
Islamic countries like Saudi Arabia UAE afraid of Abu Golani rule in Syria
Syria Civil War: सीरिया में हयात तहरीर अल-शाम (HTS) के सरगना अबू मोहम्मद अल गोलानी के कब्जे के बाद अब खाड़ी के मुस्लिम देश घबरा रहे हैं। HTS का प्रभाव मध्य पूर्व इलाके के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती बन सकता है। खास तौर पर सऊदी अरब, UAE समेत खाड़ी देशों के लिए। क्योंकि अबू मोहम्मद अल-गोलानी के संगठन का संबंध अल-कायदा से रहा है इसलिए उसकी विचारधारा दूसरे चरमपंथी समूहों को प्रेरित करती है। अब खाड़ी देशों को ये चिंता सता रही है कि इस आतंकवादी विचारधारा का विस्तार इनकी आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन सकती है। वो भी तब दुनिया का सबसे ताकतवर देश अमेरिका गोलानी का समर्थन कर रहा है।
दरअसल मिडिल ईस्ट आई की एक रिपोर्ट में ये कहा गया है कि सीरिया में विद्रोही गुट HTS के विरोध भड़काने से पहले UAE, बशर अल असद सरकार और अमेरिका के बीच बातचीत में मीडिएटर यानी मध्यस्थता की भूमिका निभा रहा था। लेकिन अभ UAE का कहना है कि अमेरिका ने तुर्की के जरिए HTS से सीधे बातचीत की है, जिससे वो नाराज है। UAE का मानना था कि वो दोनों पक्षों बातचीत करा कर किसी भी तरह सीरिया में असद की सरकार को बनाए रखना चाहता था। इस तरह अमेरिका धीरे-धीरे असद सरकार पर लदे तमाम प्रतिबंधों को भी बैन कर देता।
रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका ने UAE को धोखा देकर तुर्की से इस विरोधी गुट से बात कर रहा है। दरअसल UAE ने सीरिया की असद सरकार को बचाने के लिए और विद्रोही गुटों से लड़ने के लिए काफी वित्तीय सहायता दी है, लेकिन अब सीरिया में ना असद की सत्ता रही ना खुद असद, वे अब रूस की शरण में हैं जिससे UAE को सबसे बड़ा झटका लगा है।
UAE समेत खाड़ी देशों की चिंता का एक और बड़ा कारण शरणार्थियों की संख्या में बढ़ोतरी और धार्मिक-राजनीतिक विभाजन भी है। दरअसल सीरिया में गोलानी के प्रभाव के चलते शरणार्थियों की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है इसके अलावा सीमा सुरक्षा की परेशानी हो सकती है। इसका कारण ये है कि गोलानी और उसकी विचारधारा सुन्नी इस्लाम की चरमपंथी व्याख्या को बढ़ावा देती है। इससे खाड़ी देशों में धार्मिक तनाव और कट्टरपंथी गुटों के फिर से पैदा होने की संभावना बढ़ सकती है।
उसके अलावा खाड़ी देश अपनी स्थिरता और प्रगतिशील छवि को बढ़ावा दे रहे हैं। जैसा कि सऊदी अरब कर रहा है लेकिन HTS एक तरह के आतंकवाद को प्रचारित कर रहा है और ऐसे संगठन का समर्थन ये देश नहीं करेंगे। UAE पहले ही अमेरिका से खफा है। ऐसे में दूसरे खाड़ी देश भी अमेरिका को गोलानी के संगठन से समर्थन वापसे लेने को कह सकते हैं। खाड़ी देशों ने अमेरिका से HTS और अबू गोलानी से समर्थन वापस लेने की मांग उठा सकते हैं।
ये देश अमेरिका से ऐसे नेटवर्क, देशों और वित्तीय प्रणालियों पर कार्रवाई करने की अपील कर सकते हैं। क्योंकि यहां से गोलनी के संगठन को पसे देते हैं। ये खाड़ी देश, अमेरिका से अपने सहयोगियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और चरमपंथी समूहों के खिलाफ खाड़ी देशों को सैन्य एवं खुफिया सहयोग प्रदान करने की अपील तकर रहे हैं।
हालांकि अमेरिका ने सीरिया और आसपास के क्षेत्रों में अपनी सैन्य और खुफिया मौजूदगी बनाए रखने की जरूरत पर जोर दे सकती है ताकि चरमपंथी गतिविधियों पर निगरानी रखी जा सके। गोलानी और उसका संगठन HTS खाड़ी क्षेत्र और व्यापक मध्य पूर्व की स्थिरता के लिए एक प्रमुख खतरा हैं। इस चुनौती से निपटने के लिए खाड़ी देशों और अमेरिका को मिलकर काम करना होगा।
Published on:
12 Dec 2024 12:04 pm
बड़ी खबरें
View Allविदेश
ट्रेंडिंग
