29 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

भगवान शिव का अद्भुत व चमत्कारी मंदिर, शिवलिंग का दिन में तीन बार बदलता है रंग

फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी के दिन महाशिवरात्रि का महापर्व श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जा रहा है।

2 min read
Google source verification

आगरा

image

Dhirendra yadav

Feb 13, 2018

Raj Rajeshwar mandir

Raj Rajeshwar mandir

आगरा। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी के दिन महाशिवरात्रि का महापर्व श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जा रहा है। आगरा के प्रमुख चारों शिवालयों पर महाशिवरात्रि के अवसर पर विशेष अनुष्ठान होते हैं। ऐसे ही शिवालय श्रीराजेश्वर महादेव मंदिर पर भी भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया जाएगा। इस मंदिर की विशेषता ये है, कि यहां स्थापित शिवलिंग दिन में तीन बार बदलता है। तीन पहर की पूजा में भगवान शिव हर बार नए रंग में भक्तों को दर्शन देते हैं।

हर बार दिखता है अलग रंग
श्रीराजेवश्वर महादेव मंदिर कमेटी के अनिल रावत ने बताया कि राजेश्वर महादेव मंदिर स्थित शिवलिंग के भोर की पहली किरण के साथ जब दर्शन किए जाते हैं, तो ये दूधिया सफेद होती है। सुबह की पूजा के बाद जब दोपहर में इस शिवलिंग के दर्शन किए जाएं तो इस दूधिया शिवलिंग पर नीले रंग की धारियां आ जाती हैं। वहीं शाम की आरती के समय जब भक्त् पूजन के लिए आते हैं, तो भक्तों को गुलाबी रंग के शिवलिंग के दर्शन होते हैं

ये है मंदिर का इतिहास
राजेश्वर मंदिर ट्रस्ट के उपसचिव पप्पू ने बताया कि पूर्वजों के अुनसार मंदिर में शिवलिंग की स्थापना राजाखेडा के एक साहूकार ने करवाई थी। बताया जाता है, कि साहूकार नर्मदा नदी से शिवलिंग लेकर आ रहे थे। गांव से पहले उन्होंने रात्रि विश्राम के लिए एक जगह बेलगाड़ी रोक दी। रात्रि में स्वप्न हुआ कि जिसमें साहूकार को बताया गया कि शिवलिंग को इसी स्थान पर रहना है। इसके बाद जब सुबह बेलगाड़ी में रखने के लिए शिवलिंग को जमीन से उठाकर ले जाने का प्रयास किया गया, तो बैलगाड़ी आगे ही नहीं बड़ी। कई गाड़ी और दर्जनों लोगों के प्रयास के बाद भी गाड़ी का पहिया आगे नहीं बड़ा, जिसके बाद शिवलिंग जमीन पर गिर गई। वहीं पर शिवलिंग ने एक स्थान ले लिया। इसके बाद पांच गांव के लोगों ने मिलकर मंदिर का निर्माण कराया, जिसमें गांव उखर्रा, राजपुर, बाग राजपुर, चमरौली और कहरई सम्मलित हैं। मंदिर की सेवा के लिए 24 बीघा जमीन भी जमीदारों द्वारा दी गई थी।