Ahom dynasty: मुगल बादशाह अकबर पर अहोम राजाओं के मकबरे भारी पड़ गए। यूनेस्कों के पास अकबर का मकबरा (सिकंदरा) का नाम भी भेजा गया था, लेकिन वह संभावित सूची में शामिल होने के बाद भी विश्व धरोहर स्मारकों में अपना स्थान नहीं बना पाया। इस वर्ष आसामा के चराइदेव का मोइदाम (अहोम राजवंश के शाही परिवारों का कब्र स्थल) को इसके लिए चुना गया है।
यूनेस्कों द्वारा हर साल एक देश से एक स्मारक को विश्व धरोहर की सूची में शामिल करने के लिए संभावित स्मारक का नाम भेजा जाता है। हालांकि, ये जरूरी नहीं कि उसी साल उसका नाम इस सूची में शामिल कर लिया जाए। अबकर का मकबरा का नाम 11 साल पहले भेजा गया था। उसके बाद चार साल पहले भी इसका नाम भेजा गया था। इसे संभावित सूची में शामिल भी कर लिया गया, लेकिन वे अपनी जगह नहीं बना पाया।
इधर, संस्कृति मंत्रालय से आसाम के अहोम राजवंश के शाही परिवारों के कब्र स्थल (चराइदेव का मोइदाम) का नाम विश्व धरोहर स्मारक के रूप में शामिल कराने के लिए भेजा गया। इस पर लगभग मुहर लग गई है। इस स्थल को दिल्ली में 21 जुलाई से 10 दिनों तक चलने वाले यूनेस्को 47 सेशन में घोषित किए जाने की भी संभावना है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के एक उच्चाधिकारी ने बताया कि 2025 के लिए मराठा मिलिट्री लैंडस्कैप का नाम संभावित सूची में भेजा गया। इसका नाम संभावित सूची में जाने के कारण अकबर का मकबरा को अगले साल भी विश्व धरोहरों की सूची में शामिल होने से वंचित होना पड़ेगा। उसके बाद 2026 में इसका नाम भेजे जाने की उम्मीद है। तब कहीं 2027 में इसका नाम विश्व धरोहरों की सूची में आ सकता है।
नियामानुसार किसी भी स्मारक का संभावित सूची में एक साल तक नाम रहना जरूरी है। इसके सारे पहलुओं पर टीम द्वरा बारीकी से पड़ताल की जाती है।
सिकंदरा स्थित अकबर का मकबरा का निर्माण स्वयं अकबर ने शुरू करवाया था। वर्ष 1605 में उसकी मौत के बाद उसके बेटे जहांगीर ने मकबरे को पूरा कराया। वर्ष 1613 में बनकर तैयार हुए इस मकबरे पर उस समय करीब 15 लाख रुपये की लागत आई थी। ये मकबरा हिंदू, ईसाई, इस्लामिक, बौद्ध और जैन कला का सर्वोत्तम मिश्रण है।
आगरा में तीन विश्वदाय स्मारक पहले से ही हैं। यहां सबसे पहले ताजमहल को यूनेस्को ने सातवें सेशन में 1983 में विश्व धरोहर स्मारक घोषित किया था। इसका मानदंड सांस्कृतिक था। उसके बाद आगरा किला को 8वें सेशन में 1984 में विश्व धरोहरों की सूची में शामिल किया गया था। इस स्मारक का का मानदंड सांस्कृतिक था। उसके बाद फतेहपुरसीकरी को 1986 में 10वें सेशन में इसको विश्व धरोहर की सूची में स्थान मिला था। इसका मानदंह सांस्कृतिक था।
Published on:
19 Jul 2024 05:41 pm