Israel-Iran War: इजरायल का ईरान पर हमला किसी जासूसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। इस युद्ध की पटकथा को इजरायली मेजर जर्नल ओडेड बासुयिक (Oded Basiuk) ने बड़े इत्मिनान से तैयार किया। जिसे ईरान (Iran) के लिए समझ पाना नामुमकिन साबित हुआ। इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू (Israeli PM Benjamin Netanyahu) के बेटे शादी और इजरायली हमले से कुछ दिन पहले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (US President Donald Trump) का 'अमेरिका और ईरान समझौते के काफी करीब' बयान एक मायाजाल की तरह था।
ईरान में इस्लामिक क्रांति (1979) के बाद से ही इजरायल अपनी नजर बनाए हुए था। वह ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अलर्ट था। जैसे ही इजरायल को भनक लगी कि ईरान परमाणु संवंर्धन (Nuclear Enrichment) को इस स्तर पर ले जा चुका है, जहां से वह बम महज कुछ दिन में तैयार कर लेगा। इजरायल ने हमला कर दिया और ईरान के परमाणु कार्यक्रम को दशकों पीछे ढकेल दिया।
इजरायली सैन्य अधिकारियों ने ईरान के शीर्ष कमांडरों को खत्म करने के लिए 13 जून को ऑपरेशन रेड वेडिंग को अंजाम दिया, जबकि इजरायली खुफिया एजेंसी ऑपरेशन नॉर्निया के तहत ईरान के परमाणु वैज्ञानिकों की टारगेट कीलिंग को अंजाम दे रही थी।
अमेरिकी अखबरा द वॉल स्ट्रीट जर्नल को इजरायली सैन्य संचालन निदेशालय के प्रमुख और हमले के योजनाकार मेजर जनरल ओडेड बसियुक ने कहा कि 1990 के दशक में हमें यह पता लगा कि ईरान गुप्त तरीके से परमाणु हथियार विकसित करने की कोशिश कर रहा है। इसके बाद से हमने ईरान में जासूसों का विशाल जाल बनाना शुरू किया। हमने ईरान को परमाणु बम बनाने से रोकने के लिए कई उपाय किए। परमाणु संवंर्धन केंद्रों पर दो बम विस्फोट किए।
ईरान के परमाणु वैज्ञानिकों की टारगेट कीलिंग की, लेकिन इस सब के बावजूद ईरान में परमाणु कार्यक्रम जारी रहा। इसके बाद हमें समझ आया कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को जड़ से ही खत्म करना होगा। कई बार इजरायल, ईरान पर फुल फ्लेज्ड वार के करीब पहुंच गया, लेकिन हमला नहीं किया। इजरायली सरकार को डर था कि इस कदम से अमेरिका-इजरायल संबंध में खटास आ जाएगी।
ओडेड बसियुक बताते हैं कि 7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा इजरायल पर किए गए हमले के बाद से सबकुछ बदल गया। इजरायल ने सैन्य कार्रवाई करते हुए हमास को पूरी तरह कुचल दिया। लेबनान में भी ईरान समर्थित हिज्बुल्लाह को कमजोर कर दिया। इस दौरान सीरिया में विद्रोही गुट हावी हो गए। उन्होंने ईरान समर्थित बसर अल असद सरकार का तख्तापलट कर दिया। इस घटना ने इजरायली फाइटर जेट के लिए सीरियाई एयर स्पेस के दरवारे खोल दिए।
बीते 35 सालों में इजरायल का जासूसी नेटवर्क ईरान में बेहद मजबूत हो चुका था। मोसाद के एजेंट ईरानी सैन्य नेताओं की हर गतिविधि पर नजर बनाए हुए थे। इजरायली जासूस ईरान में ड्रोन बेस स्थापित कर चुके थे। ये ड्रोन बेस ईरानी एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह करने के लिए काफी थे। इजरायल ने अप्रैल और अक्टूबर 2024 के दो हमलों में तेहरान की सबसे उन्नत एयर डिफेंस सिस्टम को पहले ही पंगु बना दिया था।
साल 2024 समाप्त होने वाला था। मोसाद को खुफिया जानकारी मिली कि ईरान ने हथियार-स्तर के स्तर तक यूरेनियम को समृद्ध करना शुरू कर दिया है। ईरान परमाणु बम बनाने से बस कुछ ही महीने दूर रह गया है। इसके बाद इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद ने एक किल लिस्ट तैयार की। परमाणु सुविधाओं, मिसाइल साइटों, वरिष्ठ सैन्य कमांडरों और प्रमुख वैज्ञानिकों सहित 250 लक्ष्यों की पहचान की गई।
इस काम को सटीक तरीके से करने के लिए मारक क्षमता 100 फीसदी होने की जरूरत थी। मोसाद के एजेंटों ने सैकड़ों क्वाडकॉप्टर ड्रोन की तस्करी की। उन्हें सामान, शिपिंग कंटेनर और ट्रकों में छिपाकर ईरान लाया गया। उन्हें गुप्त स्थानों पर विस्फोटकों से लैस किया गया। ईरानी एयर डिफेंस सिस्टम के पास गुप्त टीमें तैनात की गईं, जो ऑपरेशन की हरी झंडी मिलते ही अटैक करने के लिए तैयार बैठी हुई थीं। उन्होंने कहा कि 9 जून को अटैक की हरी झंडी मिली।
इजरायली सेना ने हमला करने से पहले यह सुनिश्चित किया कि ईरान के शीर्ष अधिकारी कहीं बिखर न जाए, इसके लिए मायाजाल बुना गया। पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने सार्वजनिक रूप से दिखावा किया कि वह अपने बड़े बेटे की शादी के लिए छुट्टी ले रहे हैं, जबकि उनके परिवार में किसी को भी नहीं मालूम था कि शादी की डेट आगे बढ़ने वाली है। फिर मोसाद ने नेतन्याहू और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच दरार वाली एक रिपोर्ट लीक की। इसमें ट्रंप ने नेतन्याहू को एकतरफा हमले के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी। हमले की सुबह डोनाल्ड ट्रंप ने मीडिया के सामने कहा कि अमेरिका और ईरान समझौते के काफी करीब हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका नहीं चाहता कि न्यूक्लियर डील में इजरायल शामिल हो।
एक इजरालयी सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि ईरानियों के दिमाग में यह बात डालना जरूरी था कि इजरायल अमेरिकी अनुमति के बिना उन पर कभी हमला नहीं करेगा। इस दौरान इजरायली वायु सेना के कई लड़ाकू विमान ईरान पर हमला करने के लिए उड़ान भर चुके थे।
ऑपरेशन रेड वेडिंग को ईरान की सैन्य नेतृत्व को कुचलने के लिए इस तरह डिजाइन किया गया था कि इजरायली हमले के बाद वह जवाबी हमला न कर पाए। इजरायली जेट्स और ड्रोन को ईरान की एयर डिफेंस को नष्ट करने का काम सौंपा गया।
इस क्रम में ईरान की एयरफोर्स अचानक सक्रिय हो गई। इजरायली खुफिया एजेंसी को एक पल के लिए लगा कि उनका भेद खुल गया है, लेकिन इसके बजाय ईरान के सैन्य नेता अनजाने में एक जगह इकट्ठा हो गए और आसानी से इजरायल के टारगेट बन गए।
इधर, ऑपरेशन नार्निया के तहत इजरायल ने ईरान के 9 शीर्ष परमाणु वैज्ञानिकों को अपना निशाना बनाया। इजरायली हमले में उनके घर मलबे में तब्दील हो गए। मोसाद ने तेलअवीव को सूचना दी कि सभी प्राइम टारगेट मारे गए हैं। इसके बाद के दिनों में इजरायली युद्धक विमानों ने ईरान की परमाणु सुविधाओं, बैलिस्टिक मिसाइल कारखानों, प्रक्षेपण स्थलों और शेष नेतृत्व पर लगातार बमबारी की। मंगलवार तक दोनों देशों के बीच युद्धविराम की घोषणा कर दी गई।
Updated on:
28 Jun 2025 12:36 pm
Published on:
28 Jun 2025 12:32 pm