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ट्रंप का एक और झटका! H-1B वीज़ा और ग्रीन कार्ड में बड़ा बदलाव होगा,अब भारत के कामगारों का क्या होगा ?

US H1B visa changes 2025: ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीज़ा और ग्रीन कार्ड कार्यक्रम में बड़े बदलाव का संकेत दिया है, जो विदेशी कामगारों और छात्रों के लिए अहम होगा।

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भारत

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MI Zahir

Aug 27, 2025

H-1B Visas (Photo: Patrika)

US H1B visa changes 2025: डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने टैरिफ बम के बाद अब एक और शगूफा छेड़ दिया है। अब अमेरिका की सरकार ने H-1B वीज़ा और ग्रीन कार्ड कार्यक्रम(US H1B visa changes 2025)में बड़े बदलाव करने का संकेत दिया है। ये बदलाव अमेरिका में काम करने वाले विदेशी कर्मचारियों और छात्रों के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं। नए नियम वेतन आधारित प्राथमिकता देंगे और अमेरिका में विदेशी रोजगार की दिशा बदल सकते हैं। यूएस के वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक (Howard lutnik) ने इसे एक “घोटाला” बताया और कहा कि इस सिस्टम में बदलाव जरूरी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “H-1B वीज़ा प्रणाली एक ऐसा तरीका है जिससे विदेशी कामगारों को अमेरिकी नौकरी पाने का मौका मिलता है, लेकिन अब समय आ गया है कि अमेरिकी कर्मचारियों को ही प्राथमिकता मिले। अमेरिका के बिजनेस को अमेरिकी कामगारों को रोजगार देना चाहिए।”

H-1B वीज़ा और ग्रीन कार्ड दोनों पर असर पड़ेगा

लुटनिक ने फॉक्स न्यूज़ को बताया कि वे इस बदलाव का हिस्सा हैं, जिसका H-1B वीज़ा और ग्रीन कार्ड दोनों पर असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अमेरिकी कर्मचारियों और ग्रीन कार्डधारकों के बीच वेतन का अंतर भी इस बदलाव की वजह है। उदाहरण के लिए, अमेरिका में औसतन एक अमेरिकी कर्मचारी सालाना 75,000 डॉलर कमाता है, जबकि औसत ग्रीन कार्डधारी 66,000 डॉलर कमाता है। इस असमानता को दूर करने के लिए नए नियम बनाए जा रहे हैं।

वेतन आधारित वीज़ा मिले

ट्रंप प्रशासन की योजना है कि H-1B वीज़ा की लॉटरी सिस्टम खत्म किया जाए और इसके स्थान पर वेतन आधारित वीज़ा आवंटन की जाए। इसका मतलब है कि जिन आवेदकों की सैलरी ज्यादा होगी, उन्हें प्राथमिकता मिलेगी। इससे उच्च कौशल और अधिक वेतन वाले कामगारों को ही वीज़ा मिलेगा।

नए नियम का इन लोगों पर ज्यादा असर पड़ेगा

भारत के कई कामगार और छात्र H-1B वीज़ा का बड़ा हिस्सा रखते हैं, लगभग 70%, इसलिए इस नए नियम का असर इन लोगों पर ज्यादा पड़ेगा। पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका ने विदेशी कामगारों के लिए नियम कड़े किए हैं।

घर का पता सरकार को देना जरूरी होगा

सीआईएस का लोकपाल कार्यालय, जो वीज़ा संबंधी मदद करता था, इस साल बंद कर दिया गया। अब H-1B वीज़ा धारकों को अपनी बायोमेट्रिक जानकारी और घर का पता सरकार को देना जरूरी होगा। ये बदलाव वीज़ा प्रक्रिया को और कड़ा बनाएंगे।

ग्रीन कार्ड की वैधता और सुरक्षा पर सवाल

उप राष्ट्रपति जेडी वेंस ने भी कहा है कि ग्रीन कार्डधारक को “अनिश्चित काल तक रहने का अधिकार” नहीं मिलता। यह बयान ग्रीन कार्ड की वैधता और सुरक्षा पर सवाल खड़े करता है।

एक नया विकल्प हो सकता है

ट्रंप प्रशासन की “गोल्ड कार्ड” योजना, जो एक नया विकल्प हो सकता है, इस बदलाव के केंद्र में है। इसका मकसद अमेरिका में “सबसे अच्छे” और “योग्य” कामगारों को लाना है।

उच्च कौशल वाले कर्मचारियों को प्राथमिकता मिलेगी

इस बदलाव से अमेरिका में विदेशी कामगारों, विशेषकर भारतीयों के लिए अवसर कम हो सकते हैं, खासकर उन लोगों के लिए जो कम वेतन पर काम करते हैं। अमेरिकी कंपनियां अब ज्यादा वेतन वाले और उच्च कौशल वाले कर्मचारियों को प्राथमिकता देंगी। इस तरह के बदलावों से अमेरिका में काम करने वाले हजारों भारतीय कामगारों और छात्रों की नौकरी और भविष्य पर असर पड़ेगा।