
PoK Protests: पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK Protests) में इन दिनों सड़कें नारों से गूंज रही हैं । स्थानीय लोग शहबाज शरीफ सरकार के खिलाफ जोरदार विरोध जता रहे हैं। अवामी एक्शन कमेटी (AAC) ने 29 सितंबर को पूरे इलाके में हड़ताल बुलाई, जो अनिश्चितकालीन हो सकती है। हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं, लेकिन पाकिस्तान की तरफ से दमन का जवाब मिला है। यह आंदोलन दशकों की उपेक्षा का नतीजा है। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर( Pakistan Occupied Kashmir) के लोग राजनीतिक अधिकारों और आर्थिक सुविधाओं से वंचित महसूस कर रहे हैं। AAC (Awami Action Committee) एक नागरिक संगठन है, ने हाल ही में लाखों लोगों को जोड़ा है। उनका कहना है कि पाकिस्तान ने वादे पूरे नहीं किए। मुजफ्फराबाद से लेकर कोटली और रावालाकोट तक प्रदर्शन हो रहे हैं। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो रहे हैं, जहां लोग पाक सेना के खिलाफ नारे लगा रहे हैं। यह हड़ताल 'शटर डाउन' (PoK Strike) और 'व्हील जाम' का रूप ले चुकी है, जिससे दुकानें बंद हैं और यातायात ठप है।
प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगें 38 बिंदुओं वाली सूची में हैं। सबसे बड़ा मुद्दा PoK विधानसभा में पाकिस्तानी शरणार्थियों के लिए आरक्षित 12 सीटें हटाना है। लोगों का तर्क है कि इससे उनका प्रतिनिधित्व कमजोर होता है। इसके अलावा, सस्ता आटा, मंगला जलविद्युत प्रोजेक्ट से सस्ती बिजली और लंबे समय से रुके सुधारों को लागू करने की बात है। AAC के नेता शौकत नवाज मीर ने कहा, "यह किसी संस्था के खिलाफ नहीं, बल्कि 70 सालों की वंचना के खिलाफ है। या तो हक दो, वरना गुस्से का सामना करो।" ये मांगें आम आदमी की जिंदगी से जुड़ी हैं, जो महंगाई और बेरोजगारी से त्रस्त हैं।
सरकार की प्रतिक्रिया बेहद सख्त रही। रविवार आधी रात से इंटरनेट सर्विस बंद कर दी गई, ताकि खबरें बाहर न फैलें। बड़े स्तर पर सुरक्षा बल तैनात किए गए। सोमवार को प्रदर्शन के दौरान पाकिस्तानी सेना ने भीड़ पर गोलियां चला दीं, जिसमें कई नागरिक घायल हो गए। X पर वायरल वीडियो दिखाते हैं कि प्रदर्शनकारियों ने सेना के दो अधिकारियों को पकड़ लिया। चार निर्दोष लोग गोली लगने से घायल बताए जा रहे हैं। यह दमन आंदोलन को और भड़का रहा है।
वार्ता की कोशिशें भी नाकाम रहीं। AAC के प्रतिनिधियों, PoK प्रशासन और संघीय मंत्रियों के बीच तीन घंटे की बैठक हुई, लेकिन कोई सहमति नहीं बनी। कमेटी ने कुलीन वर्ग के विशेषाधिकार और शरणार्थी सीटों पर अड़े रहने का फैसला किया। शौकत नवाज मीर ने कहा, "बातचीत अधर में लटक गई। हड़ताल जारी रहेगी।" यह विफलता से तनाव और बढ़ गया है। PoK का यह विद्रोह पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी है। लोग अब चुप नहीं रहेंगे। अंतरराष्ट्रीय नजरें टिकी हैं, लेकिन इस्लामाबाद का फोकस दबाने पर है। अगर सुधार न हुए, तो आंदोलन फैल सकता है।
Published on:
29 Sept 2025 03:34 pm
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