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PM मोदी की पुतिन और जिनपिंग के साथ अहम मुलाकात, भारत-चीन सीमा से जुड़े मुद्दे को लेकर भी आ गया बड़ा अपडेट

प्रधानमंत्री मोदी ने तियानजिन में एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान पुतिन और जिनपिंग से अहम मुलाकातें कीं। भारत-चीन सीमा विवाद पर भी चर्चा हुई, जिसमें हालिया प्रगति पर ज़ोर दिया गया। यह मुलाक़ात वैश्विक स्तर पर भारत की बढ़ती भूमिका और क्षेत्रीय सहयोग को मज़बूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। रूस के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी इस यात्रा का मुख्य हिस्सा रही।

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भारत

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Mukul Kumar

Sep 01, 2025

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ व्लादिमीर पुतिन और शी जिनपिंग। (फोटो- IANS)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ नजर आए।

पीएम मोदी ने सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर फोटो शेयर कर इस मुलाकात की जानकारी दी। पीएम मोदी ने लिखा कि तियानजिन में बातचीत का सिलसिला जारी। एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति पुतिन और राष्ट्रपति शी के साथ विचार-विमर्श किया।

इसके अलावा, पीएम मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन के साथ हुई मुलाकात की तस्वीर भी शेयर की। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि राष्ट्रपति पुतिन से मिलना हमेशा खुशी की बात है।

एससीओ में शामिल होंगे पीएम मोदी

बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी सोमवार को चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे। यह क्षेत्रीय शक्तियों के साथ एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक मुलाकात मानी जा रही है।

एससीओ शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सहित प्रमुख क्षेत्रीय नेता हिस्सा लेंगे। वैश्विक अनिश्चितता के इस दौर में क्षेत्रीय सहयोग के महत्व को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी, राष्ट्रपति शी और राष्ट्रपति पुतिन एक मंच पर मौजूद होंगे।

पुतिन के साथ होने वाली है द्विपक्षीय बैठक

इसके बाद, प्रधानमंत्री मोदी की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक होने वाली है। भारत और रूस के बीच वैश्विक तनावों के बावजूद रणनीतिक और ऊर्जा क्षेत्र में करीबी साझेदारी बनी हुई है।

एससीओ शिखर सम्मेलन का मुख्य ध्यान आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद जैसी 'तीन बुराइयों' से निपटने पर केंद्रित होगा, जो संगठन की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य रहा है।

एक समझौता हस्ताक्षर समारोह निर्धारित

सोमवार को एक समझौता हस्ताक्षर समारोह निर्धारित है, जिसके बाद नेताओं का एक संयुक्त बयान जारी किया जाएगा। यह प्रधानमंत्री मोदी की सात साल में पहली चीन यात्रा है, और यह ऐसे समय हो रही है, जब भारत और चीन लंबे सीमा विवाद के बाद धीरे-धीरे अपने रिश्तों को फिर से सुधारने की कोशिश कर रहे हैं।

जिनपिंग से क्या हुई बात?

शिखर सम्मेलन की आधिकारिक शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। यह दोनों नेताओं की लगभग दस महीने बाद पहली बैठक थी।

दोनों नेताओं ने भारत-चीन संबंधों को स्थिर करने और बेहतर बनाने के तरीकों पर चर्चा की, खासकर हाल ही में सीमा प्रबंधन प्रोटोकॉल पर हुई प्रगति के बाद। दोनों पक्षों ने 3,500 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर नए गश्त नियमों पर सहमति जताई है, जो चार साल के तनाव के बाद संबंधों में सुधार का संकेत देता है।

क्यों महत्वपूर्ण है यह बैठक?

यह बैठक खास तौर पर इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह 2024 में रूस के कजान में हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं की आखिरी मुलाकात के कुछ महीनों बाद हो रही है।

अधिकारियों का कहना है कि तियानजिन बैठक का उद्देश्य आर्थिक सहयोग, क्षेत्रीय सुरक्षा और एशिया में रणनीतिक प्रतिस्पर्धा को प्रबंधित करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए इस गति को आगे बढ़ाना था।