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अमेरिका में दो चीनी ‘कृषि आतंकी’ गिरफ्तार, भारत सहित कई देशों पर नए तरह का खतरा

एग्रो-टेररिज्म वह प्रक्रिया है जिसमें शत्रु देश, आतंकवादी संगठन या कोई संगठित गिरोह जानबूझकर फसलों या पशुधन को संक्रमित कर कृषि क्षेत्र को नुकसान पहुंचाते हैं।

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भारत

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Ashib Khan

Jun 04, 2025

अमेरिका ने दो चीनी नागरिकों को किया गिरफ्तार (Photo- X @_NOALCOMUNISMO)

अमेरिका ने दो चीनी नागरिकों को प्रतिबंधित कृषि जैविक रोगजनक (फ्यूजेरियम ग्रैमिनीरम नामक फंगस) की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार कर 'कृषि आतंकवाद' (एग्रो टेररिज्म) के खतरे को वैश्विक विमर्श के केंद्र में ला दिया है। फ्यूजेरियम ग्रैमिनीरम नामक फंगस को अमेरिका में जैविक हथियार माना जाता है। यह वही फंगस है जो गेहूं, जौ, मक्का और चावल जैसी फसलों में ‘हेड ब्लाइट’ बीमारी फैलाकर भारी नुकसान पहुंचा सकता है। यह फंगस न केवल फसल की पैदावार को नुकसान पहुंचाता है बल्कि, उसकी गुणवत्ता को भी बिगाड़ देता है, जिससे मनुष्यों और जानवरों के स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, भारत समेत कई देश इस जैविक हथियार का निशाना बन चुके हैं।

एग्रो-टेररिज्म वह प्रक्रिया है जिसमें शत्रु देश, आतंकवादी संगठन या कोई संगठित गिरोह जानबूझकर फसलों या पशुधन को संक्रमित कर कृषि क्षेत्र को नुकसान पहुंचाते हैं। इसका मकसद किसी देश की खाद्य सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और सामाजिक स्थिरता को कमजोर करना होता है। ऐसे हमले अक्सर पहचान में नहीं आते और इनका असर कई महीनों तक चलता है। विशेषज्ञों का कहना है कि देश के सीमावर्ती इलाकों में कीटों और बीमारियों की अप्राकृतिक उपस्थिति, विशेषकर पंजाब, जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में, इस बात की ओर इशारा करती है कि भारत को एग्रो-टेररिज्म का शिकार बनाया गया है। कृषि या कृषि-आधारित क्षेत्र अपेक्षाकृत आसान लक्ष्य हैं, क्योंकि हमलों का पता लगाना मुश्किल है और खाद्य प्रणालियों को आसानी से हथियार बनाया जा सकता है। यह प्रतिद्वंद्वी देशों की अर्थव्यवस्थाओं को तबाह करने का एक लागत प्रभावी तरीका है, खासकर उन देशों की जो कृषि पर निर्भर हैं।

चीनी वैज्ञानिक कर रहे थे प्रयोग

अमेरिका में गिरफ्तार किए गए चीन नागरिकों में एक वैज्ञानिक जुनयोंग लियू और उसकी प्रेमिका युनकिंग जियान है जो चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्य मानी जा रही है। अमेरिकी न्याय विभाग के अनुसार, दोनों चीनी नागरिकों ने चीन से अमेरिका में फ्यूसारियम ग्रामिनेरम नामक फंगस लाने का प्रयास किया, जो अमेरिकी कृषि कानूनों के अनुसार एक जैविक हथियार माना जाता है। अमेरिकी प्रशासन ने इसे 'राष्ट्रीय सुरक्षा की गंभीर चिंता' बताया और कहा कि लियू ने कवक की तस्करी करने की कोशिश की ताकि वह मिशिगन विश्वविद्यालय की प्रयोगशाला में इसका अध्ययन कर सके, जहां उसकी प्रेमिका काम करती थी। अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि जियान को रोगजनक पर अपने शोध के लिए चीनी सरकार से धन प्राप्त हुआ था।

भारत भी बन चुका है शिकार

  • रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के एक शोध पत्र के अनुसार, 2016 में बांग्लादेश में पाया गया एक जहरीला कवक पश्चिम बंगाल के दो जिलों में पाया गया था।
  • तब सरकार ने तीन वर्षों के लिए दोनों जिलों में गेहूं की खेती पर प्रतिबंध लगाकर गेहूं-ब्लास्ट पैदा करने वाले कवक मैग्नापोर्थे ओराइज़े पैथोटाइप ट्रिटिकम (एमओटी) के प्रसार को रोक दिया।
  • ऐसा माना जाता है कि इस कीट को जानबूझकर भारतीय कृषि-पारिस्थितिकी तंत्र में लाया गया है, लेकिन इसका कोई ठोस सबूत नहीं मिला है।
  • इसी तरह, 2015 में, कपास की पत्ती कर्ल वायरस ने पाकिस्तान में कपास की फसलों को बुरी तरह से नुकसान पहुंचाया। इसके कारण दक्षिणी पंजाब में व्हाइटफ्लाई का भयंकर प्रकोप हुआ,

खतरा क्यों है गंभीर?

  • देश की अर्थव्यवस्था में कृषि की हिस्सेदारी अब भी महत्त्वपूर्ण है।भारत में कृषि क्षेत्र देश के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 17 फीसदी का योगदान देता है। लगभग 55% आबादी इस पर निर्भर है।
  • यदि किसी फसल पर जैविक हमला होता है, तो खाद्य मूल्य बढ़ सकते हैं, जिससे महंगाई और भुखमरी जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। लाखों लोगों की आजीविका और जीवन पर पड़ सकता है।

कड़ी निगरानी जरूरी

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) के एक पूर्व वैज्ञानिक ने कहा, 'यह गिरफ्तारी वैश्विक स्तर पर जैविक सुरक्षा को लेकर एक चेतावनी है। भारत को अपने कृषि विज्ञान, सीमा सुरक्षा और आयातित बीज/उर्वरकों की कड़ी निगरानी सुनिश्चित करनी चाहिए।'