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रूस की जंग में कूदे उत्तर कोरिया के 12000 सैनिक: हथियारों से लेकर रणनीति तक सब कुछ बदल गया

North Korean troops in Russia Ukraine war: उत्तर कोरिया ने रूस को जंग में सैनिक और हथियार भेज कर खुलकर समर्थन दिया है। इससे रूस को युद्ध में सामरिक बढ़त मिली है।

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भारत

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MI Zahir

Aug 23, 2025

North Korean troops in Russia Ukraine war

उत्तर कोरिया के सैनिक रूस के साथ मिलकर यूक्रेन से लड़ाई कर रहे हैं। (फोटो: X .)

North Korean troops in Russia Ukraine war: रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग अब पूरी तरह वैश्विक समीकरणों में उलझ चुकी है। ताजा घटनाक्रम में उत्तर कोरिया ने खुल कर रूस का साथ दिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, करीब 10,000 से 12,000 उत्तर कोरियाई सैनिक (North Korean troops in Ukraine war) रूस भेजे गए हैं। इन सैनिकों ने रूस के कुर्स्क क्षेत्र पर दोबारा नियंत्रण पाने में अहम भूमिका निभाई (Russia North Korea alliance)है। कुछ सैनिकों को रूस और यूक्रेन के बीच जंग से उत्तर कोरिया लौटने पर सम्मान भी मिला है। हालांकि, इस तैनाती में 600 से 1,000 के बीच सैनिक हताहत (Ukraine war casualties) भी हुए हैं। कुछ सैनिकों को सम्मान के साथ वापस भी बुलाया गया है। इसके अलावा, उत्तर कोरिया ने निर्माण कार्यों और माइन डिमाइनिंग के लिए लगभग 5,000 मज़दूर और 1,000 डिमाइनिंग एक्सपर्ट भी रूस भेजे हैं।

90 लाख से अधिक गोलियाँ और मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर शामिल

जानकारी के अनुसार उत्तर कोरिया ने रूस को भारी मात्रा में हथियार भी उपलब्ध कराए हैं। इसमें 90 लाख से अधिक गोलियाँ, सैकड़ों बैलिस्टिक मिसाइलें (जैसे Hwasong-11A/B), स्वचालित हॉवित्जर और मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर शामिल हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ युद्ध क्षेत्रों में रूस की फायरिंग का 70 से 100 प्रतिशत हिस्सा उत्तर कोरियाई हथियारों पर ही निर्भर रहा है। ये हथियार न केवल रूस की गोलीबारी क्षमता को बढ़ा रहे हैं, बल्कि मोर्चे पर स्थिरता भी बनाए रखने में मदद कर रहे हैं।

रूस को रणनीतिक रूप से बड़ा फायदा हुआ

उत्तर कोरिया की इस मदद से रूस को रणनीतिक रूप से बड़ा फायदा हुआ है। खासकर गोला-बारूद की भारी आपूर्ति और सैनिकों की तैनाती ने रूस की थकी हुई सैन्य मशीनरी को फिर से ऊर्जा दी है। वहीं विशेषज्ञ इस गठजोड़ को एक खतरनाक मोड़ मानते हैं, क्योंकि इससे जंग के और लंबा चलने के आसार बन रहे हैं। रूस और उत्तर कोरिया का यह नया गठबंधन ना सिर्फ यूक्रेन के लिए चुनौती है, बल्कि पश्चिमी देशों के लिए भी एक नई सिरदर्दी बन गया है।

उत्तर कोरिया के हथियार और उनकी ताकत

उत्तर कोरिया ने रूस को न केवल सैनिक, बल्कि बड़ी संख्या में हथियार और गोला-बारूद भी दिए हैं। इनमें M‑1989 कोक्सान हॉवित्जर, M‑1991 मिसाइल सिस्टम, और सालाना 2 मिलियन गोलियों की आपूर्ति शामिल है। ये हथियार जंग के मैदान में रूस को गोलाबारी में बढ़त दिला रहे हैं, भले ही इनमें से कुछ की गुणवत्ता सीमित हो।

रूस और यूक्रेन की जंग कब शुरू हुई थी?

यह युद्ध 24 फरवरी 2022 को शुरू हुआ था, जब रूस ने यूक्रेन पर फुल-स्केल हमला कर दिया। यह हमला आज भी जारी है और दोनों देशों को आर्थिक, सैनिक और मानवीय स्तर पर भारी नुकसान हो चुका है।

इस युद्ध में कितने लोग मारे जा चुके हैं ?

अब तक इस जंग में करीब 14 लाख सैनिक या तो मारे गए या गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं। रूस की ओर से अनुमानित 10 लाख, जबकि यूक्रेन की तरफ से लगभग 4 लाख लोग इस संघर्ष में हताहत हुए हैं।

रूस और यूक्रेन को कितना नुकसान हुआ ?

रूस के लगभग 2.5 लाख सैनिकों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। वहीं, यूक्रेन ने भी माना है कि उनके लगभग 70,000 सैनिक मारे गए हैं और कई अब भी लापता हैं। मीडिया रिपोर्ट्स और युद्ध विश्लेषकों के अनुसार, यह आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है।

रूस की परमाणु और सैन्य क्षमता कितनी है?

रूस के पास दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु शस्त्रागार है, जिसमें लगभग 5,459 परमाणु हथियार हैं। इनमें से 1,700 से ज्यादा हथियार सक्रिय तैनाती में हैं। इसके अलावा, रूस के पास विश्वस्तरीय मिसाइल और टैंक टेक्नोलॉजी भी है।

उत्तर कोरिया की सैन्य ताकत

उत्तर कोरिया के पास 50 से 90 परमाणु हथियार माने जाते हैं। वह हर साल 6 से 7 नए परमाणु हथियार बना सकता है, और उसकी योजना भविष्य में इस संख्या को 300 तक ले जाने की है।

रूस को उत्तर कोरिया की मदद से क्या मिला ?

उत्तर कोरिया की सैन्य सहायता से रूस को कुर्स्क और कुछ पूर्वी क्षेत्रों में रणनीतिक बढ़त मिली है। इसके बदले में रूस ने उत्तर कोरिया को भोजन, ऊर्जा और सैन्य तकनीक मुहैया कराई है। यह गठजोड़ दोनों देशों को अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बावजूद एक-दूसरे की जरूरतें पूरी करने में मदद करता है।

रूस यूक्रेन जंग ज्यादा जटिल हो गई

बहरहाल उत्तर कोरिया की सैन्य भागीदारी ने रूस को एक नई ताकत दी है, लेकिन इसने जंग को और ज्यादा जटिल बना दिया है। यह युद्ध अब केवल दो देशों का नहीं रहा, बल्कि एक वैश्विक सामरिक समीकरण बन चुका है जिसमें परमाणु ताकत, कूटनीति और गठजोड़ की राजनीति खुलकर सामने आ रही है।