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सपा की अंदरूनी रार ने निभाई हार में अहम भूमिका

टिकट बंटवारे को लेकर छिड़ी थी लड़ाई, जिताउ कार्यकर्ताओं के कटे थे टिकट, सक्रिय कार्यकर्ताओं को भी नहीं मिले टिकट, उठे थे कई सवाल

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आगरा

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Abhishek Saxena

Dec 04, 2017

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akhilesh yadav

आगरा। नगर निकाय चुनाव में इस बार समाजवादी पार्टी को बड़ा नुकसान हुआ। पिछली बार निकाय चुनाव में सपा के मेयर प्रत्याशी महाराज सिंह धनगर को 83 हजार से अधिक वोट मिले थे। जबकि, इस बार राहुल चतुर्वेदी करीब 50 हजार वोटों पर ही सिमट गए। समाजवादी पार्टी के पिछले निकाय चुनाव में पार्षदों की बात करें, तो पिछली बार एक दर्जन से अधिक पार्षद प्रत्याशी जीते थे। वहीं इस बार महज पांच पार्षद ही मैदान जीत सके। शहर में सपा की करारी हार के बाद कार्यकर्ता संगठन को कोस रहे हैं। सोशल मीडिया पर जिलाध्यक्ष और महानगर अध्यक्ष से इस्तीफे की मांग की आवाजें उठ रही हैं। सरकार में विभन्नि लाभ के पदों पर रहे पार्टी के नेताओं को भी कार्यकर्ता कोस रहे हैं। सोशल साइटों पर सपा के ग्रुपों में बड़ी बहस छिड़ी हुई है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। शहर में सपा को मजबूत करने के लिए नए सिरे से संगठन के गठन की मांग जोर पकड़ती जा रही है। निकाय चुनाव के दौरान सपा की
हार के बाद कार्यकर्ता खींचने लगे हैं।

हो गया पार्षद प्रत्याशियों का टोटा
शहर में सपा के पास कई वार्डों में पार्षद प्रत्याशियों का टोटा था जबकि कई वार्डों में मारामारी। जिन वार्डों में सपा पार्षद पद की टिकट के लिए दावदारों में घमासान मचा हुआ था, उसकी वजह भी सपा की गुटबाजी थी। सपा के कई गुट अपने चहेतों को टिकट दिए जाने की पैरवी करते रहे और जिन नेताओं के चहेतों को टिकट नहीं मिली उन्होंने अपने चहेतों को निर्दलीय मैदान में उतार दिया। जहां पार्षद प्रत्याशियों का टोटा था उसकी वजह संगठन में कमजोरी रहीं। कई बूथों और वार्डों में संगठन न होने की वजह से इन स्थानों पर सपा से टिकट लेकर चुनाव लड़ने की कार्यकर्ताओं ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। इस बीच सबसे बड़ी भूल यह रही कि शहर में वार्डों में प्रत्याशी घोषित करने से पहले मेयर प्रत्याशी राहुल चतुर्वेदी की राय नहीं ली गई। यदि राहुल चतुर्वेदी की रायशुमारी के बाद पार्षद प्रत्याशियों का पैनल तैयार होता तो सपा की हार इतनी करारी नहीं होती।

सक्रिय कार्यकर्ताओं को टिकट से रख दिया दूर
पार्षद चुनाव में सपा ने ऐसे प्रत्याशियों को टिकट थमाए, जो सक्रिय सदस्य नहीं थे। सूत्र बताते हैं कि इसका खामियाजा भी पार्टी को भुगतना पड़ा है। एक ऐसी महिला को पार्षद का टिकट थमाया गया, जिसके लिए पार्टी में पहले से विरोध के सुर उठ रहे थे। सूत्र बताते हैं कि जल्द ही अखिलेश यादव आगरा में पार्टी की हार के चलते बड़े फैसले लेने वाले हैं।