
रईस बेग की कहानी पढ़िए और समझिए कि पुलिस किस तरह आतंकवादी बनाती है, देखें वीडियो
डॉ. भानु प्रताप सिंह/ धीरेन्द्र यादव
आगरा। ये कहानी है रईस बेग की। उन रईस बेग की जिनका पुलिस ने ‘शिकार’ किया। रईस बेग पुलिस की ‘कहानी’ में आतंकवादी हैं। यह बात अलग है कि न्यायालय ने उन्हें बरी कर दिया। उन्हें न्याय मिला लेकिन 22 साल लग गए। जब पुलिस ने उन्हें आतंकवादी बनाया, तब वे जवान थे। अब बूढ़े हो चुके हैं। उनके शरीर में दम नहीं है। रईस बेग ने मीडिया से दूरी बना ली है। उनके भाई चाहते हैं कि निर्दोष को 22 साल जेल में रखा है, इस बात का मुआवजा मिलना चाहिए। उनकी मां कहती हैं हमें कुछ नहीं चाहिए।
दो आतंकी घटनाएं
रईस बेग ताजमहल के निकट गढ़ैया (निकट तांगा अड्डा) में रहते हैं। उनका घर देखकर लगता है कि परिवार जैसे-तैसे गुजारा कर रहा है। कहानी को आगे बढ़ाने से पहले फ्लैश बैक में जाना जरूरी है। 22 जून, 1996 को राजस्थान के बीकानेर से आगरा जा रही बस में आगरा-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर दौसा के निकट गांव समलेटी में बस में विस्फोट हुआ था। इसमें रईस बेग समेत पांच लोगों को आरोपी बनाया गया। फिर 23 जून, 1996 को दिल्ली के लाजपतनगर में धमाका हुआ। इसमें भी रईस बेग को आरोपी बनाया गया। दोनों घटनाओं को आतंकवादी बताया गया। रईस बेग 8 जून, 1997 से जयपुर सेन्ट्रल जेल में बंद थे। तब से 22 जुलाई, 2019 तक उन्हें कभी जमानत नहीं मिली। कभी पैरोल नहीं मिला। अब आकर पता चला कि उन्होंने तो कोई अपराध ही नहीं किया था। बिना अपराध के ही 22 साल जेल में गुजर गए।
दुकान से पकड़ा
युवा रईस बेग बिजलीघर चौराहे पर दर्जी का काम करते थे। काम करने के दौरान ही क्राइम ब्रांच ने उन्हें धरदबोचा। घर वालों को तो कई दिन बाद पता चला कि रईस बेग को आतंकवादी बताते हुए पुलिस ने पकड़कर जेल में ठूंस दिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और समाज सेवी इब्राहीम हुसैन जैदी बताते हैं कि रईस बेग को मेरे सामने ही पकड़ा था। उस समय पुलिस ने कुछ नहीं बताया था। हम जानते थे कि रईस बेग बहुत सीधा है। जब हमें पता चला कि रईस बेग को आतंकवादी बताते हुए पकड़ा गया है तो हैरान रह गए। हमारी बात सच साबित हुई।
पत्रिका टीम पहुंची रईस बेग के घर
अब कहानी को वर्तमान में लेकर जाते हैं। पत्रिका टीम रविवार की शाम को रईस बेग के निवास पर पहुंची। उनका घर गढ़ैया की गली में है। घर के बाहर चार विद्युत मीटर लगे हुए हैं। घर देखकर लगता है कि रईस बेग का परिवार बस किसी तरह गुजारा कर रहा है। गली में अजनबी व्यक्ति को देखकर लोग एकत्रित हो जाते हैं। हमने जैसे ही सीढ़ी पर कदम रखा और पूछा रईस भाई हैं क्या, तो चिक के पीछे से एक महिला ने कहा यहीं रहते हैं। हमने कहा राजस्थान पत्रिका से आए हैं, बात करनी है तो जवाब मिला कि हैं नहीं। फिर अंदर से उनके पुत्र सलमान बेग निकले। उन्होंने भी कहा कि बाहर गए हैं। हमने कहा कि आपसे ही बात कर लेते हैं। आप शर्ट पहन लें। वे अंदर गए और लौटकर नहीं आए।
मां और भाई ने क्या कहा
रईस बेग के दो बेटे हैं रिजवान बेग (26 साल) और सलमान बेग (24 साल)। एक बेटी है सूफिया (22 साल)। रईस बेग के सात भाई हैं। मां का नाम शकीना और बाप का नाम उस्मान बेग है। एक भाई सलीम बेग ने बताया कि जब रईस बेग को पकड़ा गया, मैं 12 साल का था। उन्होंने कहा कि रईस भाई निर्दोष हैं, इसलिए सरकार उन्हें मुआवजा दे। दूसरी ओर रईस बेग की मां शकीना का कहना है कि हमें कोई मुआवजा नहीं चाहिए। हमारा बेटा घर आ गया। यह कहे जाने पर आपके बेटे को आतंकवादी बताकर पकड़ा गया, उस समय लोग क्या कहते थे, उन्होंने कहा कि सब कहते थे कि वह ऐसा नहीं है। वह तो पान भी नहीं खाता है। हमारे बच्चों के हाथ-पैर सलामत रहें। किसी के आगे हाथ न फैलाएं, चटनी रोटी खाएं।
मुआवजा दिया जाए
वहीं पर युवा कामरान ने कहा कि रईस बेग निर्दोष थे, यह 22 साल बाद सिद्ध हुआ है। हम मांग करते हैं कि सरकार रईस बेग को मुआवजा दे। रईस बेग के जीवन के सर्वाधिक महत्वपूर्ण 22 साल जेल में बिना किसी अपराध के गुजर गए। इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?
हर निर्दोष को मुआवजा मिले, इसके लिए सुप्रीम कोर्ट जाएंगे
समाजसेवी और कांग्रेस नेता सैयद इब्राहीम हुसैन जैदी का कहना है कि रईस बेग निर्दोष थे। उनके परिवार को संत्रास झेलना पड़ा। निरपराध को 22 साल जेल में रखा गया, इसके लिए जिम्मेदार कौन है? हमारी मांग है कि सरकार कानून में संशोधन करे। जेल में बंद जो व्यक्ति निर्दोष साबित हो, उसे मुआवजा दिया जाए। वे इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
Published on:
29 Jul 2019 04:33 pm
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