31 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

अयातुल्ला खामेनेई 200 अरब डॉलर के मालिक, इजरायल बना है खून का प्यासा, ट्रंप ने भी लिया निशाने पर

Iran Israel Tension: ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई देश की सबसे ताकतवर शख्सियत हैं। वह 1989 से ईरान के सुप्रीम लीडर हैं और सेना, न्यायपालिका, मीडिया और विदेश नीति पर उनका पूर्ण नियंत्रण है।

2 min read
Google source verification

ईरान के 200 अरब डॉलर के मालिक अली खामेनेई इजरायल के निशाने पर (फोटो पत्रिका नेटवर्क)

Who is Ali Khamenei: ईरान के शीर्ष वैज्ञानिक और सेना प्रमुख को मारने के बाद अब अयातुल्ला अली खामेनेई इजरायल के निशाने पर हैं। इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू यह कहकर इरादे जाहिर कर दिए हैं कि खामेनेई को मारने के बाद संघर्ष खत्म हो जाएगा। जानिए कौन हैं ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई?

ईरान के सबसे शक्तिशाली नेता

खामेनेई ईरान के सुप्रीम लीडर हैं। सैन्य व्यवस्था से लेकर अर्थव्यवस्था तक पूरे देश में उनकी मंजूरी के बिना पत्ता तक नहीं हिलता। ईरान के सुप्रीम लीडर सशस्त्र बलों के कमांडर इन चीफ होते हैं। सुप्रीम लीडर ही ईरान की घरेलू और विदेश नीति तय करते हैं। 85 साल के खामेनेई को 1989 में ईरान के संस्थापक रूहोल्लाह खुमैनी की मृत्यु के बाद सुप्रीम लीडर चुना गया था।

खुमैनी की मौत के बाद बने सुप्रीम लीडर

खामेनेई 1962 में मोहम्मद रेजा पहलवी के खिलाफ खुमैनी के आंदोलन में शामिल हुए। कई बार जेल भी जाना पड़ा। साल 1979 में इस्लामी क्रांति के बाद पहलवी के हटने के बाद अंतरिम सरकार बनी तो खामेनेई को इसमें जगह मिली। उप रक्षा मंत्री सहित कई अहम पद संभाले। 1989 में खुमैनी की मृत्यु ने खामेनेई को देश का सर्वोच्च नेता बना दिया।

अकूल संपत्ति के मालिक

एक अमरीकी रिपोर्ट के अनुसार खामेनेई के पास 200 बिलियन डॉलर की प्रॉपर्टी है। खामेनेई के कमाई का अधिकांश हिस्सा पेट्रोलियम और गैस की कंपनियों से आता है। इसके बाद उन्हें चंदा भी मिलता है।

यह भी पढ़ें- Iran-Israel War: खामेनेई को ट्रंप की खुली धमकी- वह आसान निशाना है, पर अभी हम उसे मारने नही जा रहे

इजरायल क्यों बना जान का दुश्मन

सत्ता में आने के बाद से खामेनेई ने गाजा में हमास, लेबनान में हिजबुल्लाह और इराक में हूती आंदोलन को धार दी। इन विद्रोही गुटों के पीछे रहकर ईरान इस्लामी आंदोलन को आगे बढ़ाता रहा। इसी के चलते ईरानी शासन द्वारा समर्थित समूहों को कुचलने के लिए इजरायल ने हमले शुरू किए और तनाव बढ़ा।