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शपथ लेने के बाद श्रीलंका के नए पीएम का आया रिएक्शन, भारत के लिए कही ये बात

भारत समर्थक के रूप में चर्चित रानिल विक्रमसिंघे श्रीलंका ने नए प्रधानमंत्री बन गए हैं। रानिल विक्रमसिंघे ने आज शाम 6ः30 बजे प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। रानिल इससे पहले 4 बार देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। रानिल के पीएम बनने से उम्‍मीद है कि भारत के साथ रिश्‍ते और ज्‍यादा मधुर होंगे।

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शपथ लेने के बाद श्रीलंका के नए पीएम का आया रिएक्शन, भारत के लिए कही ये बात

शपथ लेने के बाद श्रीलंका के नए पीएम का आया रिएक्शन, भारत के लिए कही ये बात

सबसे भीषण आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका में रानिल विक्रमसिंघे नए प्रधानमंत्री बने हैं। पीएम बनें रानिल विक्रमासिंघे ने वादा किया है कि वह देश की संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था को ऊपर उठाने की पूरी कोशिश करेंगे। इसी के साथ गुरुवार को श्रीलंका के नए प्रधान मंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद रानिल विक्रमसिंघे ने अपनी पहली टिप्पणी में कहा कि भारत के साथ द्वीप राष्ट्र के संबंध पिछली सरकार की तुलना में 'बहुत बेहतर' होंगे। विक्रमसिंघे ने यह भी कहा कि उन्होंने अर्थव्यवस्था के उत्थान की चुनौती ली है और इसे पूरा करेंगे।

रानिल विक्रमसिंघे ने कहा, "मैंने अर्थव्यवस्था को ऊपर उठाने की चुनौती स्वीकार की है और मुझे इसे पूरा करना होगा।" भारत-श्रीलंका संबंधों के बारे में पीएम ने कहा, "यह बहुत बेहतर हो जाएंगे।" देश की सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे लोगों के बारे में पीएम ने कहा, "उन्हें ठहरना चाहिए, हम चाहते हैं कि वे थम जाएं, अगर वे बात करना चाहते हैं तो हम तैयार है।"

बता दें, 73 वर्षीय यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के नेता को राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने बुधवार को बंद कमरे में चर्चा के बाद प्रधान मंत्री के रूप में नियुक्त किया। श्रीलंका के चार बार प्रधानमंत्री रह चुके विक्रमसिंघे को अक्टूबर 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने प्रधानमंत्री पद से हटा दिया था। हालांकि दो महीने बाद ही सिरीसेना ने उन्हें इस पद पर बहाल कर दिया था।

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70 के दशक में रानिल ने राजनीति में कदम रखा और पहली बार 1977 में सांसद चुने गए थे। 1993 में पहली बार PM बनने से पहले रानिल उप विदेश मंत्री, युवा और रोजगार मंत्री सहित कई और मंत्रालय संभाल चुके हैं। वह संसद में दो बार विपक्षी नेता की भूमिका निभा चुके हैं। बता दें, रानिल विक्रमसिंघे को भारत समर्थक माना जाता है। वह भारत के साथ संबंध प्रगाढ़ करने के प्रबल हिमायती रहे हैं। पड़ोसी देश भारत के प्रति किसी तरह का पूर्वग्रह नहीं रखते।

आपको बता दें, 1948 में ब्रिटेन से आजादी के बाद से श्रीलंका अपने सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। मगर आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को नया प्रधानमंत्री मिलने के साथ आर्थिक सुधार के संकेत मिले हैं। यहां स्टॉक एक्सचेंज में तीन प्रतिशत का उछाल आया है।

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