रहेगा।
नीदरलैंड (Netherlands) के हेग (Hague) शहर में आयोजित नाटो शिखर सम्मेलन (NATO Summit) के दौरान अमेरिका (United States Of America) के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने कहा, "इज़रायल के खिलाफ ईरान ने बहादुरी से युद्ध लड़ा और ईरान को काफी नुकसान भी हुआ। ईरान, तेल बेचकर इस नुकसान की भरपाई कर सकता है। मैं चाहूं, तो उन्हें ऐसा करने से रोक हूं, लेकिन वो तेल का व्यापार करते हैं और मैं उन पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाऊंगा।"
ईरान बड़े लेवल पर तेल के व्यापार पर निर्भर करता है। ईरान से ज़्यादा तेल खरीदने के मामले में चीन (China), पाकिस्तान (Pakistan), यूएई (UAE), तुर्की (Turkey), इराक (Iraq) जैसे देश आगे हैं। चीन, ईरान से तेल खरीदने के मामले में सबसे आगे है। इन देशों के अलावा भारत (India), अज़रबैजान (Azerbaijan), ओमान (Oman), तुर्कमेनिस्तान (Turkmenistan) और आर्मेनिया (Armenia) जैसे देश भी ईरान से तेल खरीदते हैं।
ईरान की अर्थव्यवस्था में तेल का अहम योगदान है। ईरान में तेल और गैस राजस्व सरकारी आय का एक प्रमुख स्रोत है। ईरान के निर्यात पर गौर करें, तो तेल और गैस निर्यात ईरान के कुल निर्यात का बड़ा हिस्सा है। ईरान की जीडीपी के लिए तेल की बिक्री काफी अहम है। हालांकि अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण ईरान को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन अब जब ट्रंप ने कहा है कि वह, ईरान को तेल बेचने से नहीं रोकेंगे, ईरान की अर्थव्यवस्था को इससे फायदा हो सकता है, क्योंकि बिना किसी प्रतिबंध के तेल बेचने से ईरान की अर्थव्यवस्था में सुधार होगा और कुछ अन्य देश भी ईरान से तेल खरीदना शुरू कर सकते हैं। इतना ही नहीं, जो देश पहले से ईरान से तेल खरीद रहे हैं, वो ज़्यादा तेल खरीदना शुरू कर सकते हैं।
Updated on:
26 Jun 2025 12:05 pm
Published on:
26 Jun 2025 11:27 am
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