
Holi 2018
आगरा। होली के त्योहार में सिर्फ कुछ दिन शेष रह गए हैं। होली के त्योहार को किस प्रकार मनाएं, इसलिए पत्रिका टीम ने अपने सुधी पाठकों के लिए बात की ज्योतिषाचार्य और वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम से उन्होंने बताया कि वैदिक हिन्दू ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी पर्व-त्योहारों को मुहूर्त शुद्धि के अनुसार मनाना शुभ एवं कल्याणकारी होगा |
बृज के लिए ये है सही समय
पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि 1 मार्च 2018 को भद्रा पूंछ- 16:00 से 17:05 और भद्रा मुख- 17:09 से 18:56 का समय रहेग आत: होलिका दहन के लिए 19:40 के बाद का समय शुभ बेला में होलिका-दहन किया जा सकता है। अत: शास्त्रोक्त मतानुसार 1 मार्च को ही होलिका दहन करना वैदिक शास्त्रसम्मत होगा। उनका कहना है कि भद्रा के मुख का त्याग करके निशा मुख में होली का पूजन करना शुभफलदायक सिद्ध होता है, वैदिक हिन्दू ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी पर्व-त्योहारों को मुहूर्त शुद्धि के अनुसार मनाना शुभ एवं कल्याणकारी है। वैदिक हिंदू धर्म में अनगिनत मान्यताएं, परंपराएं एवं रीतियां हैं। वैसे तो समय परिवर्तन के साथ-साथ लोगों के विचार व धारणाएं बदलीं, उनके सोचने-समझने का तरीका बदला, लेकिन वैदिक हिन्दू संस्कृति का आधार अपनी जगह आज भी कायम है।
सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में होलिका में अग्नि प्रज्जवलित कर दी जाती है। इसमें अग्नि प्रज्जवलित होते ही डंडे को बाहर निकाल लिया जाता है। सार्वजनिक होली से अग्नि लाकर घर में बनाई गई होली में अग्नि प्रज्जवलित की जाती है। अंत में सभी पुरुष रोली का टीका लगाते है और महिलाएं गीत गाती है तथा बड़ों का आशीर्वाद लिया जाता है। सेक कर लाये गये धान्यों को खाने से निरोगी रहने की मान्यता है।
आज की युवा पीढ़ी में हमारी प्राचीन नीतियों को लेकर कई सवाल उठते हैं, परंतु भारतीय धर्म साधना के परिवेश में वर्ष भर में शायद ही ऐसा कोई त्योहार हो जिसे हमारे राज्य अपने-अपने रीति रिवाजों के अनुसार धूमधाम से न मनाते हो।
Updated on:
24 Feb 2018 05:13 pm
Published on:
23 Feb 2018 12:36 pm
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