
Pakistan Jail (Photo Credit- Human Rights Watch)
Pakistan Jail: भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान (Pakistan) में अब जेलें एक भीषण संकट के दौर से गुजर रही हैं। वहां का जेल सिस्टम बिल्कुल चरमरा गया है। यहां की जेलों की स्थिति ऐसी हो गई है कि छोटे-छोटे अंधेरे गंदे कमरों में इतने कैदियों को ठूंसा जा रहा है कि जिसमें वो आराम से लेटकर सो भी नहीं सकते। सिर्फ इतना ही नहीं, ना ही उनके कमरे साफ होते हैं, ना ही परिसर में सफाई होती। उन्हें पीने को साफ पानी उपलब्ध नहीं है ना ही भरपेट शुद्ध भोजन।
पाकिस्तान में मानवीय मूल्यों के निचले स्तर की कहानी बयां करती ये कैदियों के य़े दास्तां पाकिस्तान के खोखलेपन को दर्शा रही हैं।
दरअसल पाकिस्तान के अखबार डॉन में एक रिपोर्ट छापी गई है जिसमें पाकिस्तान की जेलों (Pakistan Jail Condition) के बिगड़े हुए हालातों पर फोकस किया गया है। रिपोर्ट में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NCHR), राष्ट्रीय जेल प्रशासन अकादमी (NAPA) और न्याय परियोजना पाकिस्तान की हाल ही में जारी एक संयुक्त रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान की 128 जेलों में 1 लाख 2 हजार कैदी जबरन ठूंसे जा रहे हैं। इन जेलों की कुल क्षमता सिर्फ 65,811 कैदियों की ही है। ये पाकिस्तान की जेलों की क्षमता का 152 प्रतिशत है। यानी औसतन एक जेल में करीब 800 कैदी बंद हैं।
इन जेलों में कैदियों के साथ अमानवीय बर्ताव किया जा रहा है। यहां इन्हें ना ही साफ पानी पीने को मिल रहा है और ना ही शुद्ध भरपेट भोजन। इनके कमरे भी बेहद गंदे हो चुके हैं। आलम ये है कि एक कमरे में क्षमता से ज्यादा कैदियों को उसी गंदगी में लोटना पड़ रहा है। यहां कैदियों से इतना काम कराया जा रहा है कि वे गंभीर रूप से बीमार पड़ रहे हैं। इसके बावजूद उन्हें बिना कोई स्वास्थ्य सेवा दिए फिर से काम पर लगाया जा रहा है।
इतना ही नहीं यहां के कैदियों को उनके परिवार से भी बहुत कम मिलने दिया जाता है। जेलों में कैदियों के लिए कानूनी सलाहकारों से सीमित संपर्क रखा गया है। वहीं प्रभावी शिकायत तंत्र की कमी पाई गई है। इसके अलावा कैदियों के लिए शिक्षा, व्यवसाय, मनोरंजन कार्यक्रमों में खासी कमी देखी गई है।
पाकिस्तान में कुल 128 जेलें हैं। सबसे अशांत क्षेत्र बलूचिस्तान प्रांत में 12 जेलों में 2,971 कैदी हैं। सिंध की 22 जेलों में 22,499 कैदी हैं। पंजाब की 43 जेलों में 61,813 कैदी बंद हैं। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी PoK की 7 जेलों में 764 कैदी हैं। गिलगित-बाल्टिस्तान की 5 जेलों में 372 कैदी बंद हैं। वहीं अशांत क्षेत्र खैबर पख्तूनख्वा की 39 जेलों में 13,364 कैदी हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान की जेलों में कैदियों की बढ़ती संख्या और लचर व्यवस्था के एक नहीं, कई कारण हैं। जेलों में हजारों कैदियों का लंबे समय से विचाराधीन होना और उनके मामलों का निपटारा ना होना, उनकी संख्या के बढ़ने की एक बड़ी वजह है। उदाहरण के तौर पर पाकिस्तान की जेलों में 2023 से केवल 1.66 प्रतिशत कैदियों की बढ़ोतरी हुई। जबकि तीन-चौथाई से ज्यादा 74,918 कैदियों की आबादी विचाराधीन है। विचाराधीन कैदियों की संख्या कुल जेल आबादी का 73.41 प्रतिशत है।
इसके अलावा अप्रभावी जमानत, पैरोल सिस्टम, लंबी न्यायिक देरी और हिरासत उपायों पर ज्यादा से ज्यादा निर्भरता कैदियों की बढ़ती संख्या के कारण हैं। वहीं नशीली दवाओं से जुड़े अपराधों ने जेलों के सिस्टम की समस्या को और ज्यादा पेचीदा बना दिया है। क्योंकि पाकिस्तान के नारकोटिक्स सब्सटेंस एक्ट 1997 (CNSA) में 2022 के संशोधन में पैरोल, उनके सुधार और छूट को खत्म कर दिया है।
पाकिस्तान की सरकार जेलों की स्थिति सुधारने के लिए कई योजनाएं लेकर आई है। नवंबर 2024 में, पाकिस्तान के विधि एवं न्याय आयोग ने पाकिस्तान की जेलों के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक एक राष्ट्रीय जेल सुधार नीति प्रस्तावित की है। वहीं शहबाज़ सरतार की कैदी सहायता समिति (2019), मुख्यमंत्री की जेल सुधार समितियाँ (2020 और 2022), आंतरिक मंत्रालय की जेल सुधार समिति (2024) और मुख्य न्यायाधीश की जेल सुधार समिति (2024) जैसी कई समितियां और कार्यसमूह स्थापित किए हैं। बावजूद इसके जेलों में कुछ खास बदलाव होता नहीं दिख रहा।
Updated on:
03 May 2025 05:34 pm
Published on:
26 Feb 2025 03:00 pm
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