
पाक-अधिकृत जम्मू कश्मीर में इंटरनेट ब्लैकआउट। (फोटो: एएनआई.)
Internet Blackout: पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (PoJK) में इंटरनेट और फोन सेवाओं पर अचानक लगी रोक (Internet Blackout) ने स्थानीय लोगों को परेशानी में डाल दिया है। यूनाइटेड कश्मीर पीपुल्स नेशनल पार्टी (UKPNP Appeal) ने इसे पाकिस्तानी अधिकारियों की सोची-समझी रणनीति (PoJK Protests) बताया है। उनका कहना है कि यह कदम क्षेत्र में बढ़ते विरोध को दबाने और लोगों को दुनिया से काटने के लिए उठाया गया है। इस संचार ब्लैकआउट के साथ ही संयुक्त अवामी एक्शन कमेटी ने सोमवार को पूर्ण बंद और चक्का जाम हड़ताल का ऐलान किया। प्रदर्शनकारी बुनियादी अधिकारों, आर्थिक न्याय और लंबे समय से चले आ रहे दमन को खत्म करने की मांग कर रहे हैं।
यूकेपीएनपी ने चेतावनी दी है कि पाकिस्तानी प्रशासन ने पीओजेके में भारी संख्या में अर्धसैनिक रेंजर्स और अन्य सुरक्षा बल तैनात किए हैं। इससे क्षेत्र में हिंसक कार्रवाई की आशंका बढ़ गई है। पार्टी ने 13 मई 2024 की घटना का जिक्र किया, जब मुजफ्फराबाद में शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर रेंजर्स ने गोलीबारी की थी, जिसमें तीन लोग मारे गए थे। इस घटना की जांच आज तक नहीं हुई, जो सुरक्षा बलों को मिलने वाली दंडमुक्ति दर्शाता है। यूकेपीएनपी का कहना है कि यह स्थिति केवल एक विरोध प्रदर्शन नहीं, बल्कि जम्मू-कश्मीर के अनसुलझे मुद्दों से जुड़ा एक गहरा मानवीय और राजनीतिक संकट है।
यूकेपीएनपी ने संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, चीन, रूस, फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्विट्जरलैंड और अन्य देशों से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि पीओजेके और गिलगित-बाल्टिस्तान के लोग अपने बुनियादी अधिकारों से वंचित हैं। इनमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, आवागमन का अधिकार, स्थानीय संसाधनों पर नियंत्रण और स्वशासन शामिल हैं। पार्टी ने जोर देकर कहा कि 1948 से संयुक्त राष्ट्र के एजेंडे में शामिल जम्मू-कश्मीर का मुद्दा अभी तक अनसुलझा है, और यह संकट उसी का हिस्सा है।
यूकेपीएनपी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वे पीओजेके और गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों की आवाज सुनें। ये लोग 1947 से न्याय और सम्मान की राह देख रहे हैं। पार्टी ने कहा कि क्षेत्र में चल रहे दमन और संचार ब्लैकआउट को रोकने के लिए तुरंत कदम उठाने की जरूरत है। उनका मानना है कि वैश्विक हस्तक्षेप से न केवल हिंसा को रोका जा सकता है, बल्कि लोगों को उनके हक भी मिल सकते हैं।
यूकेपीएनपी का कहना है कि पीओजेके के लोग अपनी मांगों को लेकर एकजुट हैं। वे न केवल आर्थिक और सामाजिक न्याय चाहते हैं, बल्कि अपनी पहचान और स्वायत्तता की रक्षा भी करना चाहते हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय से उनकी अपील है कि इस संकट को गंभीरता से लिया जाए और तत्काल कार्रवाई की जाए।
Published on:
29 Sept 2025 01:48 pm
बड़ी खबरें
View Allविदेश
ट्रेंडिंग
