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Explainer: क्या डोनाल्ड ट्रंप का नया एजेंडा लागू करेंगे भारत में अमेरिका के नए राजदूत सर्जियो गोर

Sergio Gor India Ambassador: सर्जियो गोर ने भारत में अमेरिका के राजदूत के रूप में केनेथ जस्टर का स्थान लिया है। उनकी नियुक्ति से अमेरिका-भारत संबंधों में नई दिशा और ट्रंप की नीतियों को लागू करने की उम्मीद बढ़ गई है।

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भारत

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MI Zahir

Aug 23, 2025

Donald Trump and Ambassador Sergio Gor

अमेरिकी प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप और भारत में अमेरिका के नए राजदूत सर्जियो गोर।(फोटो: X Handle Shashank Mattoo.)

Sergio Gor India Ambassador: डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में उनकी मंशा के अनुरूप अमेरिका-भारत संबंधों पर खास ध्यान दिया गया। अब जब सर्जियो गोर (Sergio Gor India Ambassador) भारत के नए अमेरिकी राजदूत बने हैं, तो सवाल उठता है कि ट्रंप ने भारत में राजदूत क्यों बदला ? दरअसल, ट्रंप प्रशासन ने व्यापार और सुरक्षा के मुद्दों पर कड़ा रुख अपनाया था। राजदूतों को ऐसे चुनना था जो उनकी नीतियों को पूरी ताकत से लागू कर सकें। इसलिए सर्जियो गोर को नई जिम्मेदारी दी गई है ताकि वह भारत में डोनाल्ड ट्रंप ( Donald Trump) की प्राथमिकताओं को आगे बढ़ा सकें। ध्यान रहे कि केनेथ जस्टर ने 2017 से भारत में अमेरिका के राजदूत के रूप में सेवा दी थी और उन्होंने दोनों देशों के रिश्तों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भारत में 2021 से 2023 के बीच अमेरिका का कोई स्थायी राजदूत नहीं था और उस दौरान दूतावास का काम वरिष्ठ अधिकारियों ने चार्ज डि'अफेयर्स के रूप में संभाला। मार्च 2023 में एरिक गार्सेटी को अमेरिका का राजदूत नियुक्त किया गया और उन्होंने भारत में अपना कार्यभार ग्रहण किया। वे 2025 तक इस पद पर बने रहे।

डोनाल्ड ट्रंप की भारत के लिए व्यापारिक नीति

ट्रंप की व्यापार नीति में अमेरिका का फोकस ‘अमेरिका फर्स्ट’ था। इसका मतलब था कि अमेरिकी उद्योगों और किसानों को लाभ दिलाना। भारत के साथ व्यापार में ट्रंप ने कड़े टैरिफ लगाए और भारतीय वस्तुओं पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की बात कही। उनका मकसद था कि भारत अमेरिकी उत्पादों के लिए बाजार ज्यादा खुले और व्यापार असंतुलन कम हो। ऐसे में भारत को अमेरिका के नियमों के अनुसार व्यापार नीतियां अपनानी होंगी।

डोनाल्ड ट्रंप के 50 प्रतिशत टैरिफ पर भारत का क्या है रुख ?

डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका की घरेलू उद्योगों को बचाने के लिए कई देशों से आयातित सामानों पर भारी टैरिफ लगाना शुरू किया था, जिसमें भारत भी शामिल था। खासकर स्टील और एल्यूमिनियम जैसे सेक्टर पर 50 प्रतिशत तक का टैरिफ लगाया गया। भारत ने इस फैसले को असंवैधानिक और व्यापारिक नियमों के खिलाफ बताया है

अमेरिका WTO के नियमों का उल्लंघन कर रहा

भारत का मानना था कि यह कदम विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों का उल्लंघन करता है और इससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्ते प्रभावित होंगे। भारत ने अमेरिका के इस टैरिफ के जवाब में अपने भी कुछ उत्पादों पर शुल्क बढ़ा दिए थे, ताकि व्यापार में संतुलन बना रहे।

द्विपक्षीय व्यापारिक रिश्तों को नुकसान मंजूर नहीं

भारत सरकार ने यह भी साफ कहा है कि वह ऐसे कदमों का विरोध करती है जो द्विपक्षीय व्यापारिक रिश्तों को नुकसान पहुंचाते हैं और दोनों देशों को सहयोग से ही व्यापारिक मुद्दों को सुलझाना चाहिए।

इस मामले को ऐसे समझें

भारत ने ट्रंप के 50% टैरिफ को व्यापार विरोधी और अनुचित बताया।

भारत ने WTO के नियमों के तहत अपनी बात रखी और जवाबी कार्रवाई की।

भारत चाहता है कि दोनों देश सहयोग से व्यापार बढ़ाएं, टैरिफ नहीं बढ़ाएं।

डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ मामले में भारत से क्या चाहते हैं ?

ट्रंप ने भारत से यह उम्मीद रखी कि वह अमेरिका के कृषि उत्पादों, जैसे सोयाबीन, मक्का, और गेंहू पर टैक्स कम करे, ताकि अमेरिका के किसान ज्यादा फायदा उठा सकें। इसके अलावा, ट्रंप चाहते हैं कि भारत अमेरिकी तकनीक और सेवा उद्योग के लिए ज्यादा दरवाजे खोले। यदि भारत इन मांगों को पूरा करता है, तो अमेरिका व्यापार में अपनी खोई संतुलन को सुधार सकता है।

एरिक गार्सेटी की सोच डोनाल्ड ट्रंप से अलग क्यों रही ?

एरिक गार्सेटी डोनाल्ड ट्रंप की नियुक्ति नहीं थे और न ही वे ट्रंप की नीतियों के खास समर्थक माने जाते हैं। वे जो बाइडेन प्रशासन की ओर से भारत में अमेरिका के राजदूत बनाए गए थे। ट्रंप के दौर में उन्होंने किसी राजनयिक पद पर काम नहीं किया था। गार्सेटी कैलिफोर्निया के लॉस एंजेलेस के मेयर रह चुके हैं और डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़े हुए हैं, जबकि ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी से हैं। इसलिए उनकी नीतियों और सोच में स्पष्ट अंतर रहा है। उनका झुकाव कूटनीतिक संतुलन और सहयोग की तरफ रहा है, न कि ट्रंप के सख्त और टैरिफ आधारित एजेंडे की तरफ रहा है।

एरिक गार्सेटी का भारत के लिए रुख क्या रहा ?

एरिक गार्सेटी का भारत के लिए रुख सकारात्मक, सहयोगात्मक और बहुपक्षीय रहा है। उन्होंने भारत-अमेरिका संबंधों को रणनीतिक साझेदारी की तरह देखा, जहां रक्षा, जलवायु परिवर्तन, तकनीक, शिक्षा और लोकतांत्रिक मूल्यों पर साथ काम करने की बात को प्राथमिकता दी गई। वे कई बार यह कह चुके हैं कि भारत और अमेरिका के रिश्ते सिर्फ सरकारों के नहीं, बल्कि जनता और संस्कृति के रिश्ते हैं।

पहले जस्टर भारत के लिए नरम रहे

पहले भारत में अमेरिकी राजदूत थे केनेथ जस्टर। वे लंबे समय तक इस पद पर रहे और अमेरिका-भारत के संबंधों को मजबूत करने में मदद की। जस्टर का दौर ट्रंप प्रशासन के शुरुआती सालों में था, जब व्यापारिक तनाव बढ़ रहे थे। उन्होंने दो देशों के बीच संवाद कायम रखा, लेकिन ट्रंप की कुछ नीतियों पर जस्टर का रुख थोड़ा नरम था।

जस्टर ने डोनाल्ड ट्रंप की क्या बात नहीं मानी ?

केनेथ जस्टर ने ट्रंप की कुछ कड़ी व्यापारिक मांगों को लागू करने में धीरे-धीरे कदम उठाए। खास तौर पर, उन्होंने भारत से व्यापारिक टैरिफ कम करने के मामले में ज्यादा दबाव नहीं डाला। इसलिए ट्रंप प्रशासन ने नए राजदूत सर्जियो गोर को नियुक्त किया, जो उनकी सख्त नीतियों को तेज़ी से लागू करवा सकें। यह बदलाव अमेरिका की रणनीति में एक बड़ा संकेत माना जा रहा है।

क्या सर्जियो गोर ट्रंप का एजेंडा लागू करेंगे ?

बहरहाल सर्जियो गोर के आने से अमेरिका-भारत संबंधों में नई चुनौतियां और अवसर दोनों सामने आ सकते हैं। ट्रंप की नीतियों पर चलते हुए वे भारत से कड़े व्यापारिक सुधार और अमेरिकी हितों को प्राथमिकता देने की उम्मीद की जा रही है। वहीं, भारत अपने हितों की रक्षा भी करेगा। आने वाले समय में दोनों देशों के बीच संतुलन बनाना सर्जियो गोर की सबसे बड़ी परीक्षा होगी।