
Political Drama in Nepal
Nepal: नेपाल के 16 साल के लोकतंत्र में 11वीं सरकार बनने की ओर है। नेपाल में 2008 में 239 साल पुरानी राजशाही व्यवस्था खत्म कर लोकतंत्र आया था, तब से इस हिमालयी प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता का दौर जारी है। बुधवार को केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सीपीएन-यूएमएल ने पुष्प कमल दहल के नेतृत्व वाली सरकार से औपचारिक रूप से अपना समर्थन वापस लेने का फैसला किया।
गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी की ओर से समर्थन वापस लेने के कारण अब प्रधानमंत्री पुष्प कलम दहल प्रचंड के नेतृत्व वाली 4 माह पुरानी सरकार अल्पमत में आ गई है। नेपाल की संसद में सीपीएन-यूएमएल के 77 सदस्य हैं, सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के पास 89 सीटें हैं, जबकि प्रचंड की सीपीएन (माओवादी सेंटर), जो सदन में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है, के पास केवल 32 सीटें हैं।
प्रचंड को सत्ता में बने रहने के लिए अब 30 दिनों के भीतर संसद से विश्वास मत हासिल करना होगा और वर्तमान राजनीतिक समीकरण को देखते हुए उनके विश्वास मत जीतने की संभावना नहीं है। इसके बावजूद दहल ने इस्तीफा देने से इंकार कर दिया है, जिससे टकराव बढ़ने की आशंका बढ़ गई है।
गौरतलब है कि, नेपाली कांग्रेस और सीपीएनयूएमएल के बीच हुई इस साझेदारी पर राजनीतिक गलियारों में लोगों की राय बंटी हुई है। इसकी वजह है कि ये दोनों राजनीतिक दल एक-दूसरे के कट्टर प्रतिद्वंद्वी हुआ करते थे। मगर अब दोनों एक साथ आ गए हैं। दोनों में समझौते के अनुसार, बचे हुए संसद के कार्यकाल के आधे-आधे समय दोनों दलों के पीएम रहेंगे। पहले ओली के पीएम बनने की चर्चा है।
Published on:
04 Jul 2024 10:15 am
बड़ी खबरें
View Allविदेश
ट्रेंडिंग
