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Sunita Williams कल 9 महीने बाद अंतरिक्ष से धरती के लिए होंगी रवाना, जानिए रिटर्न मिशन में क्या हैं जोखिम

Sunita Williams Return Space: भारतीय मूल की एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स पिछले 9 महीने से ज़्यादा समय से अंतरिक्ष में फंसी हुई हैं। लेकिन कल वह धरती पर वापस आने के लिए रवाना होगी। हालांकि सुनीता के रिटर्न मिशन में कुछ में जोखिम भी हैं। क्या हैं वो खतरें? आइए जानते हैं।

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भारत

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Tanay Mishra

Mar 17, 2025

Sunita Williams and Butch Wilmore

Sunita Williams and Butch Wilmore in space

भारतीय मूल की अमेरिकी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स (Sunita Williams) को अंतरिक्ष में 9 महीने से भी ज़्यादा समय बीत चुका है। सुनीता को अन्य अमेरिकी एस्ट्रोनॉट बुच विल्मोर (Butch Wilmore) के साथ सिर्फ कुछ दिन के लिए ही 5 जून, 2024 को अंतरिक्ष में भेजा गया था। तब से दोनों वहीं फंसे हुए हैं। सुनीता और बुच इस समय इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (International Space Station) पर हैं। नासा, कई बार दोनों को वापस धरती पर लाने की कोशिश कर चुका है, लेकिन इसमें कामयाबी नहीं मिली है, जिस वजह से हर बार नासा को दोनों की वापसी टालनी पड़ी। लेकिन अब सुनीता की धरती पर वापसी का रास्ता साफ हो चुका है। सुनीता, कल, यानी कि 18 मार्च को धरती पर वापस आने के लिए रवाना होंगी।

स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल में होगी सुनीता की वापसी

सुनीता और बुच की धरती पर वापसी एलन मस्क (Elon Musk) की स्पेस रिसर्च कंपनी स्पेसएक्स (SpaceX) के ड्रैगन कैप्सूल (Dragon Capsule) में होगी। ड्रैगन कैप्सूल इस समय इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में डॉक्ड है, जिसमें क्रू-10 मिशन के 4 एस्ट्रोनॉट्स स्पेस में गए हैं। इन चारों की जगह चार एस्ट्रोनॉट्स वापस धरती पर लौटेंगे। इनमें सुनीता और बुच के साथ निक हेग (Nick Hague) और अलेक्जेंडर गोर्बुनोव (Aleksandr Gorbunov) भी शामिल हैं।

सुनीता के रिटर्न मिशन में हैं जोखिम

सुनीता को धरती पर वापस आने में 17 घंटे का समय लग सकता है। हालांकि उनके रिटर्न मिशन में जोखिम भी हैं। क्या हैं वो जोखिम? आइए नज़र डालते हैं।


◙ स्पेसक्राफ्ट का एंगल बदलने पर....

सुनीता और अन्य एस्ट्रोनॉट्स जिस ड्रैगन कैसूल में धरती पर वापस लौटेंगे, उसका एंगल बहुत अहम है। धरती के वायुमंडल में प्रवेश करने पर ड्रैगन कैप्सूल की रफ्तार कुछ धीमी हो जाएगी। अगर इस दौरान स्पेसक्राफ्ट का एंगल थोड़ा भी बदला, तो यह बेहद खतरनाक हो सकता है। स्पेसक्राफ्ट का एंगल तीखा होने पर इसमें आग लग सकती है और एस्ट्रोनॉट्स जलकर खाक हो सकते हैं। वहीं उथला एंगल होने पर स्पेसक्राफ्ट वायुमंडल की परत से टकराकर वापस अंतरिक्ष में लौट जाएगा और उसके ऑर्बिट में फंस जाएगा। ऐसे में उसे ढूंढने और वापस लाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ सकती है।


◙ थ्रस्टर्स फेल होने पर....

ड्रैगन कैप्सूल में 16 ड्रैको थ्रस्टर्स लगे हुए हैं, जो अंतरिक्ष में इस स्पेसक्राफ्ट की स्पीड, कंट्रोल, ऑर्बिट एडजस्टमेंट जैसे अहम पहलुओं में मुख्य भूमिका निभाते हैं। अगर वापसी के दौरान ये थ्रस्टर्स फेल हो गए, तो ड्रैगन कैप्सूल स्पेस में ही रह जाएगा और एस्ट्रोनॉट्स के पास सीमित ऑक्सीजन और पावर सप्लाई ही बचेगी। ऐसी स्थिति में इन थ्रस्टर्स को फिर से शुरू करने और एस्ट्रोनॉट्स को वापस धरती पर लाने के लिए काफी कम समय मिलेगा। हालांकि ड्रैगन कैप्सूल में थ्रस्टर्स फेल होने की संभावना काफी कम है।


◙ सही समय पर पैराशूट्स नहीं खुले तो....

ड्रैगन कैप्सूल के वायुमंडल में फिर से प्रवेश करने से लेकर पानी में स्प्लैशडाउन तक की प्रोसेस के दौरान इसमें लगे 6 पैराशूट्स की अहम भूमिका रहेगी। वायुमंडल में फिर से प्रवेश के बाद ड्रैगन कैप्सूल के 2 ड्रैग पैराशूट्स खुलते हैं, जो इसे स्थिर रखते हैं। वहीं इसमें लगे 4 मेन पैराशूट्स लैंडिंग के दौरान इसकी स्पीड कम रखते हैं। अगर ये 6 पैराशूट्स सही समय पर नहीं खुलते हैं, तो स्पेसक्राफ्ट की तेज़ टक्कर हो सकती है।


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कितना सुरक्षित है स्पेसएक्स का ड्रैगन कैप्सूल?

स्पेसएक्स का ड्रैगन कैप्सूल काफी सेफ माना जाता है। ड्रैगन कैप्सूल्स ने अब तक 49 मिशन पूरे किए हैं और इस दौरान 29 रीफ्लाइट्स पूरी की हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए सुनीता और अन्य एस्ट्रोनॉट्स को धरती पर वापस लाने के लिए ड्रैगन कैप्सूल का इस्तेमाल किया जा रहा है।



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