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कतर-अमेरिका-ईरान रिश्ते: मिसाइल हमले के बाद माफी, क्या यह फ‍िक्‍स वॉर अटैक गेम था या डिप्लोमैटिक ड्रामा ?

Iran missile attack on Qatar apology: ईरान ने कतर में स्थित अमेरिकी सैन्य अड्डे पर मिसाइल हमला किया और फिर कतर के अमीर को फोन कर खेद जताया है।

भारत

MI Zahir

Jun 24, 2025

Iran missile attack on Qatar apology
ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेशकियन ने कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी को फोन किया। फोटो: एक्स

Iran missile attack on Qatar apology : इजराइल-ईरान जंग (Israel-Iran war) के चलते अमेरिका की ओर से ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला करने के जवाब में ईरान की ओर से कतर में स्थित अमेरिकी एयरबेस पर हमले (Iran attacks US airbase in Qatar) के बाद मध्य पूर्व में राजनीति गर्मा गई है। ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेशकियन (Masoud Pezeshkian) ने कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी (Sheikh Tamim bin Hamad Al Thani) से फोन पर संपर्क कर अमेरिका के खिलाफ की गई कार्रवाई पर खेद जताया है। कतर के प्रधानमंत्री ने इस बातचीत की जानकारी दी, जो कूटनीति के लिहाज से बेहद असामान्य है। ऐसे में सवाल यह पैदा होता है कि आखिर ऐसा क्या था कि सीजफायर के तुरंत बाद ईरान ने कतर से इस तरह का कदम उठाया ? सीजफायर के तुरंत बाद हुई इस माफी ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और मिडिल ईस्ट में संभावित 'मैच फिक्सिंग' जैसे सवाल खड़े कर दिए हैं।

कतर पर मिसाइल हमले की घटना

ईरान ने सोमवार को कतर में स्थित अमेरिकी सैन्य अड्डे पर सीमित मिसाइल हमला किया था। यह हमला अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर बमबारी के जवाब में किया गया। हालांकि, इस हमले में कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन यह घटना मध्य पूर्व में तनाव को और बढ़ा देती है।

सीजफायर के बाद ईरान की माफी

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा युद्धविराम प्रस्ताव के स्वीकार होने के बाद, इजराइल और ईरान दोनों ने शांति समझौता स्वीकार किया। इसके बाद ईरान के राष्ट्रपति ने कतर के अमीर से फोन पर बात की और अपनी मिसाइल हमले की कार्रवाई पर खेद जताया। कतर के प्रधानमंत्री ने इस बातचीत के बारे में जानकारी दी और कहा कि यह अप्रत्याशित था।

क्या मिडिल ईस्ट वार अटैक गेम फिक्स था?

ईरान द्वारा कतर से माफी मांगना और सीजफायर के तुरंत बाद इस प्रकार का कूटनीतिक कदम उठाना सवाल उठाता है कि क्या इस पूरे घटनाक्रम को पहले से तय किया गया था। कतर ने यह भी कहा कि ईरान की मिसाइल हमले की कार्रवाई अस्वीकार्य थी, और उन्होंने उम्मीद जताई कि भविष्य में ऐसा नहीं होगा।

कतर के रुख पर जनता की प्रतिक्रिया

सोशल मीडिया पर लोग इस घटना को “डिप्लोमेसी का ड्रामा” बता रहे हैं। कई यूजर्स ने कहा – “पहले हमला, फिर माफ़ी? ये कोई कूटनीति नहीं, चाल है।”

विशेषज्ञों की राय : कूटनीतिक लीप

अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकारों ने इसे “कूटनीतिक लीप” बताया है ,यानि एक सोची-समझी चाल, जिससे ईरान अमेरिका को जवाब भी दे और कतर से रिश्ता भी न बिगड़े।

ईरान की माफी उसकी कमजोरी नहीं, रणनीति

अमेरिका ने अभी तक कोई सीधा बयान नहीं दिया, लेकिन रक्षा विश्लेषकों का कहना है कि “ईरान की माफी उसकी कमजोरी नहीं, रणनीति है।”

क्या अमेरिका कतर को जवाब देगा ?

अब सभी की निगाहें अमेरिका की अगली प्रतिक्रिया पर हैं -क्या वो इस हमले को ‘सीरियस एक्ट ऑफ वार’ मानेगा या सीजफायर के चलते शांत रहेगा?

क्या इस पर UN में चर्चा संभव ?

मिडिल ईस्ट में शांति बहाली के लिए यह मुद्दा अब यूनाइटेड नेशंस में उठ सकता है। कतर इसमें मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है।

क्या रिश्ते और बिगड़ेंगे?

ईरान–कतर के रिश्तों में खटास आने की संभावना बनी हुई है, क्योंकि कतर ने खुलेआम इस हमले को अस्वीकार्य बताया।

क्या यह सिर्फ एक 'प्लैन्ड माफी' थी?

क्या ईरान जानबूझकर सीमित हमला कर सिर्फ एक संदेश देना चाहता था और बाद में खेद जताकर संबंध बचा रहा है?

क्या यह कतर की दोहरी भूमिका है?

क्या कतर पहले से हमले की योजना से अवगत था? उन्होंने खुद कहा कि “हमें पहले से जानकारी थी।” तो क्या यह मूक समर्थन था ?

अमेरिकी बेस का राजनीतिक इस्तेमाल ?

ईरान ने जानबूझकर हमला ऐसे समय पर किया जब ट्रंप युद्धविराम की बात कर रहे थे। इसका संकेत है कि शायद यह हमला 'मिसाइल से नहीं, संदेश से' किया गया था।

कतर और ईरान के बीच कूटनीतिक संबंध

कतर और ईरान के बीच हमेशा से जटिल संबंध रहे हैं। दोनों देशों के बीच रिश्ते आर्थिक रूप से जुड़े हुए हैं, क्योंकि वे दुनिया के सबसे बड़े प्राकृतिक गैस भंडार साझा करते हैं। 2017 में, जब सऊदी अरब और अन्य देशों ने कतर पर प्रतिबंध लगाए, तब ईरान ने कतर की मदद की थी। लेकिन कतर के अमेरिका के साथ मजबूत रिश्ते हैं, और इसलिए ईरान इसे अपने दुश्मन के रूप में देखता है। ध्यान रहे कि अमेरिकी प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने न केवल इजरायल और ईरान में सीजफायर का ऐलान किया है, बल्कि इजरायल को ईरान पर बम फेंकने से सख्ती से मना भी किया है।

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