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पुतिन ने भी बिडेन को दिया उन्हीं की भाषा में जवाब, अमरीकी दूतावास के कुछ कर्मचारियों को दो महीने में छोड़ना होगा रूस

Published: Dec 02, 2021 07:11:11 pm

Submitted by:

Ashutosh Pathak

रूस के विदेश मंत्रालय ने अमरीका को अल्टीमेटम दिया है। रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जराखोवा ने कहा है कि मास्को स्थित अमरीकी दूतावास में नियुक्त कुछ कर्मचारियों को अगले दो महीने में देश छोड़कर जाना होगा। मारिया ने अमरीका को एक और झटका देते हुए यह चेतावनी भी दी है कि यदि वह अपनी कार्यशैली में सुधार नहीं करता तो जुलाई 2022 तक भी कुछ और कर्मचारियों को रूस छोड़कर जाना होगा।
 

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नई दिल्ली।

रूस ने भी अमरीका को उसी की भाषा में जवाब देकर अपने अपमान का बदला ले लिया है। रूस के विदेश मंत्रालय ने अपने राजनयिकों के निष्कासन के अमरीकी फैसले पर जवाबी कार्रवाई करते हुए रूस में अमरीकी दूतावास में तैनात कुछ कर्मचारियों को दो महीने के भीतर देश छोड़कर जाने का अल्टिमेटम दिया है। रूस के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी निर्देशों में कहा गया है कि अमरीकी दूतावास में नियुक्त ऐसे कर्मचारियों को अगले दो महीने में रूस छोड़कर जाना होगा, जो यहां तीन साल से अधिक समय से काम कर रहे हैं। रूसी विदेश मंत्रालय की ओर से अमरीका को चेतावनी दी गई है कि वह अपनी कार्यशैली में सुधार करें। यदि ऐसा नहीं किया गया तो जुलाई 2022 तक अमरीकी दूतावास में नियुक्त कई और कर्मचारियों को रूस छोड़कर जाना होगा।
दरअसल, रूसी विदेश मंत्रालय की ओर से रूसी् के राजनयिकों को निष्कासित किए जाने के अमरीका के फैसले पर जवाबी कार्रवाई की है। रूस ने अपने जवाब में कहा है कि अमरीकी दूतावास के कुछ कर्मचारियों को अगले दो महीने में रूस छोड़कर जाना होगा। रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने अपनी साप्ताहिक ब्रीफिंग में कहा कि 31 जनवरी 2022 तक मास्को स्थित अमरीकी दूतावास में नियुक्त ऐसे कर्मचारियों को जो तीन साल से अधिक समय से काम कर रहे हैं, उन्हें रूस छोड़ देना चाहिए। मारिया जखारोवा ने चेतावनी वाले लहजे में कहा कि यदि अमरीका अपनी नीति में सुधार नहीं करता है, तो अमरीकी राजनयिकों के एक और बैच को 1 जुलाई 2022 तक रूस छोड़कर जाना होगा।
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समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, अमरीका ने इससे पहले 55 रूसी राजनयिकों को 30 जनवरी 2022 और 30 जून 2022 तक दो बैचों में देश छोड़ने के लिए कहा था। माना जा रहा है कि रूस ने इसके जवाब में यह कदम उठाया है। रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने अपने ब्रीफिंग में कहा कि अमरीका की ओर से लगाए गए प्रतिबंध राजनयिक मानदंडों के खिलाफ थे और एक देश के संप्रभु अधिकार पर एक स्पष्ट अतिक्रमण थे।
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि वाशिंगटन ने इस मुद्दे का रचनात्मक समाधान खोजने के रूस के प्रयासों को नजरअंदाज कर दिया, जिससे मास्को को पारस्परिक प्रतिक्रिया लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। मारिया जखारोवा ने कहा कि रूस अमरीका की इस कार्रवाई को निष्कासन के तौर पर देखता है, इसलिए रूस भी उसी तरह अमरीका को जवाब देगा।
हाल ही में अमरीका में नियुक्त रूस के राजदूत एनातोले एंतोनोव ने कहा था कि 30 जनवरी तक रूस के 27 राजनयिकों को देश छोड़ना होगा और इसके छह माह बाद इतनी ही संख्या में राजनयिकों को फिर जाना होगा। उन्होंने अमरीकी विदेश मंत्रालय के उस तर्क को भी खारिज कर दिया था कि रूस के राजनयिकों को अमरीका से इसलिए जाना होगा क्योंकि उनकी वीजा अवधि खत्म हो रही है। उन्होंने कहा कि वीजा बढ़ाने से अमरीका का इंकार राजनयिकों के निष्कासन के तौर पर देखा जाएगा। रूस के उप विदेश मंत्री यूरी रियाबकोव ने अमरीका के कदम को राजनयिक मिशनों का विध्वंस करार दिया था।
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बता दें कि क्रीमिया पर रूस की ओर से किया गया कब्जा और यूक्रेन के राष्ट्रपति चुनाव में रूस द्वारा किया गया हस्तक्षेप तथा हैकिंग जैसे आरोपों के कारण अमरीका और रूस के संबंधों में काफी तल्खी आई है और दोनों ने एक दूसरे के राजनयिकों को निकालने तथा पाबंदियां लगाने जैसे कई कदम उठाए हैं।

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