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जानिए Bhai Dooj तिथि व शुभ समय से लेकर त्योहार की पूरी जानकारी!

यहां पढ़ें..भाई दूज 2019 कब है, क्यों मनाया जाता है, तिलक का शुभ समय, धन लाभ व स्वास्थ्य लाभ से जुड़ी तमाम जरूरी जानकारी।

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आगरा

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suchita mishra

Oct 14, 2019

हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन भाई दूज (Bhai Dooj) का त्योहार मनाया जाता है। ये दिन रक्षाबंधन की तरह ही भाई बहन को समर्पित है और उनके आपसी रिश्तों को मजबूत करने वाला है। इस दिन भाई अपनी बहन के घर जाता है। तब बहन भाई के मस्तक पर तिलक कर उसकी लंबी आयुक की कामना करती है। इस बार भाई दूज 29 अक्टूबर को है।

बेहद शुभ है इस बार भाई दूज
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र के मुताबिक इस बार का भाई दूज काफी शुभ है। तिथि में न कोई क्षय है और न ही वृद्धि है। भाई दूज के दिन मंगलवार है। मंगल भाई का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे में ये त्योहार अत्यंत मंगलकारक और सुखकारक रहेगा।

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तिलक का शुभ समय
सुबह 07:53 से 10:11 बजे तक अतिशुभ समय
10:11 से 12:16 मिनट तक शुभ समय
12:16 से 02:03 बजे तक अति शुभ समय
शाम 04:30 से 04:55 तक शुभ समय
शाम 06:31 मिनट से 08:28 मिनट तक अतिशुभ समय
दोपहर 03:00 से 04:30 राहूकाल रहेगा, इस दौरान तिलक न करें।

भाई को पूर्व मुख करके बैठाएं फिर करें तिलक

सभी बहनें स्नान कर पहले अपने इष्टदेव का पूजन करें। इसके बाद आटे से चौक बनाएं। उस पर पाटा या चौकी रखकर भाई को बैठाएं। फिर भाई का तिलक करें। मिष्ठान खिलाएं और भाई पैर छूकर बहन का आशीर्वाद लें। ज्योतिषाचार्य का कहना है कि भाई को पूर्व मुख करके बैठाएं, इससे उनकी यश और कीर्ति बढ़ेगी व स्वास्थ्य उत्तम होगा व बहनें उत्तर मुख होकर टीका करें, इससे उन्हें धन लाभ होगा।

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इसलिए मनाया जाता है भाई दूज
पौराणिक कथा के अनुसार यमराज और यमुना भगवान सूर्य की संतानें हैं। इनके बीच आपस में बहुत प्रेम था। यमुना यमराज से बहुत स्नेह करती थीं और बार बार उनसे अपने घर आकर भोजन करने का निवेदन करती थीं। अपने कार्य में व्यस्त यमराज अक्सर बात को टालते रहते थे। एक बार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को यमुना ने फिर से भाई यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण दिया और उन्हें अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया। यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं। मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता। बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है। बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। यमराज को अपने घर आया देख यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। यमुना ने स्नान कर पूजन करके भाई को व्यंजन परोसे, उनका तिलक किया। यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया।तब यमुना ने कहा कि भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो। मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करे, उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण दिए और यमलोक चले गए। तब से इस त्योहार की शुरुआत हुई।

यमुना स्नान का विशेष महत्व
इस दिन बहन द्वारा भाई का तिलक करने से भाई को दीर्घायु प्राप्त होती है। इस दिन को कुछ स्थानों पर यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। भैयादूज को यमराज व यमुना का पूजन किया जाता है। इस दिन यमुना स्नान का विशेष महत्व है।