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ईरान से ‘निपटने’ के लिए इजरायल ने हिजबुल्लाह को किया ‘बाहर’, आखिर क्या है नेतन्याहू का प्लान

Israel Iran: बीते 14 महीने से चल रहे लेबनान में हिजबुल्लाह और इजरायल के संघर्ष के दौरान अब तक करीब 3900 लोग इस मारे जा चुके हैं। तो उधर हमास ने भी युद्धविराम की मांग की है।

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Iran Israel Relation

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Israel Iran: लेबनान और इजरायल के बीच संघर्षविराम हो चुका है। इसे मध्य पूर्व में शांति की तरफ बढ़ते कदम के तौर पर देखा जा रहा है। इसी के साथ दोनों पक्षों के बीच करीब 14 साल से चले आ रहे संघर्ष पर विराम लग गया। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) ने साफ-साफ कह दिया है कि हिजबुल्लाह के बाद अब ईरान से निपटने का वक्त आ गया है। वहीं लेबनान में सीजफायर के बाद हमास ने मांग उठाई है कि अब गाजा (Gaza) में भी युद्धविराम होना चाहिए। वहीं अब एक सबसे बड़ा सवाल अभी भी बना हुआ है कि क्या तीसरे विश्व युद्ध (Third World War) की संभावनाओं के इस दौर में इजरायल ने शांति के लिए जो कदम उठाया है उससे क्या वाकई में शांति आ सकती है।

क्या हैं इजरायल की शर्तें

दरअसल इजरायल और हिजबुल्लाह ने कुछ शर्तों पर सीजफायर किया है। इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच युद्धविराम क्षेत्र में स्थाई शांति के लिए है। इसके अंतर्गत इजरायली सेना को 60 दिनों के अंदर लेबनान को छोड़ना है। दूसरा इन दोनों के समझौते के अंतर्गत 2006 में संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता में जिस अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सहमति बनी थी, उसे फिर से बहाल किया गया। इसके अंतर्गत 60 दिनों की अवधि के अंदर लिटानी नदी से दक्षिण की ओर हिजबुल्लाह के सभी लड़ाकू और हथियार हटाए जाएंगे और दोनों देशों के बीच एक सीमा रेखा खींची जाएगी। हिजबुल्लाह के लड़ाकों की जगह 33 पोस्ट स्थापित कर यहां लेबनानी सेना के करीब 5000 सैनिक तैनात होंगे।

अब तक लगभग 4000 लोगों की मौत

बता दें कि बीते 14 महीने से चल रहे लेबनान में हिजबुल्लाह और इजरायल के संघर्ष के दौरान अब तक करीब 3900 लोग इस मारे जा चुके हैं। इसके बाद हुए सीजफायर को लेकर इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने 3 वजहें गिनाई हैं। पहला ईरान पर फोकस, दूसरा नए सिरे से हथियार जुटाते हुए सेना को कुछ आराम देना और हमास को अलग-थलग करना। अब अगर दोनों पक्ष समझौते पर अमल की ईमानदार कोशिश करते हैं तो इलाके में शांति आ सकती है।

हमास ने भी की गाज़ा में युद्धविराम की मांग

हिजबुल्लाह जैसे अहम सहयोगी के इस तरह से समर्पण के बाद हमास ने भी बंधकों को छोड़ने के बदले में गाजा में युद्ध विराम की मांग के बारे में अपने कतर, मिस्र और तुर्की में मौजूद मध्यस्थों को बता दिया है। बता दें कि इस समझौते की घोषणा अमेरिका, इजरायल और फ्रांस की तरफ से संयुक्त रूप से की गई। समझौते की जानकारी देते हुए नेतन्याहू ने स्पष्ट कर दिया कि अब उनका फोकस ईरान से निपटने पर होगा। अमेरिका की मध्यस्थता से हुए इस समझौते के बारे में बताते हुए राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि समझौते के अंतर्गत 60 दिनों में चरणबद्ध तरीके से लेबनान से इजरायली सेना की वापसी होगी। समझौते के तहत, अब हिजबुल्लाह नहीं बल्कि लेबनानी सेना ही देश के दक्षिणी क्षेत्र पर नियंत्रण हासिल करेगी।

पश्चिम एशिया में लौट सकेगी शांति

इस तरह यह सुनिश्चित किया गया है कि हिजबुल्लाह फिर से अपनी सेना का पुनर्निर्माण न कर सके। बाइडन ने कहा, उनका लक्ष्य वैमनस्यता को स्थाई रूप से मिटाने पर है। इस तरह से बुधवार की सुबह पश्चिम एशिया में शांति के सूर्योदय के साथ होने के संकेत मिले हैं। अहम अरब देश जैसे कतर, सऊदी अरब और यूएई ने भी इस समझौते का स्वागत किया है। लेबनान के प्रधानमंत्री नजीब मिकाती ने कहा है कि यह समझौता देश में शांति और स्थिरता के लिए बुनियादी कदम है। इससे विस्थापित हो गए लोग अपने घरों को लौट सकेंगे।

सीज फायर से पहले इजरायल ने किए 2 मिनट में 20 हमले, 42 की मौत

हिजबुल्लाह के साथ युद्ध विराम लागू होने से कुछ घंटे पहले ही इजरायल ने हिजबुल्लाह पर अब तक सबसे तेज हमला बोला। इजरायल ने 2 मिनट की अवधि में ही बेरूत और उसके दक्षिणी उपनगरों में 20 से ज्यादा स्थानों पर हवाई हमे किए। इन हमलों में कम से कम 42 लोग मारे गए। युद्ध विराम की घोषणा के तुरंत बाद भी बेरूत में एक बड़ा हवाई हमला किया गया।

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