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ट्रंप के सीजफायर प्लान में बड़ा ट्विस्ट: अमेरिका-यूक्रेन ने तैयार किया रूस के लिए नया फॉर्मूला, 27 नवंबर तक डेडलाइन !

Trump Ukraine Russia Peace Deal: अमेरिका-यूक्रेन ने ट्रंप की शांति योजना को नया रूप दे दिया है जिसमें यूक्रेन की मुख्य मांगें शामिल हैं। अब 27 नवंबर तक कीव को फैसला करना है, तब तक दुनिया की सांसें थमी रहेंगी।

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भारत

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MI Zahir

Nov 24, 2025

Trump Ukraine Russia Peace Deal

वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की और डोनाल्ड ट्रंप। (फोटो:द वाशिंगटन पोस्ट)

Trump Ukraine Russia Peace Deal: अमेरिका और यूक्रेन ने मिल कर रूस-यूक्रेन युद्ध (Ukraine Russia War) खत्म करने के लिए ट्रंप का मूल 28-सूत्री सीजफायर प्लान (Trump Peace Plan) पूरी तरह बदल दिया है। जेनेवा में रविवार को आयोजित दोनों देशों के बड़े अधिकारियों की मैराथन मीटिंग (Geneva Talks 2025) में शांति का एक नया परिष्कृत शांति ढांचा तैयार किया गया। यूक्रेन ने साफ कहा है कि नई योजना में उसकी कई महत्वपूर्ण मांगें (28 Point Peace Deal) शामिल कर ली गई हैं। पिछले हफ्ते अमेरिका ने मूल प्लान पेश किया था, जिसे यूक्रेन (US Ukraine Framework) में आत्मसमर्पण जैसा माना जा रहा था। उसमें यूक्रेन से डोनबास के बचे हुए हिस्से छोड़ने, सेना घटाने और हमेशा के लिए नाटो से बाहर रहने के लिए कहा गया था, लेकिन अब तस्वीर बदल गई है।

नई योजना के मुख्य पॉइंट्स

रूस के साथ कोई भी इलाका छोड़ने की बात तभी होगी, जब सामने की लाइन पर पूरी तरह युद्ध विराम हो जाए।
यूक्रेन को अमेरिका से नाटो के आर्टिकल-5 जैसी मजबूत सुरक्षा गारंटी मिलेगी।

रूस के जमे हुए अरबों डॉलर यूक्रेन के पुनर्निर्माण और मुआवजे में लगेंगे।
रूस पर से प्रतिबंध धीरे-धीरे हटेंगे, लेकिन सिर्फ तभी जब वह हर शर्त माने।
डोनबास का बफर जोन और क्रीमिया पर पुरानी शर्तें अब सख्ती से बदली गई हैं।

एंड्री यरमक ने इसे बहुत अच्छी प्रगति बताया

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि यह नया प्लान सिर्फ अमेरिका नहीं, बल्कि यूक्रेन की मांगों को भी शामिल करता है। दूसरी तरफ यूक्रेन के मुख्य वार्ताकार एंड्री यरमक ने इसे बहुत अच्छी प्रगति बताया। ट्रंप ने हालांकि रविवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की पर तंज कसा था कि “शांति के लिए जीरो थैंक्स बोलते हैं”, लेकिन 24 घंटे में ही उनकी अपनी टीम ने यूक्रेन के साथ मिल कर प्लान और मजबूत बना दिया। ट्रंप ने यूक्रेन को इस प्लान के लिए 27 नवंबर (अमेरिका के थैंक्सगिविंग डे) तक हामी भरने के लिए कहा है।

यूक्रेन ने प्लान पलट दिया

सूत्रों के मुताबिक मूल प्लान मियामी में अक्टूबर में एक गुप्त मीटिंग में बना था, जिसमें ट्रंप के दामाद जेरेड कुशनर, स्पेशल एनवॉय स्टीव विटकॉफ और रूसी अरबपति किरिल दिमित्रीव शामिल थे। अब यूक्रेन ने उस प्लान को लगभग पलट दिया है।

उनकी सरकार ने हार नहीं मानी

यूक्रेन में आम लोग राहत महसूस कर रहे हैं कि उनकी सरकार ने हार नहीं मानी। वहीं रूस की तरफ से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन क्रेमलिन के करीबी सूत्र इसे अस्वीकार्य बता रहे हैं। अब सबकी नजर 27 नवंबर पर है। अगर यूक्रेन 'हाँ' कहता है तो इस मुदृे पर दिसंबर में रूस के साथ बड़ी टेबल पर बात हो सकती है। अब कई विश्लेषक मान रहे हैं कि ट्रंप 20 जनवरी 2026 से पहले युद्ध खत्म कर नोबेल शांति पुरस्कार की रेस में मजबूत दावेदारी पेश करना चाहते हैं।

यूक्रेन ने अपनी तीन सबसे बड़ी मांगें मनवा लीं

दरअसल जेनेवा में हुई मैराथन मीटिंग के बाद अब सीजफायर का जो नया परिष्कृत प्लान सामने आया है, उसमें यूक्रेन ने अपनी तीन सबसे बड़ी मांगें मनवा ली हैं। पहली – कोई भी इलाका (चाहे डोनबास का बचा हुआ हिस्सा हो या खेरसॉन-ज़ापोरिज्जिया) तभी छोड़ा जाएगा, जब रूस पूरी तरह युद्धविराम मान ले और मौजूदा संपर्क रेखा पर गोलीबारी बंद हो जाए। दूसरी – यूक्रेन को अमेरिका से नाटो के आर्टिकल-5 से भी मजबूत लिखित सुरक्षा गारंटी मिलेगी, यानि अगर भविष्य में रूस फिर हमला करे तो अमेरिका सीधे युद्ध में उतरेगा। तीसरी – रूस की विदेशों में रखी करीब 350 अरब डॉलर की संपत्ति सीधे यूक्रेन के पुनर्निर्माण और युद्ध पीड़ितों को मुआवजे में लगाई जाएगी; यह पैसा तब तक नहीं छोड़ा जाएगा जब तक मॉस्को पूरी क्षतिपूर्ति न कर दे।

प्रतिबंध चरणबद्ध तरीके से हटेंगे

इसके अलावा यूक्रेन ने रूस की उस मांग को सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें डोनबास में अभी यूक्रेनी कब्जे वाले इलाकों को खाली करने और तुरंत तटस्थ बफर जोन बनाने के लिए कहा गया था। अब बफर जोन और विसैन्यीकरण योजना की शर्तें सिर्फ आपसी सहमति और अंतरराष्ट्रीय निगरानी के बाद लागू होंगी। प्रतिबंध भी एक झटके में नहीं, बल्कि चरणबद्ध तरीके से हटेंगे –वहीं हर चरण में रूस को शांति समझौते की शर्तें पूरी करनी होंगी। कुल मिला कर ट्रंप का मूल प्लान, जो पहले रूस के पक्ष में बहुत झुका हुआ था, अब लगभग 60-40 के अनुपात में यूक्रेन के पक्ष में हो गया है। यही वजह है कि कीव में इसे बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है, जबकि क्रेमलिन में खामोशी छाई हुई है।