
India-Bangladesh relations
India-Bangladesh relations: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने बांग्लादेश के राष्ट्रीय दिवस पर बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ( Mohammad Yunus) को पत्र लिख कर बधाई देते हुए एक-दूसरे के हितों और चिंताओं के प्रति आपसी संवेदनशीलता के आधार पर मिल कर काम करने का महत्व रेखांकित किया है। यह घटनाक्रम दोनों नेताओं के थाईलैंड में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन (BIMSTEC summit) में पहली बार आमने-सामने आने से बमुश्किल एक सप्ताह पहले हुआ है। यूनुस ने पिछले साल भारत की सहयोगी, पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) को हटाने के बाद अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में पदभार संभाला था। मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय दिवस "हमारे साझा इतिहास और बलिदानों का प्रमाण है, जिसने हमारी द्विपक्षीय साझेदारी की नींव रखी है।"
मोदी ने कहा, "बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम की भावना हमारे संबंधों के लिए मार्गदर्शक रही है, जो कई क्षेत्रों में फली-फूली है और हमारे लोगों को ठोस लाभ पहुंचा रही है।" उन्होंने यह भी कहा, "हम शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए अपनी साझा आकांक्षाओं से प्रेरित होकर और एक-दूसरे के हितों तथा चिंताओं के प्रति आपसी संवेदनशीलता के आधार पर इस साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
ध्यान रहे कि दोनों नेता 3-4 अप्रेल को बैंकॉक में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। ढाका ने द्विपक्षीय बैठक की मांग की है, लेकिन भारत अब तक इस मुद्दे पर चुप है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पहले एक संसदीय समिति को बताया था कि अनुरोध विचाराधीन है। सरकारी सूत्रों ने बुधवार को कहा कि कार्यक्रम के दौरान मोदी की द्विपक्षीय बैठकों की बाद में घोषणा की जाएगी। अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और हसीना के भाग्य जैसे संवेदनशील मुद्दों पर द्विपक्षीय बैठकों के बाद ढाका के संवेदनशील मुद्दों पर दिखावे के कारण भारत स्पष्ट रूप से सतर्क है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी अपने समकक्ष मोहम्मद शहाबुद्दीन को पत्र लिख कर एक लोकतांत्रिक, स्थिर, समावेशी, शांतिपूर्ण और प्रगतिशील बांग्लादेश के लिए समर्थन व्यक्त किया है। उन्होंने कहा, "भारत-बांग्लादेश संबंध बहुआयामी हैं और हमारा सहयोग व्यापार, मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी, विकास साझेदारी, बिजली और ऊर्जा, शिक्षा, क्षमता निर्माण, सांस्कृतिक सहयोग और लोगों के बीच आदान-प्रदान जैसे विविध क्षेत्रों में फैला हुआ है। बांग्लादेश भारत की 'पड़ोसी पहले' और 'एक्ट ईस्ट' नीतियां, इसके सागर सिद्धांत और इंडो-पैसिफिक विजन के केंद्र में है।"
Updated on:
27 Mar 2025 02:32 pm
Published on:
27 Mar 2025 02:31 pm
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