
रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग से अब तक बहुत तबाही मच चुकी है। (फाइल फोटो: ANI)
Russia–Ukraine War Update: रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध अब 1,288 दिन का हो चुका (Russia Ukraine War Update)है। इस जंग ने दोनों देशों की सैन्य ताकत और आम इंसानों को बर्बादी के अंजाम (Russia Ukraine Conflict 2025) तक पहुंचा दिया है। एक अनुमान है कि रूस ने करीब 200,000–250,000 सैनिकों की जान गंवाई है, जबकि कुल मिला कर लगभग 900,000 सैनिक या घायल हो चुके हैं। दूसरी ओर, यूक्रेन ने 31,000 से 45,000 तक सैनिक खोए (Ukraine War Casualties) हैं, लेकिन इन आंकड़ों में घायलों और लापता सैनिक शामिल नहीं (Ceasefire Efforts Ukraine) हैं, जो लाखों में हो सकते हैं। 24 फरवरी 2022 को रूस ने अचानक यूक्रेन के कई शहरों पर हमला किया। राजधानी कीव, खारकीव, लुहान्स्क और डोनेट्स्क जैसे क्षेत्रों में मिसाइलें दागी गईं। रूस का दावा था कि यह एक "स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन" है, जबकि यूक्रेन और पश्चिमी देश इसे एक खुली लड़ाई और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन मानते हैं।
इस युद्ध की जड़ें यूक्रेन के पश्चिमी देशों से नज़दीकियों और NATO में शामिल होने की इच्छा में थीं। रूस को डर था कि अगर यूक्रेन NATO का सदस्य बन गया तो पश्चिमी सेनाएं उसकी सीमाओं तक पहुंच जाएंगी। यही भू-राजनीतिक तनाव धीरे-धीरे पूर्ण युद्ध में बदल गया।
रूस ने अब तक लगभग 200,000 से ज्यादा सैनिकों को खो दिया है। एक अनुमान के मुताबिक, करीब 900,000 रूसी सैनिक या तो मारे गए या गंभीर रूप से घायल हुए हैं। हजारों टैंक, ड्रोन और सैन्य उपकरण तबाह हो चुके हैं।
यूक्रेन ने करीब 31,000 से 45,000 सैनिकों की मौत की पुष्टि की है। लगभग 14,000 नागरिक मारे गए हैं और 35,000 से ज्यादा घायल हुए हैं। बड़ी संख्या में घर, स्कूल, अस्पताल और बुनियादी ढांचे पूरी तरह तबाह हो चुके हैं। करोड़ों लोग विस्थापित हो चुके हैं और कई देश छोड़ने को मजबूर हुए।
युद्ध के शुरुआती महीनों में ही तुर्की और बेलारूस में शांति वार्ता की कोशिश हुई, लेकिन कोई समझौता नहीं हो पाया।
कई बार संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ ने हस्तक्षेप किया, लेकिन संघर्ष लगातार जारी रहा।
हाल ही में दोनों देशों ने केवल कैदियों और घायलों के आदान-प्रदान पर सहमति जताई है, लेकिन पूर्ण युद्धविराम की कोई गारंटी नहीं बन सकी है।
युद्ध के चलते कच्चे तेल और गैस की कीमतें बुरी तरह बढ़ीं। यूरोप को ऊर्जा संकट का सामना करना पड़ा। गेहूं और खाद्यान्न के व्यापार पर असर पड़ा क्योंकि यूक्रेन दुनिया का प्रमुख गेहूं उत्पादक है।
अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जो 2024 के चुनाव में फिर से सत्ता में आए हैं, अब रूस–यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। ट्रंप ने हाल ही में संकेत दिया है कि वे दोनों देशों को प्रत्यक्ष वार्ता के लिए एक न्यूट्रल जगह पर आमंत्रित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि उनका प्रशासन “24 से 48 घंटे के भीतर युद्धविराम की ठोस दिशा” में काम कर सकता है। व्हाइट हाउस से जुड़े सूत्रों के अनुसार, गुप्त स्तर पर अमेरिकी चैनल रूस और यूक्रेन दोनों से संपर्क में हैं, हालांकि अभी तक कोई औपचारिक बैठक नहीं हुई है। ट्रंप का रुख आक्रामक नहीं बल्कि “डील-मेकिंग” पर केंद्रित बताया जा रहा है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से अलग-अलग फोन पर बातचीत की है। इन संवादों में पीएम मोदी ने दोनों नेताओं से संवेदनशीलता और बातचीत के ज़रिए समाधान निकालने की अपील की। भारत ने हमेशा युद्ध के बजाय संवाद और कूटनीति को प्राथमिकता देने की नीति अपनाई है। मोदी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारत किसी भी शांति-प्रयास में सहयोग देने को तैयार है, बशर्ते दोनों पक्ष तैयार हों। इन बातचीतों के जरिए भारत फिर से एक विश्वसनीय मध्यस्थ की भूमिका में उभर रहा है।
युद्ध अपने चौथे साल में प्रवेश कर चुका है, लेकिन अब भी इसकी समाप्ति की कोई स्पष्ट संभावना नहीं है। दोनों देश अब भी हमलों में जुटे हैं। रूस की सेना पूर्वी यूक्रेन में डटे रहने की रणनीति पर काम कर रही है, जबकि यूक्रेन लगातार अंतरराष्ट्रीय समर्थन और हथियारों के दम पर जवाबी हमले कर रहा है।
बहरहाल रूस–यूक्रेन युद्ध एक ऐसा संघर्ष बन चुका है जिसने न सिर्फ दो देशों की ज़िंदगी बदल दी, बल्कि पूरी दुनिया को ऊर्जा, खाद्य और सुरक्षा संकट में डाल दिया है। हजारों परिवार उजड़ चुके हैं, लाखों लोग जान गंवा चुके हैं और अब भी यह युद्ध थमा नहीं है।
Updated on:
05 Sept 2025 04:18 pm
Published on:
05 Sept 2025 04:17 pm
बड़ी खबरें
View Allविदेश
ट्रेंडिंग
