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ट्रंप की शांति पहल के सारे प्रस्तावों पर ज़ेलेंस्की की ‘ना’: लावरोव ने ठंडी बौछार की

Trump Zelensky peace proposals: डोनाल्ड ट्रंप के युद्ध समाप्ति के प्रयासों को यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने पूरी तरह से नकार दिया है। रूस के विदेश मंत्री लावरोव ने भी वार्ता के किसी भी संकेत को नामंजूर करते हुए कड़ा रुख दिखाया है।

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भारत

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MI Zahir

Aug 23, 2025

Trump Zelensky peace proposals

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की। (फोटो: X Handle Lev.)

Trump Zelensky peace proposals: डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन जंग (Russia-Ukraine War) खत्म करवाने के लिए कई प्रस्ताव (Trump Zelensky peace proposals)पेश किए, जिनमें शामिल था-यूक्रेन की NATO सदस्यता को दशकों तक टालना, यूरोपीय और ब्रिटिश शांति दस्ते (Trump peace plan) का तैनात होना, और यूक्रेन के प्राकृतिक संसाधनों का 50 % हिस्सा अमेरिका को देना। लेकिन यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की (Volodymyr Zelensky) ने ये प्रस्ताव पूरी तरह से अस्वीकार कर दिए। उनका रुख रहा कि सुरक्षा गारंटी के बिना ऐसी बात स्वीकार नहीं की जा सकती।रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि ज़ेलेंस्की ने डोनाल्ड ट्रंप ( Donald Trump) द्वारा प्रस्तावित सभी शर्तों को मना कर दिया-यह कुछ भी स्वीकार नहीं किया, जैसे कि रूसी भाषा पर प्रतिबंध हटाना भी शामिल था। उन्होंने जताया कि अगर कोई नेता अपवाद नहीं मानता, तो शांति वार्ता कैसे हो सकती है। साथ ही ज़ेलेंस्की की अवैधता की भी याद दिलाई । रूसी विदेश मंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि बदले में रूस ने अलास्का में शिखर सम्मेलन के बाद अमेरिकी नेता की ओर से प्रस्तावित कई बिंदुओं पर लचीला रुख अपनाने पर सहमति जताई थी।

शांति वार्ता के लिए शर्तें और समझौते

ट्रंप चाहते थे कि यूक्रेन पहले युद्ध विराम को मंजूर करे, उसके बाद “Article‑5 जैसे” सुरक्षा प्रत्याभूति प्राप्त कर सके। ज़ेलेंस्की ने इसके जवाब में कहा कि ऐसी न्यायसंगत सुरक्षा गारंटी मिले बिना कोई शांतिपूर्ण समाधान संभव नहीं है। ट्रंप समर्थकों ने प्रस्तावित किया कि यूक्रेन की खनिज संपदा कुछ हिस्सों में अमेरिका को दी जाए, लेकिन यह भी ज़ेलेंस्की ने खारिज कर दिया — “मैं अपनी राष्ट्र को नहीं बेच सकता।”

टिप्पणियों में कूटनीतिक गतिरोध स्पष्ट

लावरोव ने साफ कहा कि वर्तमान समय में पुतिन-ज़ेलेंस्की की किसी भी बैठक की कोई रूपरेखा तैयार नहीं है—एजेंडा ही नहीं बना है। ऐसे में शांति वार्ता जल्दी होने की कोई संभावना रहती नहीं। इसके साथ ही, उन्होंने पश्चिमी प्रस्तावों पर जोर दिया कि वे सचमुच समाधान नहीं, बल्कि युद्ध को लंबा करने वाले हैं।

पहले के प्रस्तावों से अब तक का अंतर

पहले ट्रंप टीम ने NATO सदस्यता स्थगित करने और यूरोप के सैन्य हस्तक्षेप सुझाए थे, लेकिन उस पर भी लावरोव ने स्पष्ट असहमति जताई। बाद के ड्राफ्ट में खनिज सौदा चढ़ा, जिसे ज़ेलेंस्की ने “सरकार के आत्मसम्मान से छुटकारा” देने जैसा करार दिया।

ट्रंप के शांति प्रस्तावों को ज़ेलेंस्की ने खारिज किया

ट्रंप के शांति प्रस्तावों का ज़ेलेंस्की की ओर से खारिज किया जाना और लावरोव की सख्त टिप्पणियाँ इस संघर्ष के समाधान की जटिलता को दर्शाती हैं। यह साफ है कि वर्तमान कूटनीतिक माहौल में विश्वास की कमी है और दोनों पक्षों के बीच सामंजस्य स्थापित करना बहुत चुनौतीपूर्ण है। इस स्थिति में किसी भी जल्दबाजी में शांति वार्ता को लेकर उम्मीदें कम हो गई हैं।

रूस-यूक्रेन विवाद की वार्ता पर नजर

अब आगे की घटनाओं पर नजर रखना जरूरी होगा कि क्या आने वाले महीनों में कोई नया मध्यस्थ सामने आता है या फिर रूस-यूक्रेन विवाद की वार्ता फिर से कब और कैसे शुरू होगी। इसके अलावा, अमेरिका और यूरोपीय देशों का इस मामले में क्या रुख होगा, यह भी देखने लायक होगा क्योंकि ये शक्तियां संघर्ष के समाधान में अहम भूमिका निभा सकती हैं।

रूस किसी भी समझौते में सख्त रहेगा

बहरहाल यह संघर्ष सिर्फ दो देशों का विवाद नहीं है, बल्कि यह वैश्विक राजनीति, ऊर्जा सुरक्षा, और भू-रणनीति का बड़ा मुद्दा बन चुका है। ट्रंप की पहल में जो व्यापारिक और सुरक्षा हित छिपे थे, वे भी इस मामले को और पेचीदा बनाते हैं। वहीं, रूस के रुख से यह पता चलता है कि वह अपनी सैन्य और राजनीतिक स्थिति मजबूत बनाए रखने के लिए किसी भी समझौते में सख्त रहेगा।