
पहली बार एआई संचालित मदर ड्रोन सिस्टम का हुआ युद्ध में इस्तेमाल (Photo - IANS)
Russia Ukraine War: रूस यूक्रेन युद्ध में अब एक निर्णायक मोड़ आ गया है। यह मोड़ तब आया जब रविवार को यूक्रेन में रूस ने 4000 किमी से भी अधिक दूर स्थित टारगेट को ड्रोन हमलों के जरिए निशाना बनाया। एआई संचालित ड्रोनों का ऐसा इस्तेमाल अभी तक दुनिया में किसी भी युद्ध में नहीं देखा गया। इस हमले को स्पाइडर वेब ड्रोन हमला नाम दिया गया है, जिसमें यूक्रेन ने अपनी सीमा से हजारों किमी दूर स्थित रूस के जंगी विमानों को करीब 150 से अधिक ड्रोन हमलों के जरिए एक साथ एक दूसरे से हजारों किमी दूर मौजूद लक्ष्यों को निशाना बनाया गया। इन टारगेट को निशाना बनाना में एआई एल्गोरिदम का इस्तेमाल किया गया, जिनमें पहले से टारगेट प्रोग्राम किए गए थे।
यूक्रेन के इन हमलों के तरीके और इससे रूस को होने वाले भारी नुकसान ( 40 से अधिक परमाणु बमों को ले जाने में सक्षम बॉम्बर और अवाक्स विमान नष्ट, नेवल बेस पर भी तबाही) ने 3 साल 3 महीने और करीब एक सप्ताह से चले आने वाले इस युद्ध का चेहरा ही बदल दिया है। इस हमले के बाद पहली बार रूस जैसा महाशक्ति देश डिफेंसिव नजर आ रहा है। यूक्रेन के इन हमलों की तुलना दुनिया के युद्ध इतिहास में उन ऐतिहासिक क्षणों (जैसे दूसरे विश्व युद्ध में पर्ल हार्बर हमला, ग्रीक युद्ध के ट्रोजन होर्स और इजरायल के हिजबुल्लाह पर पेजर अटैक) से की जा रही है, जिन्होंने युद्ध की दिशा बदल दी थी।
यूक्रेन के डिजिटल परिवर्तन मंत्री मिखाइलो फेडोरोव ने इन हमलों में एआई-संचालित मदर ड्रोन सिस्टम के पहली बार में युद्ध में उपयोग किए जाने की पुष्टि की है। फेडोरोव ने बताया कि इन हमलों को फर्स्ट-पर्सन व्यू स्ट्राइक ड्रोन के जरिए अंजाम दिया गया, जिन्हें यूक्रेन के रक्षा तकनीक क्लस्टर ब्रेव1 द्वारा विकसित किया गया था। एआई-संचालित यह ड्रोन एक बार तैनात हो जाने के बाद स्वतंत्र रूप से कार्य करते हैं। इस तकनीक में मदर शिप ड्रोन शामिल होते हैं, जो दुश्मन के इलाके में 300 किलोमीटर तक छोटे फर्स्ट-पर्सन स्ट्राइक व्यू देने में सक्षम होते हैं। यह सिस्टम कैमरों और लाइडार तकनीक के साथ नेविगेशन का उपयोग करते हैं, जिससे उन्हें जीपीएस पर निर्भरता या मानवीय हस्तक्षेप के बिना भी लक्ष्यों की पहचान करने और उन्हें निशाना बनाने में आसानी होती है। इनका स्मार्टपायलट सिस्टम ड्रोन को एआई एल्गोरिदम के माध्यम से रियल टाइम में वीडियो डाटा को प्रोसेस करने में सक्षम बनाता है। जिसके जरिए यह ड्रोन विमान, वायु रक्षा प्रणालियों और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे सहित उच्च-मूल्य वाले लक्ष्यों का स्वायत्त रूप से पता लगाते हैं।
एक ड्रोन ऑपरेशन की लागत लगभग 10,000 डॉलर रही है, जो कि 10 आइफोन प्रो की लागत के बराबर है। इस तरह पारंपरिक मिसाइल हमलों की तुलना में यह लागत काफी कम है, जिनकी लागत इस ड्रोन ऑपरेशन की तुलना में करीब 300 से 500 गुना अधिक हो सकती है।
यूक्रेन के इस हमले की तुलना ट्रोजन होर्स से इसलिए की जा रही है क्योंकि इसमें ड्रोन को उसी तरह छुपकर और चुपचाप टारगेट के पास पहुंचाया गया, जैसे कि ट्रोजन वार के दौरान ग्रीस ने लकड़ी के घोड़े के दिए गए उपहार में सैनिकों को भेजकर ट्राय शहर (अब तुर्की में) पर हमला बोला था। यहां भी यूक्रेन ने ट्रकों में लकड़ी के सामानों में छुपाकर ड्रोन को ट्रॉली की सबसे ऊपर की छत पर एक लकड़ी के बॉक्स में लोड किया। हैरानी की बात है कि ये सभी टारगेट एक दूसरे से हजारों किमी दूर थे। इसके बावजूद ट्रकों में सबसे ऊपर छतों पर छुपाकर इन बॉक्सों को एक साथ यूक्रेन की सीमा से हजारों किमी दूर पहुंचाया गया और फिर एक साथ - निशाना बनाया गया।
यूक्रेन के इस हमले की पर्ल हार्बर अटैक से इसलिए तुलना की जा रही है क्योंकि इस हमले में रूस को इतना भारी नुकसान (करीब 7 अरब डॉलर के युद्ध विमान तबाह) पहुंचा है जितना कि जापान द्वारा दूसरे युद्ध में अमरीकी नेवल बेस पर्ल हार्बर पर हमला किया गया था। जिसके बाद अमरीका ने सीधे युद्ध में शामिल होते हुए जापान पर परमाणु हमला कर दिया था।
—पहली बार एआई संचालित मदर ड्रोन सिस्टम का किया गया युद्ध में इस्तेमाल
—18 महीने की तैयारी के बाद दिया गया हमले को अंजाम
—एफपीवी - फर्स्ट पर्सन व्यू - ड्रोन का किया गया इस्तेमाल
—ड्रोन कर सकता है 300 किमी तक अपने पूर्व फिक्स टारगेट को स्कैन
—दूर बैठा ऑपरेटर कर सकता है ड्रोन को ऑपरेट
—ड्रोन को हजारों किमी दूर ट्रक के जरिए संवेदनशील इलाकों तक किया गया स्मगल
—रिमोटली ऑपरेट होने वाले वुडन बॉक्स में रखे गए थे ड्रोन
—रात में नहीं दिन में किया गया हमला
—ड्रोन छोटे और कैमरा से युक्त थे
—सीमावर्ती इलाकों के बजाए हजारों किलोमीटर दूर रखे गए टारगेट को बनाया गया निशाना
—रूस रात के ड्रोन हमलों के लिए था तैयार
Published on:
03 Jun 2025 07:44 am
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