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पाकिस्तान में सियासी हलचल तेज़: 9 अगस्त को संसद भंग करेगी सरकार, चुनाव की राह खुली

Pakistan Politics: पिछले काफी समय से पाकिस्तान की राजनीति में काफी उथल-पुथल देखने को मिल रही है। अब पाकिस्तान की राजनीति में एक नया मोड़ आने वाला है। क्या है वो मोड़? आइए जानते हैं।

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जयपुर

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Tanay Mishra

Aug 04, 2023

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Pakistan National Assembly

पाकिस्तान (Pakistan) राजनीति पिछले काफी समय से उथल-पुथल से जूझ रही है। इमरान खान (Imran Khan) का पीएम पद से हटाया जाना और उसके बाद नए प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ (Shehbaz Sharif) का कार्यभार संभालना, इसे कई महीने हो गए हैं पर पाकिस्तान की राजनीति में उथल-पुथल जारी रही। पाकिस्तान की राजनीति इस समय कई मोड़ों से गुज़र रही है और अब जल्द ही पाकिस्तान की राजनीति में एक नया मोड़ आने वाला है। 2018 में पाकिस्तान की सरकार बनी थी और उसे 13 अगस्त को 5 साल पूरे होंगे। पर पहले ही पाकिस्तान की राजनीति में नया मोड़ आ जाएगा। और वो है देश की नेशनल असेंबली का भंग होना।


9 अगस्त को होगी भंग

पाकिस्तान के पीएम शहबाज़ ने पिछले हफ्ते ही इस बात का हिंट दे दिया था कई देश की नेशनल असेंबली को समय से पहले भंग किया जाएगा। और अब इसकी एक तय तारीख भी सामने आ गई है। पाकिस्तान की नेशनल असेंबली को 9 अगस्त को भंग किया जाएगा।

डिनर पर शहबाज़ करेंगे सांसदों से मुलाकात

पाकिस्तान की नेशनल असेंबली को भंग करने के साथ ही शहबाज़ एक डिनर का आयोजन भी करेंगे। इस डिन्नर पर वह देश के सांसदों से मुलकात करेंगे।


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चुनाव की राह हुई आसान


नेशनल असेंबली के भंग होने पर पाकिस्तान में चुनाव की राह आसान हो जाएगी। नॅशनल असेंबली के समय से पहले भंग होने पर चुनाव कराने के लिए 90 दिन का समय मिलता है। वहीं नेशनल असेंबली का कार्यकाल पूरा होने पर 60 दिन के भीतर चुनाव कराना ज़रूरी है। ऐसे में समय से पहले नेशनल असेंबली के भंग होने से राजनीतिक पार्टियों को चुनाव की तैयारियों के लिए ज़्यादा समय मिलेगा।

कार्यवाहक पीएम के नाम पर होगी चर्चा

13 अगस्त को पाकिस्तान की वर्तमान सरकार का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही शहबाज़ सत्ता का कार्यभार कार्यवाहक पीएम को सौंपना चाहते हैं। ऐसे में पाकिस्तान में एक कार्यवाहक पीएम भी चुना जाना है, जिसके लिए शहबाज़ अपनी पार्टी के सांसदों के साथ ही विपक्ष के सांसदों के साथ भी 3 दिन चर्चा करेंगे और कार्यवाहक पीएम का नाम तय करेंगे। किसी सहमति नहीं बनने पर देश का चुनाव आयोग प्रस्तावित नामों में से किसी एक को चुनेगा।

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