मिडिल ईस्ट (Middle East) बारूद की ढेर पर खड़ा है। हल्की सी चिंगारी से मिडिल ईस्ट को जला सकती है। इंटरनेशलन एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) की रिपोर्ट के मुताबिक ईरान (IRAN) ने गुपचुप तरीके से परमाणु बम (Nuclear Bomb) बनाने के दिशा में कई परीक्षण (Nuclear Test) किए हैं। IAEA ने कहा है कि ईरान ने हथियार ग्रेड के यूरेनियम के अपने भंडार को 60 प्रतिशत बढ़ाया है। फरवरी में यूरेनियम का भंडार 133.8 किलोग्राम था, जो कि मई में 408.6 किलोग्राम कर पहुंच गया है।
इजरायली अखबार जेरूसलम पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक IAEA की टीम ने अगस्त 2020 में परमाणु परीक्षण स्थलों का दौरा किया था, लेकिन अंतरराष्ट्रीय टीम उस बंकर तक नहीं पहुंच पायी थी, जहां से सबकुछ कंट्रोल हो रहा था। बाद में ईरान ने उन बंकरों को ध्वस्त कर दिया। रिपोर्ट में कहा गया है कि तेहरान के पास 10 परमाणु बम बनाने जितनी सामग्री उपलब्ध हो गई है।
ईरान ने 15 फरवरी-3 जुलाई 2003 के बीच दो बार इम्प्लोजन टेस्ट किए थे। ये वही तकनीक है जो परमाणु बम के कोर को ब्लास्ट करने में इस्तेमाल होती है। अमेरिकी दवाब के बाद ईरान ने परमाणु परीक्षण कार्यक्रम को शिथिल कर दिया था। अमेरिका सहित पश्चिम के देशों के साथ साल 2015 के समझौते के तहत ईरान परमाणु गतिविधि पर प्रतिबंध लगाने पर सहमत हो गया था, लेकिन साल 2018 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस समझौते से अमेरिका को अलग कर लिया। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अमेरिका के इस कदम के बाद ईरान ने परमाणु परीक्षण कार्यक्रम पर तेजी से काम शुरू किया।
ईरान और अमेरिका के बीच जारी न्यूक्लियर बातचीत पर इसका सीधा असर पड़ सकता है। माना जा रहा था कि ईरान और अमेरिका एक बार फिर न्यूक्लियर डील के बेहद करीब पहुंच गए हैं। ईरान के इस कदम से दोनों देशों के बीच माहौल बिगड़ सकता है। IAEA ने कहा कि ईरान ने एक ऐसा कोल्ड टेस्ट करने की प्लानिंग की थी जिसमें कोर में परमाणु सामग्री, प्राकृतिक या क्षीण यूरेनियम होगा।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि अगर ईरान के साथ न्यूक्लियर डील पर बातचीत नाकाम रही तो वह ईरान की परमाणु सुविधाओं को तबाह कर सकते हैं। ईरान ने एक ऐसे समय पर परमाणु परीक्षण किया है, जब अमेरिका ने हिंद महासागर में डिएगो गार्सिया द्वीप पर अपनी सैन्य तैनाती बढ़ा दी है।
डिएगो गार्सिया द्वीप अमेरिका का एक सैन्य रणनीतिक अड्डा है। जहां से अमेरिका मिडिल ईस्ट पर नजर रखता है। यहां पर अमेरिका ने बॉम्बर और F-15 फाइटर जेट्स तैनात किए हैं। इस तैनाती को ईरान पर दबाव बनाने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।
साऊदी रक्षा मंत्री मोहम्मद खालिद बिन सलमान ने हाल ही में तेहरान का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने ईरान के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की थी। सलमान ने कूटनीतिक लहजे में ईरान को चेतावनी भी दी थी कि ईरान अमेरिका के साथ चल रही न्यूक्लियर डील पर बातचीत को गंभीरता से ले, वरना इजरायल के साथ ईरान का युद्ध का खतरा बढ़ सकता है।
Updated on:
10 Jun 2025 08:25 am
Published on:
10 Jun 2025 07:41 am