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मलबे में दबी महिलाओं को बाहर नहीं निकल रही तालिबानी सरकार, यहां गैर पुरुषों का महिलाओं को छूना मना है

अफगानिस्तान में महिलाओं की हालत बद से बदतर हैं। विनाशकारी भूंकप आने के बाद मलबे में दबी महिलाओं को मरने के लिए छोड़ दिया जा रहा है। जानिए क्या है इसके पीछे की वजह...

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अफगानिस्तान में जोरदार भूकंप

अफगानिस्तान में जोरदार भूकंप (फोटो-IANS)

Afghanistan Earthquake: अफगानिस्तान में भूकंप के बाद हालात बदहाल हैं। अब तक 2200 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। देश में भूकंप के छह और झटके आए। मुसीबत महिलाओं के लिए हो रही है। असल में अफगानिस्तान में कानून है कि पुरुष महिलाओं को छू नहीं सकते। इसके चलते बचाव कार्य के दौरान महिलाओं को मलबे में ही छोड़ दिया जा रहा है।

महिला बचावकर्मियों की कमी है। जो महिलाएं मलबे में फंसी हुई हैं, उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया है। वहीं, जिन महिलाओं की मौत हो गई है, उन्हें भी कपड़ों से पकड़कर खींचा जा रहा है। भूकंप पीड़ितों में से एक बीबी आयशा ने कहा, बचावकर्मी हमें किसी कोने में छोड़ देते हैं।

36 घंटे से मलबे में दबी थी आयशा

आयशा ने बताया कि वह भूकंप आने के बाद मलबे में दब गई थीं। 36 घंटे बाद बचाव दल की नजर उन पर पड़ी। वह हाथ हिलाकर खुद को मलबे से बाहर निकालने की गुहार लगाती रहीं, लेकिन तालिबानी फरमान के चलते किसी ने उनकी ओर मदद का हाथ नहीं बढ़ाया। बचाव दल में महिलाएं ज्यादा नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इसी के चलते आंखों के सामने मलबे में दबीं महिलाएं मरने को मजबूर हैं।

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक घर के मलबे में बच्चे, पुरुष, महिलाएं, लड़कियों के दबे होने की सूचना पर बचाव दल वहां पहुंचा तो उसने पुरुषों, किशोरों को तो निकाल लिया, मगर बच्चियों, महिलाओं को उनके हाल पर छोड़ दिया।

पहले पुरुषों को बचा रहे

बचाव कार्य करने वाली टीम में लोग महिलाओं को बचा ही नहीं रहे हैं। सबसे पहले पुरुषों और बच्चों को बचाया जा रहा है। वहीं, महिलाएं अपने लिए मदद का इंतजार करती हैं। पुरुष रिश्तेदारों के नहीं होने के चलते अजनबी बचावकर्मी उन्हें कपड़ों से पकडक़र खींच रहे हैं, ताकि त्वचा न छू जाए।

महिलाओं पर कई तरह की पाबंदी

अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार आने के बाद महिलाओं व लड़कियों पर कई तरह की पाबंदी लगाई गई है। महिलाएं कहीं भी बिना पुरुष साथी के यात्रा नहीं कर सकती हैं। लड़कियों को छठवीं कक्षा के बाद पढ़ने की इजाजत नहीं है। कई क्षेत्र ऐसे भी हैं जहां उन्हें नौकरी की इजाजत नहीं है। सार्वजनिक स्थानों पर चेहरे को ढकना अनिवार्य है। राजनीति के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी पर रोक है।

दुनिया भर से मदद की अपील: फिलिपो ग्रांडी

विनाशकारी भूकंप पर संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त फिलिपो ग्रांडी ने कहा कि भूकंप ने अफगानिस्तान में मौजूदा मानवीय चुनौतियों को बढ़ा दिया है। उन्होंने अफगानिस्तान की मदद करने के लिए दुनिया भर से अपील की है। ग्रांडी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि इससे सूखे और पड़ोसी देशों से लाखों अफगानों की जबरन वापसी जैसी अन्य चुनौतियों में मौत और विनाश भी शामिल हो गया है। उम्मीद है कि दान करने वाले राहत कार्यों में सहयोग करने में संकोच नहीं करेंगे। भू वैज्ञानिकों का कहना है कि अफगानिस्तान का यह इलाका बेहद संवेदनशील है। यहां भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेट्स मिलती हैं। पहाड़ी भूभाग भूस्खलन की आशंका को और बढ़ा देता है, जिससे बचाव कार्य मुश्किल हो जाता है।