
Sajjad Zaheer
World Literature: साहित्यिक हलकों के लिए खुशखबरी है कि भारत में प्रगतिशील लेखक संघ के संस्थापक प्रख्यात साहित्यकार सज्जाद ज़हीर ( Sajjad Zaheer) के उपन्यास "लंदन की एक रात ( London ki aik raat)" का मिस्र से अरबी भाषा में अनुवाद प्रकाशित हुआ है। यह अनुवाद न केवल साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने में मदद करेगा, बल्कि सांस्कृतिक संवाद को भी प्रोत्साहित करेगा। पाकिस्तान मूल के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त साहित्यकार व पत्रकार सोहैल अहमद सिदृीकी (Sohail Ahemd Siddiqui) ने बताया कि यह कारनामा मिस्र सुन्नत अल-शरकिया (आरिएंटल भाषाएं), जामिया ऐन शम्स (काहिरा) के उर्दू शिक्षक और अल अज़हर-विभाग के पूर्व प्रमुख डॉ. रानिया फ़ौज़ी ( Rania Fouzi) ने किया है।
इसका महत्वपूर्ण अरबी अनुवाद मिस्र के महान लेखक, शोधकर्ता और उर्दू के शिक्षक डॉ. अहमद अल-काज़ी ने लिखा (World Literature)। उनकी मिस्र में उर्दू की शिक्षा जामिया अल-के बाद जामिया ऐन शम्स से शुरू हुई थी। इस अवसर पर सोहेल अहमद सिद्दीकी ने डॉ. अहमद अल-काजी को बधाई दी और कहा कि आप जैसे ईमानदार सेवकों ने मिस्र को सही अर्थों में उर्दू का घर बनाया है, जहां अनुवाद, शोध, लेखन और संकलन का सिलसिला जारी है। यह प्रसन्नता की बात है कि उनके संरक्षण में युवा मिस्रवासी भी उर्दू की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
सैयद सज्जाद ज़हीर ( 5 नवंबर 1905 - 13 सितंबर 1973) मशहूर भारतीय उर्दू लेखक, मार्क्सवादी विचारक और मार्क्सवादी चिंतक थे। उन्होंने मशहूर साहित्यकार मुल्कराज आनंद और ज्योतिर्मय घोष के साथ मिलकर 1935 में प्रोग्रेसिव राइटर्स एसोसिएशन की इंग्लैंड में स्थापना की थी। उन्होंने भारत और पाकिस्तान दोनों में काम किया। स्वतंत्रता-पूर्व युग में, वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और प्रगतिशील लेखक आंदोलन के सदस्य थे । स्वतंत्रता और विभाजन के बाद , वे नए बने पाकिस्तान चले गए और पाकिस्तान की कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक सदस्य बन गए। उर्दू की प्रसिद्ध लेखिका रज़िया सज्जाद ज़हीर उनकी पत्नी थीं।
सज्जाद ज़हीर का जन्म लखनऊ में हुआ था और वे इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सैयद वज़ीर हसन के चौथे पुत्र थे । उन्होंने 1924 में लखनऊ विश्वविद्यालय से बीए की डिग्री प्राप्त की थी। इसके बाद वे आगे की पढ़ाई के लिए न्यू कॉलेज, ऑक्सफोर्ड चले गए । उन्हें ऑक्सफोर्ड में अपने अंतिम वर्ष में तपेदिक हो गया और उन्हें स्विट्जरलैंड के एक सेनेटोरियम में भेज दिया गया था। वे इंग्लैंड लौटने पर कम्युनिस्ट नेता शापुरजी सकलतवाला से प्रभावित हुए और ऑक्सफोर्ड मजलिस में शामिल हो गए।
उन्होंने फ्रैंकफर्ट में आयोजित साम्राज्यवाद के खिलाफ लीग की दूसरी कांग्रेस में भाग लिया, जहां उनकी मुलाकात वीरेन चट्टोपाध्याय, सौम्येंद्रनाथ टैगोर , एनएम जैसूर्या और राजा महेंद्र प्रताप जैसे प्रभावशाली नेताओं से हुई। उन्होंने 1930 में इंग्लैंड में भारत समाचार पत्र भी शुरू किया। उन्होंने 1931 में ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय से बी.ए. की डिग्री प्राप्त की। ऑक्सफ़ोर्ड में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद 1932 में भारत लौटने के दौरान उन्होंने जर्मनी, इटली, डेनमार्क और ऑस्ट्रिया की यात्रा की। सज्जाद ज़हीर ने दिसंबर 1932 में दोस्तों के एक समूह के साथ मिलकर अपनी पहली पुस्तक अंगारे प्रकाशित की। इस पुस्तक को ब्रिटिश भारत में धार्मिक और नागरिक अधिकारियों दोनों से नाराजगी का सामना करना पड़ा और बाद में सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया। अंगारे के कारण हुए हंगामे के बाद , उन्हें मार्च 1933 में उनके पिता ने लिंकन इन में कानून की पढ़ाई करने के लिए लंदन भेज दिया। विश्व साहित्य (World Literature) में सज्जाद ज़हीर बहुत मशहूर हैं।
Published on:
24 Sept 2024 01:17 pm
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