
Climate Change (Representational Photo)
बुधवार को जारी दो अलग-अलग रिपोर्ट्स में जलवायु परिवर्तन के विषय में एक बड़ा खुलासा हुआ है। इस खुलासे के अनुसार दुनिया के अमीर न सिर्फ गरीब लोगों की तुलना में कई गुना कार्बन और ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करते हैं, बल्कि वो दुनिया में जलवायु के मामले में बढ़ती असमानता के लिए भी ज़्यादा ज़िम्मेदार हैं। पेरिस स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स की इनइक्वेलिटी लैब की जलवायु असमानता रिपोर्ट 2025 में दावा किया गया है कि अमीर लोग अपने उपभोग से कहीं ज़्यादा अपनी संपत्ति के ज़रिए जलवायु संकट को बढ़ावा दे रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक उत्सर्जन के 41% के लिए निजी पूंजी ज़िम्मेदार है, जबकि दुनिया के शीर्ष 1% अमीर लोग वैश्विक उपभोग आधारित उत्सर्जन के 15% के लिए ज़िम्मेदार हैं। रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि जलवायु परिवर्तन आर्थिक असमानता को आने वाले में समय और गहरा कर सकता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर दुनिया के सबसे अमीर 1% लोग अगले दशकों में सभी ज़रूरी जलवायु निवेश करते हैं और उसके मालिक बनते हैं, तो इनकी मौजूदा संपत्ति का हिस्सा वर्तमान 38.5% से बढ़कर 2050 में 46% हो सकता है। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि अमीर लोग अक्सर उच्च उत्सर्जन वाले उद्योगों में शेयरधारक के रूप में नज़र आते है।
बुधवार को ही जारी जलवायु परिवर्तन पर ऑक्सफैम की एक रिपोर्ट के अनुसार यूरोप के सबसे अमीर 0.1% समूह से एक व्यक्ति सबसे निचले 50% समूह के एक व्यक्ति की तुलना में 53 गुना ज़्यादा कार्बन उत्सर्जन करता है। रिपोर्ट के अनुसार 1990 के बाद से यूरोप के सबसे अमीर 0.1% लोगों ने कुल उत्सर्जन में अपने हिस्से में 14% की वृद्धि की है, जबकि निचले वर्ग के आधे लोगों ने अपने हिस्से में 27% की कटौती की है।
दोनों रिपोर्ट्स से एक बात तो साफ हो गई है कि जलवायु परिवर्तन के लिए गरीबों की तुलना में अमीर लोग ज़्यादा ज़िम्मेदार होते हैं। डेटा पर गौर किया जाए, तो गरीबों की तुलना में अमीर लोग जलवायु परिवर्तन के लिए 680 गुना ज़िम्मेदार होते हैं।
Updated on:
30 Oct 2025 12:01 pm
Published on:
30 Oct 2025 11:56 am
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