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Health Disasters: महामारी के शोर में दब गई ये पांच बड़ी स्वास्थ्य आपदाएं

-विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना के साथ ही इन बीमारियों को खतरनाक माना है-चिकनगुनिया, खसरा, इबोला और पीला बुखार ने बड़ी आबादी को प्रभावित किया (Chikungunya, measles, Ebola and yellow fever affected large population)

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Pushpesh Sharma

Nov 29, 2020

Health Disasters: महामारी के शोर में दब गई ये पांच बड़ी स्वास्थ्य आपदाएं

कांगो में इबोला से 50 लोगों की जान गईं

कोरोना महामारी ने दुनिया की दूसरी बीमारियों को चर्चा में आने ही नहीं दिया, जो काफी खतरनाक स्तर तक पहुंच गई थी। जानिए ऐसे पांच स्वास्थ्य संकट, जिनके बारे में आपने इस वर्ष नहीं सुना होगा। विश्व आर्थिक मंच ने ताजा रिपोर्ट में चेताया है कि ये पांच वैश्विक जोखिम पर्यावरण से जुड़े हैं, जो अगले दस वर्ष तक दुनिया के लिए खतरा बन सकते हैं। इसके लिए सरकारों को पर्यावरण के अनुकूल योजनाएं बनानी होंगी।

चाड में चिकनगुनिया
उत्तर-मध्य अफ्रीकी देश चाड के तीन प्रांतों में जुलाई से सितंबर तक चिकनगुनिया के 27 हजार से अधिक मामले दर्ज किए गए। चिकनगुनिया एडीज मच्छरों के काटने से इंसानों में फैलने वाली संक्रामक बीमारी है। इसमें जोड़ों में दर्द और सूजन के साथ बुखार आता है। समय रहते यदि नियंत्रण नहीं किया जाए तो यह वायरस बड़े प्रकोप का कारण बन सकता है। चाड में डब्ल्यूएचओ, दूसरे स्वास्थ्य संगठनों के साथ मिलकर इसकी रोकथाम के प्रयास कर रहा है।

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मैक्सिको में खसरा
जनवरी-अप्रेल में मैक्सिको में खसरे के 1300 से ज्यादा मामले सामने आए। प्रभावित लोगों में तीन माह से 68 वर्ष की उम्र के लोग थे। आज भी बच्चों क जानलेवा बीमारियों में से एक है।

कांगो में इबोला
अफ्रीकी देश कांगो में जून में अब तक का दूसरा सबसे बड़ा इबोला प्रकोप घोषित किया गया। कांगो में इस वर्ष इबोला से 50 लोगों की जान गईं। दो वर्ष में 2300 लोगों की मौत हो चुकी है।

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गैबॉन और टोगो में पीला बुखार
पश्चिम अफ्रीकी देश गैबॉन और टोगो में पीले बुखार ने दस्तक दी। गैबॉन में 2000 और टोगो में 2005 में नियमित टीकाकरण शुरू किया गया। लगभग 85 फीसदी आबादी के टीकाकरण का दावा किया गया। लेकिन नए मामलों ने चिंता बढ़ा दी है।

सूडान में बाढ़ से तबाही
सितंबर में बाढ़ और फिर हैजे का प्रकोप फैल गया। यहां विनाशकारी बाढ़ से 100 लोगों की जान गई और 16 राज्यों में पांच लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक यहां जरूरत के अनुरूप 25 फीसदी ही चिकित्सा संसाधन मौजूद हैं।