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“जब तक इस्लाम रहेगा, तब तक आतंकवाद रहेगा” – तस्लीमा नसरीन

बांग्लादेश से निर्वासित लेखिका तस्लीमा नसरीन ने आतंकवाद और इस्लाम का कनेक्शन बताते हुए एक बड़ा बयान दिया। क्या है पूरा मामला? आइए जानते हैं।

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भारत

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Tanay Mishra

May 05, 2025

Taslima Nasrin

Taslima Nasrin

बांग्लादेश (Bangladesh) से निर्वासित जानी-मानी लेखिका तस्लीमा नसरीन (Taslima Nasrin) ने रविवार को एक साहित्य महोत्सव के एक सत्र में हिस्सा लिया। इस दौरान तस्लीमा ने कई मुद्दों पर बात की, लेकिन इस्लाम पर दिए उनके बयान ने सभी का ध्यान खींच लिया। तस्लीमा ने इस्लाम (Islam) और आतंकवाद (Terrorism) का कनेक्शन बताते हुए कहा, "जब तक दुनिया में इस्लाम रहेगा, तब तक आतंकवाद भी रहेगा।" तस्लीमा ने यह बयान हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले और 2016 में बांग्लादेश की राजधानी ढाका में आर्टिज़न बेकरी पर हुए आतंकी हमले का हवाला देते हुए दिया।

"1400 साल में विकसित नहीं हुआ इस्लाम"

तस्लीमा ने कहा, "इस्लाम ऐसा धर्म है जो 1400 साल में विकसित नहीं हुआ। इतने लंबे समय में भी इस्लाम नहीं बदला। जब तक इस्लाम नहीं बदलता और इसी तरह चलता रहेगा, यह आतंकियों को जन्म देता रहेगा और इससे बचने का कोई रास्ता नहीं है।"

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मुस्लिमों को कलमा न पढ़ने के कारण उतारा गया था मौत के घाट

तस्लीमा ने 2016 में ढाका की आर्टिज़न बेकरी में हुए आतंकी हमले पर बात करते हुए कहा कि इस हमले में मुस्लिमों को सिर्फ इसलिए मार दिया गया था क्योंकि वो कलमा नहीं पढ़ पाए थे। गौरतलब है कि 1 और 2 जुलाई 2016 में बांग्लादेशी राजधानी में हुए इस आतंकी हमले को 5 आतंकियों ने अंजाम दिया था। ये पांचों आतंकी मार गिराए गए थे, लेकिन 22 नागरिक और 2 पुलिसकर्मी भी इस आतंकी हमले में मारे गए थे। साथ ही करीब 50 लोग इस आतंकी हमले में घायल हुए थे, जिनमें ज़्यादातर पुलिसकर्मी थे।

"मुस्लिमों को मस्जिद-मदरसे ही पसंद"

तस्लीमा ने आगे कहा, "यूरोप में कई चर्च संग्रहालयों में बदल गए हैं, लेकिन मुस्लिमों को अभी भी मस्जिदें बनाना ही पसंद हैं। पहले से हज़ारों मस्जिदें होने के बावजूद मुस्लिम और मस्जिदें बनाना चाहते हैं। मुस्लिमों को मदरसे भी पसंद हैं, जहाँ से जिहादी निकलते हैं। मदरसों में बच्चों को सिर्फ एक धर्म की किताब पढ़ाई जाती है, लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए। बच्चों को शिक्षाप्रद किताबें पढ़ाना ज़रूरी है।"

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