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Muharram 2025 Date : मुहर्रम का चांद कब दिखेगा? जानें 2025 में संभावित तारीखें और महत्व

Muharram 2025 Date : इस्लामी हिजरी कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम 2025 में 27 जून से शुरू हो सकता है। इसका 10वां दिन आशूरा 6 जुलाई 2025 को मनाए जाने की संभावना है। हालांकि अंतिम तारीख चांद दिखने के बाद ही तय होगी।

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भारत

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Manoj Vashisth

Jun 23, 2025

Muharram 2025 Date

Muharram 2025 Date (फोटो सोर्स : Freepik)

Muharram 2025 Date : इस्लाम में मुहर्रम का बहुत महत्व है। मुहर्रम इस्लामी हिजरी कैलेंडर का प्रथम महीना होता है और इसके 10वें दिन आशूरा होता है। साल 2025 में मुहर्रम के पवित्र महीने की शुरुआत 27 जून 2025 से हो सकती है। वहीं मुहर्रम का त्योहार इसके 10 वें दिन 6 जुलाई 2025 को मनाने की उम्मीद है। हालांकि इसकी तिथि तय नहीं है चांद नजर आने के बाद ही संभावित तिथि की घोषणा की जाएगी।

Muharram 2025 Date : मुहर्रम 2025 की शुरुआत कब होगी?

इस्लामी कैलेंडर के अनुसार, मुहर्रम 2025 (Muharram 2025 Date) की शुरुआत 26 या 27 जून की रात को नए चांद के दिखाई देने पर होगी। जैसे ही चांद का दीदार होगा इस्लामी नया वर्ष भी शुरू हो जाएगा। आपको बता दें कि इस्लामी महीनों की गणना चांद के अनुसार होती है इसलिए सटीक तारीख चांद के दिखाई देने पर ही निश्चित होती है।

आशूरा की तारीख 5 या 6 जुलाई

मुहर्रम का दसवां दिन आशूरा के नाम से जाना जाता है जो इस्लाम धर्म में अत्यंत पवित्र और भावनात्मक रूप से बहुत महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। वर्ष 2025 में आशूरा की तारीख 5 या 6 जुलाई हो सकती है। जैसा की विदित है भारत में आमतौर पर चांद के दर्शन एक दिन बाद दिखाई देता है, इसलिए यहां आशूरा 6 जुलाई 2025, रविवार को मनाया जा सकता है। अगर किसी कारण चांद के दीदार नहीं होते हैं तो और 28 जून को मुहर्रम की शुरुआत होगी तो ऐसे में आशूरा 7 जुलाई को हो सकता है।

मुहर्रम के दिन मुसलमान क्या करते हैं?

मुहर्रम का महीना खासकर शोक और दुख के रूप में मनाए जाना वाला महीना है। इस महीने दौरान मुसलमान काले कपड़े पहनकर अपने शोक का इजहार करते हैं। कई लोग इस दिन उपवास भी रखते हैं, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि कर्बला की त्रासदी में इमाम हुसैन और उनके साथियों को भूख और प्यास की हालत में शहीद हो गए थे।

इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोग एकत्र होकर ताजिए और जुलूस में भाग लेते हैं। वे कर्बला की घटना को याद करते हुए मातम मनाने की रिवाज हैं, सीना पीटते हैं और इमाम हुसैन की कुर्बानी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। यह दिन बलिदान, सहनशीलता और सत्य की राह पर अडिग रहने की प्रेरणा देता है।