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नेपाल में फिर उठी राजतंत्र की मांग: 17 साल में 14 सरकारों से नाराज़ जनता 15 वीं सरकार में अब राजा की वापसी चाहती है!

Nepal Monarchy Demand: नेपाल में बार-बार सरकार बदलने और राजनीतिक अस्थिरता से परेशान जनता अब फिर से राजशाही की मांग कर रही है।

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भारत

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MI Zahir

Sep 09, 2025

\Nepal Monarchy Demand: नेपाल एक बार फिर बड़े राजनीतिक बदलाव (Nepal Political Crisis 2025) की ओर बढ़ रहा है। 2008 में जब राजशाही खत्म हुई थी, तो लोगों को लोकतंत्र से काफी उम्मीदें थीं। लेकिन अब, 17 साल बाद, एक बार फिर सड़कों पर “राजा वापस लाओ” की मांग(Nepal Monarchy Demand) गूंज रही है। वे राजा ज्ञानेंद्र की वापसी (King Gyanendra Return) चाहते हैं। आखिर ऐसा क्या हुआ कि नेपाल में जनता लोकतंत्र से निराश होकर फिर से राजतंत्र की ओर लौटना चाहती है? दरअसल नेपाल में 2008 के बाद लोकतंत्र की स्थापना तो हुई, लेकिन स्थिरता नहीं आई। इन 17 वर्षों में देश में 14 बार सरकारें बदल चुकी हैं। हर नई सरकार ने अलग वादे किए, लेकिन आम जनता की समस्याएं जस की तस रहीं — बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, महंगाई और अराजकता। इस अस्थिरता ने जनता को सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या 239 साल पुरानी राजशाही ही बेहतर थी?

काठमांडू में हिंसक प्रदर्शन, राजा ज्ञानेंद्र के समर्थन में नारे

28 मार्च 2025 को काठमांडू की सड़कों पर भारी भीड़ उमड़ पड़ी। लोगों ने ‘हिंदू राष्ट्र बनाओ’ और ‘राजा वापस लाओ’ जैसे नारे लगाए। इस प्रदर्शन के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई, जिसमें 2 लोगों की मौत और कई घायल हो गए। हालात को संभालने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े।

नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं

प्रदर्शन का नेतृत्व उन संगठनों ने किया जो नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र और राजशाही में बदलने की मांग कर रहे हैं। खास बात यह है कि इनमें बड़ी संख्या में युवा भी शामिल थे। नेपाल कभी दुनिया का एकमात्र हिंदू राष्ट्र हुआ करता था। 2008 में इसे धर्मनिरपेक्ष देश घोषित किया गया। लेकिन पिछले कुछ सालों से जनता के एक हिस्से में यह भावना मजबूत होती जा रही है कि नेपाल की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को बचाने के लिए राजशाही और हिंदू राष्ट्र की वापसी जरूरी है।

क्यों लौट रही है ‘राजा साहब’ की मांग ?

राजनीतिक अस्थिरता: बार-बार सरकार बदलने से जनता का भरोसा उठ चुका है।

भ्रष्टाचार: लोकतांत्रिक सरकारों के बावजूद भ्रष्टाचार कम नहीं हुआ।

राष्ट्रीय पहचान का संकट: कई लोगों को लगता है कि धर्मनिरपेक्षता के नाम पर नेपाल की परंपरागत पहचान मिटाई जा रही है।

राजा ज्ञानेंद्र की लोकप्रियता: कुछ वर्गों में अब भी पूर्व राजा के प्रति सम्मान है और उन्हें स्थायित्व का प्रतीक माना जा रहा है।

अब आगे क्या होगा ?

बहरहाल फिलहाल, नेपाल में लोकतंत्र कायम है, लेकिन जनता के बीच बढ़ता असंतोष आने वाले समय में बड़ी राजनीतिक हलचल ला सकता है। भारत सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी इस स्थिति पर नजर बनाए हुए है, क्योंकि नेपाल में अस्थिरता का असर पूरे दक्षिण एशिया में महसूस किया जा सकता है।