
टोक्यो. चिकित्सा क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए जापान के योशिनोरी ओसुमी को 2016 का नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा सोमवार को हुई। ओसुमी जापान के प्रसिद्ध सेल बायोलॉजिस्ट हैं।
ओशिनोरी ने मीडिया से कहा कि नोबेल मिलने की खबर से मैं काफी चकित रह गया। मुझे जब इस बात की सूचना मिली तब मैं लैब में था। उन्हें मैकेनिज्म फॉर ऑटोफेगी के क्षेत्र में शोध के लिए यह नोबेल दिया है।
ये पुरस्कार उन्हें कोशिकीय तत्वों के टूटने और दोबारा बनने की प्रणाली खोजने के लिए दिया जा रहा है। पुरस्कार के तहत उन्हें 9.33 लाख डॉलर की राशि दी जाएगी। स्वीडन के कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट में नोबेल असेंबली के दौरान घोषणा की गई।
क्या है ऑटोफेगी
ऑटोफेगी एक शारीरिक प्रक्रिया है जो शरीर में कोशिकाओं के हो रहे क्षरण से मुकाबला करती है। ऑटोफेगी यानि कोशिकाओं की रिसाइक्लिंग का विज्ञान। ऑटोफेगी का शाब्दिक अर्थ होता है "खुद को खाना।"
इसका तात्पर्य शरीर की कोशिकाओं में होने वाली उस प्रक्रिया से है जिसके बारे में 1960 के दशक में ही पता चल गया था। ओसुमी ने उस जीन्स का पता लगाया है जो कोशिका के स्तर पर इसे नियंत्रित करती हैं।
पहले बेकर यीस्ट और पिर इंसान की कोशिका में उन्होंने इस सफाई और मरम्मत के काम को प्रदर्शित कियायोशिनोरी ने इसकी खोज की है कि कैसे शरीर की सेल्स खुद को डिटॉक्सीफाय करते हुए ठीक होती है।
चिकित्सा में 107वें विजेता हैं ओसुमी
ओसुमी का जन्म 1945 में जापान के फुकुओका में हुआ था। अभी वो टोक्यो इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में प्रोफेसर हैं। वो चिकित्सा के क्षेत्र में अब तक 107वें नोबेल विजेता हैं। पिछले साल तीन वैज्ञानिकों को साझा तौर पर चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार दिया गया है। उन्हें मलेरिया और गर्म इलाकों में पाई जाने वाली बीमारियों का इलाज खोजने के लिए ये पुरस्कार दिया गया था।
115 साल पहले शुरू हुआ था नोबेल का सिलसिला
दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार देने का सिलसिला 1901 में शुरू हुआ था। ये पुरस्कार डायनामाइट के आविष्कारक और कारोबारी अल्फ्रेड नोबल की वसीयत और उनके नाम पर दिए जाते हैं।
Published on:
04 Oct 2016 08:08 am
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