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जोहरान ममदानी: न्यूयॉर्क के पहले मुस्लिम मेयर बन कर रचा इतिहास, इस्लामिक देशों के लिए नई उम्मीद

Zohran Mamdani: न्यूयॉर्क सिटी के पहले मुस्लिम मेयर जोहरान ममदानी की जीत ने अमेरिकी राजनीति में नई उम्मीद जगाई है। युगांडा मूल के इस समाजवादी नेता ने इस्लामोफोबिया के खिलाफ लड़ते हुए इतिहास रचा।

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भारत

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MI Zahir

Nov 05, 2025

Zohran Mamdani

भारतवंशी जोहरान ममदानी न्यूयॉर्क के मेयर बने हैं। (फोटो: Washington Post)

Zohran Mamdani: न्यूयॉर्क सिटी दुनिया की सबसे जीवंत महानगरों में से एक है, इस शहर ने 4 नवंबर 2025 को जोहरान ममदानी (Zohran Mamdani ) के रूप में एक ऐसा चेहरा चुना है, जो न सिर्फ शहर की विविधता दर्शाता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर मुस्लिम समुदाय के लिए नई आशा का प्रतीक बन गया है। डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट जोहरान ममदानी (34) ने पूर्व गवर्नर एंड्र्यू कूमो और रिपब्लिकन कर्टिस स्लिवा को हरा कर मेयर (Zohran Mamdani NYC Mayor) का पद हासिल किया है। उनकी यह जीत महज एक चुनावी सफलता नहीं, बल्कि अमेरिका में मुस्लिम प्रतिनिधित्व की बड़ी छलांग मानी जा रही है। ममदानी (First Muslim Mayor New York) का जन्म युगांडा में एक भारतीय मूल के परिवार में हुआ, और वे सात साल की उम्र में अमेरिका पहुंचे। सन 2018 में अमेरिकी नागरिक बने और इनका परिवार मिश्रित धार्मिक पृष्ठभूमि का है – भारतीय मूल की मां मीरा नायर ( Mira Nair ) एक प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक हैं, जबकि पिता महमूद ममदानी एक प्रमुख विद्वान हैं, जो मुस्लिम समुदाय से जुड़े हैं। इस मिश्रित विरासत ने ममदानी को विविधता की गहरी समझ दी है, जो उनकी राजनीति का आधार बनी।

उनकी एंट्री राजनीति में एक आंदोलन की तरह हुई

ममदानी का राजनीतिक सफर सामान्य से कोसों दूर था। सन 2020 में न्यूयॉर्क स्टेट असेंबली के लिए चुने जाने से पहले वे सामुदायिक संगठनकर्ता और फोरक्लोजर रोकथाम काउंसलर के रूप में काम कर चुके थे। क्वींस के 36वें जिले से जीतकर वे पहले साउथ एशियन, युगांडाई और न्यूयॉर्क असेंबली के तीसरे मुस्लिम सदस्य बने। उनकी एंट्री राजनीति में एक आंदोलन की तरह हुई – सोशल मीडिया पर सक्रियता, दरवाजा-दरवाजा प्रचार और युवाओं को जोड़ने वाली रैलियां। डेमोक्रेटिक प्राइमरी में कूमो को हराने के बाद जनरल इलेक्शन में उन्होंने 50.4% वोट हासिल किए। उनकी मुहिम का फोकस था शहर की महंगाई पर काबू – मुफ्त बस यात्रा, सस्ता चाइल्डकेयर और शहर-चलाए ग्रॉसरी स्टोर। लेकिन सबसे बड़ा आकर्षण था उनका खुला मुस्लिम पहचान अपनाना, खासकर 9/11 के बाद के इस्लामोफोबिया के दौर में यह अहम था।

ट्रंप ने उन्हें 'यहूदी-विरोधी' कह कर निशाना बनाया

न्यूयॉर्क की राजनीति में ममदानी की लोकप्रियता का राज उनकी जमीनी जुड़ाव में छिपा है। क्वींस जैसे विविध इलाकों में उन्होंने उर्दू, हिंदी और स्पैनिश में प्रचार किया। मस्जिदों से लेकर नाइट शिफ्ट वर्कर्स तक, उन्होंने उन आवाजों को सुना जो सालों से अनसुनी थीं। ट्रंप प्रशासन के इमीग्रेशन नीतियों और इस्लामोफोबिक हमलों के खिलाफ उनकी मुखरता ने युवा वोटरों को लामबंद किया। ब्रुकलिन और क्वींस की सड़कों पर जश्न मनाते लोग, खासकर मुस्लिम समुदाय, उनकी जीत को अपनी जीत मान रहे थे। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इसे 'एकजुटता की जीत' कहा, जबकि बर्नी सैंडर्स ने 'आधुनिक अमेरिकी इतिहास का बड़ा उलटफेर'। लेकिन ट्रंप ने उन्हें 'यहूदी-विरोधी' कहकर निशाना बनाया, जो ममदानी की जीत को और भी प्रेरणादायक बनाता है।

एशिया में उत्साह का संदेश

ममदानी की जीत के मायने गहरे हैं – न्यूयॉर्क अब 1% अमीरों के बजाय कामकाजी लोगों की आवाज बनेगा। किराया फ्रीज, यूनियन सपोर्ट और इमिग्रेंट अधिकारों पर उनका वादा शहर को बदल सकता है। लेकिन मुस्लिम देशों के नजरिये से यह खबर एक नया एंगल देती है: अमेरिका में मुस्लिमों की स्वीकृति। पाकिस्तान, बांग्लादेश और भारत जैसे देशों में यह जीत उत्साह का संदेश लेकर आई है। बांग्लादेशी मूल के वोटर तनवीर चौधरी ने कहा, 'यह हमारी पीढ़ी के लिए बदलाव है – 9/11 के डर से बाहर निकलना।' सऊदी अरब और UAE जैसे देशों में मीडिया ने इसे 'इस्लामोफोबिया के खिलाफ वैश्विक संकेत' बताया। फिलिस्तीन समर्थन के लिए ममदानी की वकालत ने मध्य पूर्व में समर्थन बढ़ाया, जहां गाजा मुद्दे पर अमेरिकी नीतियां विवादास्पद रहीं। यह जीत बताती है कि मुस्लिम पहचान अब कमजोरी नहीं, ताकत है। मुस्लिम देशों के युवा इसे देखकर प्रेरित हो रहे – अमेरिका जैसे पावरहाउस में भी अपनी जगह बनाई जा सकती है। उड़ीसा के नवीन पटनायक ने उन्हें एक्स पर बधाई दी है।

क्लिंटन ने 'निष्पक्ष न्यूयॉर्क' की कामना की

बहरहाल रिएक्शन के मोर्चे पर, न्यूयॉर्क की सड़कों पर जश्न छाया रहा। ब्रुकलिन पैरामाउंट में समर्थक नाच-गाने में मग्न थे, जबकि क्वींस के मोकाफ़े कॉफीहाउस में आंसू और हंसी का मेला लगा। हिलेरी क्लिंटन ने रिकॉर्ड वोटिंग को सराहा, जबकि बिल क्लिंटन ने 'निष्पक्ष न्यूयॉर्क' की कामना की। मुस्लिम समुदाय में गर्व है, लेकिन डर भी – ट्रंप जैसे नेताओं के हमले जारी रह सकते हैं। फालोअप में ममदानी को अल्बनी और सिटी काउंसिल से समर्थन जुटाना होगा, जहां कई नेता उनके प्रोग्रेसिव एजेंडे से सहमत नहीं। साइड एंगल से देखें तो यह जीत डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए राष्ट्रीय संकेत है – ट्रंप की 57% डिसअप्रूवल के बीच प्रोग्रेसिव्स कैसे वोटर जुटा सकते हैं। युवा मुस्लिमों का संगठन, जो 9/11 के बाद मजबूत हुआ, अब पॉवर सेंटर बन रहा है।