
Netanyahu arrives in Hungary
Netanyahu Arrest Warrant: इज़राइल (Israel) के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट पहुंचने के कुछ घंटों बाद ही हंगरी (Hungary) ने इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ( ICC) से बाहर निकलने का निर्णय लिया है। यह घटना तब हुई जब आईसीसी (ICC) ने नेतन्याहू के खिलाफ ग़ाज़ा में युद्ध अपराधों के आरोप में गिरफ़्तारी वारंट (Arrest Warrant) जारी किया था। आईसीसी (ICC) का सिग्नेटरी सदस्य होने के कारण, अगर हंगरी ICC का सदस्य बना रहता, तो उसे नेतन्याहू (Netanyahu) को गिरफ्तार करना पड़ता। इस धर्मसंकट से बचने के लिए हंगरी ने यह क़दम उठाया। अब अगर कोई देश यह कहे कि अरेस्ट वारंट जारी होने के बावजूद उसने नेतन्याहू को गिरफ़्तार नहीं किया तो वह यह कह पल्ला झाड़ सकता है कि वह तो इस कोर्ट का सदस्य ही नहीं है।
इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) ने 2023 में ग़ाज़ा में इज़राइल की ओर से की गई सैन्य कार्यवाहियों के लिए नेतन्याहू और अन्य इज़राइली अधिकारियों के खिलाफ युद्ध अपराधों का आरोप लगाया था। ICC का आरोप है कि इज़राइल ने नागरिकों के खिलाफ अनावश्यक हिंसा और हमले किए थे, जिनमें बड़ी संख्या में निर्दोष लोग मारे गए थे। नेतन्याहू के खिलाफ इस मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था, जिसमें इज़राइल के प्रधानमंत्री को आईसीसी के ICC के न्यायालय में पेश होने का आदेश दिया था।
हंगरी ने नेतन्याहू के बुडापेस्ट पहुंचने के बाद अपने अंतरराष्ट्रीय कानूनी दायित्वों को ध्यान में रखते हुए ICC से बाहर निकलने का निर्णय लिया। हंगरी ने यह स्पष्ट किया कि वह ICC के दायित्वों से मुक्त होने के बाद, नेतन्याहू को गिरफ्तार करने का कोई प्रयास नहीं करेगा। यह कदम हंगरी के लिए राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण था, क्योंकि हंगरी और इज़राइल के बीच गहरे कूटनीतिक संबंध हैं। हंगरी का यह निर्णय यूरोपीय यूनियन में विवाद का कारण बन सकता है, क्योंकि ICC के सदस्य देशों से बाहर जाना एक गंभीर और विवादास्पद कदम है।
ICC एक अंतरराष्ट्रीय न्यायालय है, जिसका उद्देश्य युद्ध अपराधों, मानवता के खिलाफ अपराधों और नरसंहारों के मामलों की जांच करना और उन अपराधों के दोषियों को दंडित करना है। हालांकि हंगरी, एक EU सदस्य देश है, जो ICC का सदस्य था, अब उसका इस कोर्ट से बाहर निकलना यूरोपीय संघ के कानूनी ढांचे और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार नीतियों के प्रति उसकी प्रतिबद्धता पर सवाल उठा सकता है। यह कदम विशेष रूप से उस समय आया है, जब EU और ICC के अन्य सदस्य देशों के साथ हंगरी के रिश्ते पहले से ही तनावपूर्ण रहे हैं।
गौरतलब है इज़राइल और हंगरी के बीच अच्छे कूटनीतिक और व्यापारिक रिश्ते हैं। हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान के इज़राइल के साथ मधुर संबंध है, और उनका नेतृत्व इज़राइल के प्रति सहानुभूति रखता है। हंगरी ने इज़राइल के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों में हमेशा पक्ष लिया है और इज़राइल के खिलाफ होने वाली आलोचनाओं का भी विरोध किया है। हंगरी का यह कदम इज़राइल के लिए एक कूटनीतिक समर्थन के रूप में देखा जा रहा है, जो आईसीसी ICC की ओर से नेतन्याहू पर लगाए गए आरोपों को नकारने का एक तरीका है।
यह कदम न केवल इज़राइल और हंगरी के रिश्तों को और मजबूत करता है, बल्कि हंगरी के लिए भी एक चुनौतीपूर्ण स्थिति है। हंगरी का आईसीसी( ICC) से बाहर निकलने का निर्णय यूरोपीय संघ के अन्य देशों और वैश्विक समुदाय की आलोचना का कारण बन सकता है, जो उसे अंतरराष्ट्रीय न्याय और मानवाधिकारों के प्रति हंगरी की प्रतिबद्धता के खिलाफ माना जा सकता है। इससे पहले भी हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान ने यूरोपियन यूनियन (EU) की नीतियों के खिलाफ कई बार अपनी पोजीशन के बार में कहा था, जिससे EU के अन्य सदस्य देशों के साथ उनके संबंधों में खटास आई है।
बहरहाल इस घटना से यह स्पष्ट है कि हंगरी अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और कूटनीतिक हितों को प्राथमिकता देते हुए आईसीसी ICC से बाहर निकलने का क़दम उठाया है। इसने न केवल आईसीसी ICC की कार्यवाही पर सवाल उठाया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भी एक नया ट्विस्ट आया है। यह देखना होगा कि भविष्य में इस कदम का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खासकर यूरोपीय संघ और ICC के साथ हंगरी के संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
Updated on:
03 Apr 2025 08:10 pm
Published on:
03 Apr 2025 03:33 pm
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