
नेपाल के पूर्व पीएम केपी शर्मा ओली। (फोटो- IANS)
Nepal Protest: नेपाल में तख्तापलट के बाद केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) ने भारत विरोधी बयान दिया है। उन्होंने अपनी पार्टी CPN(UML) के महासचिव को लिखे पत्र में कहा कि अगर लिपुलेख और अयोध्या स्थित राम मंदिर पर सवाल नहीं उठाया होता तो वह पद पर बने रहते। ओली ने कहा कि संवेदनशील मुद्दों पर भारत को चुनौती देने की हिम्मत दिखाई थी। यह उसी का नतीजा है। भारत पर तीखा हमला करने कारण उन्हें सत्ता से बाहर होना पड़ा।
केपी शर्मा ओली ने आगे कहा कि अयोध्या और राम मंदिर की वजह से राजनीतिक कीमत चुकानी पड़ी है। ओली ने कहा कि मैंने अयोध्या में राम के जन्म का विरोध करने के कारण अपनी सत्ता खो दी। साथ ही, उन्होंने बताया कि वह सेना की सुरक्षा में हैं और शिवपुरी बैरक में हैं।
लिपुलेख दर्रा विवाद भारत और नेपाल के बीच सीमा विवादों में से एक है। यह दर्रा कलापानी के ईर्द गिर्द घूमता है। काली नदी के उद्गम को लेकर भी दोनों देशों के बीच असहमति है। नेपाल सरकार का कहना है कि यह नदी लिपुलेख के उत्तर पश्चिम में लिपियाधुरा से निकलती है, जिसके कारण कालापानी और लिपुलेख उसके क्षेत्र का हिस्सा है, जबकि भारत का मानना है कि कलापानी नदी का उद्गम स्थल भारत के कालापानी गांव के पास है। यह उत्तराखंड में आता है।
इससे पहले साल 2020 में केपी शर्मा ओली नेपाल के प्रधानमंत्री थे। तब उन्होंने राम मंदिर को लेकर विवादित बयान दिया था। ओली ने कहा था कि भगवान राम भारतीय नहीं, नेपाली थे। भगवान राम का राज्य अयोध्या नेपाल में बीरगंज के पश्चिम में स्थित है और भारत ने एक विवादित अयोध्या का निर्माण किया है।
Updated on:
11 Sept 2025 02:03 pm
Published on:
11 Sept 2025 08:13 am
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