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छोटे कपड़े पहन कर फिटनेस ट्रेनर ने बनाया वीडियो, मिली 11 साल की सज़ा

29 साल की फिटनेस ट्रेनर मनाहेल अल-ओताबी ने छोटे कपड़े पहन कर अपने फॉलोअर्स के लिए वीडियो बनाया और उसे अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट किया। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय से भी इस सज़ा को लेकर जवाब मांगा गया है।

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Fitness Trainer Manahel Al-Otaibi get 11 years sentences for wearing short clothes in Saudi Arabia

Fitness Trainer Manahel Al-Otaibi

29 साल की फेमस फिटनेस ट्रेनर को छोटे कपड़े पहन कर वीडियो बनाना भारी पड़ गया और इतना भारी कि अब वो लंबे समय तक इस तरह के वीडियो बना सकेंगी क्योंकि उन्हें 11 साल की जेल की सज़ा मिली है। इस मुद्दे पर UNHRC जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के बयान भी आ गए हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवी संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ( Amnesty International) ने भी इस सजा को रद्द करने की अपील की है। संस्था का कहना है कि हर किसी को अपने पंसद के कपड़े पहनने का पूरा अधिकार है और देश को पुरुष संरक्षकता प्रणाली को खत्म करना चाहिए। 

दरअसल ये मामला सऊदी अरब (Saudi Arabia) का है। यहां की 29 साल की फिटनेस ट्रेनर मनाहेल अल-ओताबी (Manahel Al-Otaibi) ने छोटे कपड़े पहन कर अपने फॉलोअर्स के लिए वीडियो बनाया और उसे अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट किया। ये वीडियो जब सऊदी अरब के प्रशासन की नज़र में पड़ा तो इसे अपराध मानते हुए उन्होंने इस फिटनेस ट्रेनर को समन भेजा और उसके खिलाफ मामला दर्ज करा दिया।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने दिया मामले में दखल

इस मामले फिटनेस ट्रेनर को इस साल जनवरी में सज़ा सुनाई गई थी। बीती 30 अप्रैल को लंदन स्थित एमनेस्टी इंटरनेशनल ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय में ट्रेनर की सज़ा को रद्द करना की अपील की। जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र के सवाल पर सऊदी अरब का औपचारिक जवाब सामने आया। सऊदी अरब ने फिटनेस ट्रेनर को सजा देने के कारण पर जवाब दिया कि उसने अपने सोशल मीडिया पर हैशटैग "पुरुष संरक्षकता समाप्त करें" लगाया था और इसमें उसने बेहद छोटे कपड़े पहने थे जो अशोभनीय थे। 

सऊदी अरब ने कहा- आतंकी गतिविधियों के लिए जेल भेजा, पोस्ट के लिए नहीं

सऊदी अरब ने संयुक्त राष्ट्र अधिकार कार्यालय को अपने औपचारिक जवाब में इस बात से इनकार किया कि अल-ओतैबी को सोशल मीडिया पोस्ट के लिए सजा सुनाई गई थी। इसमें कहा गया है कि उसे आतंकवादी अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया था, जिसका उसकी राय और अभिव्यक्ति की आजा़दी या उसके सोशल मीडिया पोस्ट का कोई लेना-देना नहीं है।