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ट्रंप और शी जिनपिंग के बीच ऊर्जा समझौते पर चर्चा से भारत-चीन रिश्तों पर क्या असर पड़ेगा ?

US-China trade Talks: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच ऊर्जा समझौते पर चर्चा की गई, जो भारत के लिए एक बड़ा संकेत हो सकता है।

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भारत

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MI Zahir

Oct 30, 2025

US-China trade Talks

अमेरिका और चीन के बीच कारोबारी वार्ता। (फोटो: एएनआई.)

US-China trade Talks: डोनाल्ड ट्रंप और शी जिनपिंग के बीच हुई बातचीत (US-China trade talks) के दौरान अमेरिका और चीन ने व्यापार और ऊर्जा क्षेत्र में सहमति जताई है। खासकर ऊर्जा क्षेत्र में एक संभावित समझौता किया गया, जिसके तहत चीन अमेरिका (Trump Xi Jinping summit) से ऊर्जा खरीदने की प्रक्रिया शुरू करेगा। भारत के लिए यह एक बड़ी चुनौती और अवसर (India China relations) दोनों है। भारत, जो खुद ऊर्जा आयातक देश है, इस समझौते से चीन के साथ ऊर्जा प्रतिस्पर्धा में उलझ सकता है, वहीं दूसरी ओर, अमेरिका से ऊर्जा खरीद की दिशा में भारत के लिए भी दरवाजे खुल सकते हैं।

भारत को इस बदलाव के प्रति सजग रहना होगा

दरअसल चीन और अमेरिका के बीच चल रहे व्यापारिक तनावों को देखते हुए भारत को इस बदलाव के प्रति सजग रहना होगा। भारत की अर्थव्यवस्था पहले से ही अमेरिका और चीन के व्यापारिक नीतियों से प्रभावित होती है, और अब इस ऊर्जा समझौते का भारत की घरेलू नीति और व्यापारिक रिश्तों पर असर पड़ सकता है।

भारत और अमेरिका के रिश्ते (Energy deal India impact)

अगर यह ऊर्जा समझौता सफल रहता है, तो भारत को अमेरिका से ऊर्जा आयात करने के नए रास्ते मिल सकते हैं। भारत पहले से ही अमेरिका से कुछ ऊर्जा उत्पाद आयात करता है, लेकिन इस नई दिशा में दोनों देशों के रिश्तों को और अधिक मजबूती मिल सकती है। अमेरिका से ऊर्जा खरीद की संभावना भारत के ऊर्जा संकट को हल करने में सहायक हो सकती है।

चीन और भारत के बीच ऊर्जा प्रतिस्पर्धा

चीन के साथ भारत का पहले से ही ऊर्जा संबंध हैं, लेकिन अब चीन के लिए अमेरिका से ऊर्जा खरीदने की संभावना भारत के लिए चुनौती बन सकती है। भारत को अपने ऊर्जा स्रोतों का विविधीकरण करने की आवश्यकता हो सकती है, ताकि चीन के साथ ऊर्जा के मामले में प्रतिस्पर्धा में बने रहे।

भारत के लिए कूटनीतिक दृष्टिकोण

भारत को यह समझने की जरूरत है कि अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापारिक समझौतों से उसके लिए नई कूटनीतिक चुनौतियाँ पैदा हो सकती हैं। चीन के साथ तनावपूर्ण रिश्तों के बावजूद, भारत को अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए इस स्थिति में संतुलन बनाना होगा।

रणनीति और कूटनीतिक नीतियों में सुधार करने की जरूरत

बहरहाल ट्रंप और शी जिनपिंग के बीच हुई बैठक और समझौते से भारत को विशेष रूप से अपने ऊर्जा आयात और व्यापारिक नीतियों को नए सिरे से देखने की आवश्यकता होगी। भारत को इस बदलते वैश्विक परिप्रेक्ष्य में अपनी रणनीति और कूटनीतिक नीतियों में सुधार करने की जरूरत है, ताकि वह वैश्विक व्यापारिक परिवर्तनों का अधिकतम लाभ उठा सके।